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सात पुलिस कर्मियों की नौकरी गयी

सीतामढ़ीः जिले में कार्यरत रहे सात पुलिस कर्मियों को बरखास्त कर दिया गया. यह कार्रवाई एसपी पंकज सिन्हा ने एक व्यक्ति को आर्म्स एक्ट में फंसाने के आरोपित पुलिसकर्मियों पर की. यह मामला मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंचा था. उनके निर्देश पर मामले की जांच शुरू हुई थी. तत्कालीन डीआइजी अरविंद पांडेय के आदेश […]

सीतामढ़ीः जिले में कार्यरत रहे सात पुलिस कर्मियों को बरखास्त कर दिया गया. यह कार्रवाई एसपी पंकज सिन्हा ने एक व्यक्ति को आर्म्स एक्ट में फंसाने के आरोपित पुलिसकर्मियों पर की. यह मामला मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंचा था. उनके निर्देश पर मामले की जांच शुरू हुई थी.

तत्कालीन डीआइजी अरविंद पांडेय के आदेश पर नगर थाना में सहायक अवर निरीक्षक गंगा दयाल प्रसाद, एसएफसी एजीएम गजेंद्र सिंह, खाद्यान्न कारोबारी सुरेंद्र प्रसाद के अलावा जिला पुलिस द्वारा गठित क्यूआरटी पार्टी के वाहन चालक इम्तेयाज खां, पुलिस कर्मीसुरेंद्र यादव, त्रिभुवन पांडेय, लालन प्रसाद, अभिषेक ठाकुर, सुनिल कुमार तिवारी, जय प्रकाश यादव व लेकाब हुसैन (सभी तत्कालीन) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. यह प्राथमिकी 20 फरवरी 2008 को दर्ज हुई थी. इस गंभीर मामले का अनुसंधानकर्ता तत्कालीन अवर निरीक्षक लाल वचन सिंह को बनाया गया था. उक्त पुलिस कर्मी फिलहाल सूबे के विभिन्न जिलों में कार्यरत हैं.

चालक पूर्व में ही बरखास्त. बताते चलें कि आर्म्स एक्ट के मामले में राजकिशोर पासवान को फंसाने में मुख्य साजिश कर्ता के रूप में क्यूआरटी पार्टी के वाहन चालक रहे इम्तियाज खां को माना गया था. मामले के कुछ महीने बाद ही उक्त चालक को सेवा से बरखास्त कर दिया गया था. वहीं अन्य आरोपित पुलिस कर्मियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गयी थी. सूत्रों ने बताया कि चालक इम्तियाज खां ने वरीय पुलिस अधिकारी को आवेदन देकर कहा था कि एक ही आरोप में उसे बरखास्त कर दिया गया, जबकि अन्य आरोपित पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई नहीं की गयी. उसकी शिकायत पर अन्य 7 आरोपित पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गयी और सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.

फंसे थे तत्कालीन डीएसपी भी. बता दें कि उस दौरान बतौर एसपी एमआर नायक थे. कहा जाता है कि सच्चई की जानकारी नायक को मिल गयी थी, लेकिन विभाग की बदनामी होने के चलते खामोश रह गये थे. उस दौरान यह भी चर्चा थी कि नायक के ही दवाब पर तत्कालीन सदर डीएसपी नागेंद्रपति त्रिपाठी ने अपने पर्यवेक्षण रिपोर्ट में झूठे मामले को सत्य करार दिया था. इसको लेकर तत्कालीन डीआइजी अरविंद पांडेय ने डीएसपी नागेंद्रपति त्रिपाठी से जवाब तलब किया था.

क्या है मामला

खाद्यान्न माफियाओं में कभी शुमार रहे शहर से सटे चकमहिला गांव के सुरेंद्र प्रसाद ने राजकिशोर पासवान को आर्म्स एक्ट के मामले में फंसाने की साजिश रची थी. वह क्यूआरटी पार्टी में शामिल पुलिस कर्मियों की मिलीभगत से यह साजिश की थी. इसमें वह कामयाब भी रहा. हालांकि दांव उल्टा चल गया और वह खुद फंस गया. साथ ही सहयोग करने वाले पुलिस कर्मियों को भी ले डूबा. साजिश के तहत क्यूआरटी पार्टी में शामिल पुलिस कर्मियों ने भवदेपुर स्थित राजकिशोर के निवास पर छापेमारी की. इस दौरान उसके बिछावन के नीचे आर्म्स रख दिया गया. राज किशोर ने आर्म्स रखते देख लिया था. क्यूआरटी ने आर्म्स पाये जाने की सूचना नगर थाना को दिया. सूचना पर अवर निरीक्षक गंगा दयाल पहुंचे और राज किशोर को गिरफ्तार कर लिया था. उसे बाद में जेल भेज दिया गया था.

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