सीतामढ़ी : जिले के छोटे-बड़े खुदरा कारोबारियों के लिए खुदरा करेंसी ‘सिक्का’ गले की फांस बन गया हैं. शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे किराना, चाय, पान, तंबाकू व सब्जी समेत अनेक छोटे कारोबारियों के लिए व्यापार करना मुश्किल होता जा रहा हैं.
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कारोबारियों के लिए गले की फांस बना ”सिक्का”
सीतामढ़ी : जिले के छोटे-बड़े खुदरा कारोबारियों के लिए खुदरा करेंसी ‘सिक्का’ गले की फांस बन गया हैं. शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे किराना, चाय, पान, तंबाकू व सब्जी समेत अनेक छोटे कारोबारियों के लिए व्यापार करना मुश्किल होता जा रहा हैं. दुकानदारों की शिकायत है कि यदि वे अपने ग्राहकों से खुदरा […]
दुकानदारों की शिकायत है कि यदि वे अपने ग्राहकों से खुदरा पैसा नहीं लेते हैं, तो कारोबार नहीं चला पायेंगे. ऐसे में घर का खर्च उठाना संभव नहीं है. छोटे-छोटे कारोबारियों का कहना है कि थोक विक्रेता सिक्का नहीं लेते हैं. थोक विक्रेता अपनी समस्या बताते हैं कि बैंक वाले सिक्का लेने से इनकार करते हैं, वहीं बैंक अधिकारियों का कहना है कि बैंक तो सिक्का ले रही हैं, लेकिन ग्राहक वापस लेने से इनकार करते हैं. कुल मिला कर समस्या तो हैं, लेकिन समस्या को समाप्त करने की दिशा में किसी तरह की पहल के बजाए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा हैं. सिक्के को लेकर हो रही समस्या को लेकर प्रभात खबर टीम ने विभिन्न खुदरा व थोक कारोबारियों से बातचीत की.
बोले शाखा प्रबंधक: आइडीबीआइ के शाखा प्रबंधक अशोक कुमार कहते हैं कि आरबीआइ के गाइड लाइन के अनुसार वे ग्राहकों से सिक्का ले रहे हैं, लेकिन वहीं सिक्का ग्राहक वापस नहीं लेना चाहते हैं. दूसरी समस्या यह है कि आरबीआइ से आने वाला सिक्का वापस नहीं जाता है, इस कारण बैंकों में सिक्का की संख्या बढ़ती जा रही है. अभी उनके बैंक में तीन लाख का सिक्का जमा हो चुका है.
एसबीआइ मेन ब्रांच के शाखा प्रबंधक सुजय दास कहते है कि आरबीआइ के गाइड लाइन का पालन किया जा रहा हैं. अगर किसी ग्राहक को परेशानी होती हैं, तो संपर्क करे.
एसबीआइ बाजार ब्रांच के शाखा प्रबंधक अजीत कुमार झा बताते हैं कि सिक्का को लेकर बैंक की परेशानी भी बढ़ रही है. सिक्का लिया तो जा रहा है, लेकिन ग्राहक सिक्का वापस नहीं ले रहे है. अगर उनके बैंक का कोई कर्मचारी गाइड लाइन के अनुसार काम नहीं कर रहा तो, ग्राहक उनसे संपर्क करें.
मो अफाक खान, थोक व खुदरा व्यवसायी : कहते हैं कि बैंक सिक्का दे तो रही हैं, लेकिन ले नहीं रही हैं. इस कारण बाजार में सिक्का की संख्या बढ़ती जा रही है. ग्राहक के साथ भी ऐसा हीं है, वे सिक्का देना तो चाहते हैं, लेकिन लेना नहीं चाहते हैं. इस कारण ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदारों को काफी समस्या हो रही है. उनका व्यापार प्रभावित हो रहा हैं. आरबीआइ के नियम को सख्ती से लागू कराने के लिए जिला प्रशासन को बैंकों पर शिकंजा कसना चाहिए.
सन्नी कुमार श्रीवास्तव उर्फ काजू, व्यवसायी: ग्राहकों से सिक्का न लिया जाए तो कारोबार कैसे चलेगा? यदि सिक्का लिया जाता है तो जमा होते-होते वही सिक्का मुसीबत बन जाती है. हाल यह है कि सिक्का को न तो थोक विक्रेता ले रहे हैं और न बैंकों द्वारा लिया जा रहा है. बैंक कर्मचारियों द्वारा बगैर कोई सफाई दिये सिक्का लेने से साफ इनकार कर दिया जाता है.
संतोष सिंह, व्यवसायी : आजकल बाजार में पांच व 10 का सिक्का खास जगह बना लिया है. उसके बिना खुदरा कारोबारियों के लिए कारोबार करना असंभव है, लेकिन दिक्कत यह है कि बैंकों द्वारा सिक्का नहीं लिया जा रहा है. 500 रुपये का सिक्का लेकर भी यदि बैंक जाते हैं, तो लाख आरजू-मिन्नत करने के बाद भी बैंक कर्मचारी सिक्का लेने से इनकार कर देते हैं.
महेश साह, किराना सामान के थोक विक्रेता: शहर स्थित कोट बाजार में किराना सामानों के थोक विक्रेता महेश साह ने बताया कि सिक्का केवल खुदरा कारोबारी हीं नहीं, बल्कि थोक कारोबारियों के लिए भी मुसीबत बन गयी है. छोटे कारोबारियों द्वारा भुगतान करने के दौरान सिक्का देने की कोशिश की जाती है, लेकिन सिक्का लेने में परेशानी इसलिए है कि बैंकों द्वारा सिक्का नहीं लिया जाता है. अब जब बैंकों द्वारा सिक्का नहीं लिया जाएगा तो थोक विक्रेता सिक्का को लेकर क्या करेंगे, क्योंकि थोक विक्रेताओं को अपना अधिकतर भुगतान चेक या डिजिटल बैंकिंग के माध्यम से करना पड़ता है.
रामएकबाल झा, अखबार हॉकर: अखबार बेचकर जीवन-यापन करनेवाले रामएकवाल झा ने बताया कि अखबार बेच कर ही उनका जीवनयापन चलता है. अखबार का भुगतान ज्यादातर सिक्के के माध्यम से हीं होता हैं. ज्यादातर ग्राहक खुदरा के रूप में सिक्का हीं देते हैं. कुछ बड़ी नोट मिलती है तो खुदरा कम होता है, लेकिन ग्राहक भी सिक्का लेने से कतराते हैं. थोक विक्रेता से लेकर बैंक तक सिक्का लेने से परहेज करने लगे हैं, जिससे खुदरा कारोबारियों के लिए सिक्का मुसीबत बन गयी है.
मुकेश कुमार गुप्ता, व्यवसायी: दुकानों में जमा हो रहे सिक्के के रूप में खुदरा रूपया छोटे कारोबारियों के लिए गले की फांस बनती जा रही है. बाजार में सिक्का की काफी अहमियत है, लेकिन वहीं सिक्का इन दिनों स्थानीय कारोबारियों के लिए मुसीबत बन गयी है, क्योंकि इन दिनों सिक्का न तो थोक कारोबारी लेना चाहते हैं और न बैंक द्वारा लिया जा रहा है.
विकास कुमार सिंह, व्यवसायी: एजेंसी मालिक विकास कुमार सिंह ने बताया कि उनका धंधा पूरी तरह खुदरा यानी सिक्का पर निर्भर है. सिक्का के बिना कारोबार नहीं किया जा सकता. छोटे विक्रेता उन्हें सिक्का के रूप में भुगतान करते हैं, लेकिन वही सिक्का लेकर जब बैंक में जमा करने जाते हैं, तो लेने से इनकार कर दिया जाता हैं.
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