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मां शैलपुत्री की आराधना के साथ नवरात्र शुरू

सीतामढ़ी : आश्विन शुक्ल पक्ष की पहली तिथि यानी गुरुवार से कलश स्थापन व आदि शक्ति जगदंबा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना के साथ ही नौ रातों के समूह नवरात्रा का भव्य शुभारंभ हुआ. मंदिरों व पूजा पंडालों में लगे ध्वनि विस्तारक यंत्रों से निकल रही मां की जयकारा व भजन की गूंज […]

सीतामढ़ी : आश्विन शुक्ल पक्ष की पहली तिथि यानी गुरुवार से कलश स्थापन व आदि शक्ति जगदंबा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना के साथ ही नौ रातों के समूह नवरात्रा का भव्य शुभारंभ हुआ. मंदिरों व पूजा पंडालों में लगे ध्वनि विस्तारक यंत्रों से निकल रही मां की जयकारा व भजन की गूंज से लोगों की आंखें खुली.

आंखें खुलते ही आदि शक्ति जगदंबा को प्रसन्न करने की तैयारी में माता रानी के लाखों भक्त जुट गये. हर घर को शुद्ध बनाया गया. पंडितों द्वारा बताये गये विधि-विधान के अनुसार कलश स्थापना की गयी. पूरे भक्ति-भाव के साथ माता रानी के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-आराधना व आरती की गई. इसके साथ ही मां शेरावाली की जयकारा व भक्ति-भजन से संपूर्ण वातावरण अगले नौ दिनों तक के लिए गुंजायमान हो उठा है. माता रानी के हजारों भक्तों ने मां की कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास के साथ पूजा-अर्चना का शुभारंभ किया. यह सिलसिला अगले नौ दिनों तक चलेगा.

शैलपुत्री की शक्ति व महिमा है अनंत : कथा के अनुसार शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में अवतार लेने के कारण मां के प्रथम स्वरूप को शैलपुत्री कहा गया. इससे पूर्व जन्म में मां शक्ति प्रजापति दक्ष की कन्या थी. तब उनका नाम सती था और शिव के साथ उनका विवाह हुआ. प्रजापति दक्ष द्वारा यज्ञ का आयोजन किया गया,
जिसमें भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा गया. फिर भी सती यज्ञ देखने पिता दक्ष के यहां पहुंची, लेकिन यज्ञ में भगवान शिव को भाग नहीं दिया गया था, जिसे देखकर सती काफी आक्रोशित हो गयी और हवन कुंड में कूदकर अपने शरीर को भष्म कर ली. कथा के अनुसार हेमवती स्वरूप से मां जगदंबा ने देवताओं का गर्व भंजन किया था. नवदुर्गा में प्रथम शैलपुत्री का महत्व व शक्ति अनंत माना गया है.
मां को प्रसन्न करने के लिए व्यसनों से रहना चाहिए दूर : विधान के अनुसार यदि कोई भक्त सभी व्रत नहीं भी रख पाए तो कम से कम पहला और अंतिम व्रत अवश्य रखना चाहिए. नवरात्र के दौरान प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू व पान मसाले आदि व्यसनों से दूर रहना चाहिए. इसके अलावा क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए. घर में भूलकर भी कलह-क्लेश न हो इसका ध्यान रखना चाहिए. मान्यता के अनुसार मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन माता रानी को शहद व इत्र चढ़ाना चाहिए और नौ दिनों के बाद बचे हुए इत्र व शहद को प्रतिदिन माता रानी का स्मरण करते हुए उपयोग करना चाहिए.
इससे माता रानी की कृपा भक्तों पर हमेशा बनी रहती है.
सीतामढ़ी ़ शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन गुरुवार को दुर्गा पूजा समिति, सुरसंड के तत्वावधान में स्थानीय बाबा गरीबनाथ परिसर स्थित दुर्गा मंडप से गाजे-बाजे के साथ भव्य कलश शोभा यात्रा निकाली गयी, जिसमें शामिल 15 हजार कुंवारी कन्याओं के साथ हजारों महिला व पुरुष श्रद्धालओं ने भाग लिया. शोभायात्रा में शामिल कन्याएं ऐतिहासिक बूढ़ा पोखर से कलश में जल भर कर विभिन्न मार्गों से भ्रमण करते हुए पुन: पूजा स्थल पर पहुंची. इस दौरान विहंगम दृश्य बना रहा.
कलश शोभा यात्रा से माहौल भक्तिमय : चोरौत . प्रखंड के मुख्यालय सहित क्रमश: अमनपुर, बर्री बेहटा, परिगामा, भंटाबारी व यद्दुपट्टी में विभिन्न पूजा समितियों द्वारा मां दुर्गा समेत अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर दुर्गा पूजा मनाया जा रहा है. नवरात्र के प्रथम दिन विभिन्न पूजा समितियों द्वारा कलश शोभायात्रा निकाली गयी. आचार्य विनोदा नंद झा व दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष रामकृपाल ठाकुर के नेतृत्व में गाजे-बाजे के साथ 301 कुंवारी कन्याओं ने रथ सवार देवी दुर्गा की मनमोहक झांकी के साथ पूजा स्थल से नकल कर मुसहरी टोल होते व विभिन्न चौक से यद्दुपट्टी बाजार के समीप रातो नदी से कलश भर कर पुन: उसी रास्ते से पूजा स्थल पहुंची. वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ प्रथम दिन देवी शैल पुत्री की पूजा शुरू की गयी. शोभा यात्रा में रंजेश ठाकुर, श्याम शंकर चौधरी, दीनबंधु पूर्वे, मनीष झा, उपेंद्र मिश्र, अशोक ठाकुर, बेचन कुमार चौधरी, महेश्वर चौधरी, मनोज मिश्र, रमन कुमार झा, राजदयाल चौधरी व इमदेश्वर झा समेत अन्य शामिल थे.

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