गांव में आज भी पक्की सड़क का नहीं हुआ िनर्माण, बरसात में होती है भारी परेशानी
राजीव गांधी विद्युतीकरण के नाम पर कंपनी द्वारा केवल खानापूर्ति के तहत कहीं-कहीं बिजली का खंभा खड़ा कर गांव में बिजली होने की अनुभूति करा रहा है.
बलिया बेलौन : क्षेत्र के शेखपुरा पंचायत आजादी के छह दशक बाद भी ढिबरी युग में जीने को विवश हैं. राजीव गांधी विद्युतीकरण के नाम पर कंपनी द्वारा केवल खानापूर्ति के तहत कहीं-कहीं बिजली का खंभा खड़ा कर गांव में बिजली होने की अनुभूति करा रहा है. पंचायत के कोर्रा, नारायणपुर, शेखपुरा, निस्ता, मंझीक आदि गांव बिजली, सड़क, स्वास्थ्य सुविधा से वंचित रहने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पंचायत की आधी आबादी महानंदा नदी की चपेट में होने से लोग विस्थापित का जीवन गुजारने को विवश हो रहे हैं.
इसके साथ ही मझौक, निस्ता, बीसनपुर, के लोग साल के छह माह नदी धार को नाव के सहारे पार कर अपना काम करते हैं. पंचायत में उच्च शिक्षा के नाम पर एक भी हाइ स्कूल नहीं है. स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से ग्रामीणों करे निजी चिकित्सक के सहारे इलाज कराने को विवश होना पड़ रहा है.
कहते हैं ग्रामीण
पंचायत की मुखिया अंजलि सरकार ने कहा कि पंचायत स्तर पर अच्छा विकास हुआ है. कच्ची सड़क में ईंट सोलिंग, इंदिरा आवास, वृद्धा पेंशन, मनरेगा से काम किया गया है. लोजपा प्रखंड अध्यक्ष मो एकबाल हुसैन ने कहा कि राज्य सरकार की कल्याणकारी योजना का लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल रहा है.
सलीक आलम ने कहा कि सरकार घोषणा करती है कि घर-घर बिजली पहुंचाना है. यहां यह घोषणा छलावा सिद्ध हो रहा है. मो यासीर ने कहा कि सांसद, विधायक की घोषणा करने के बाद भी प्रधानमंत्री मुख्य सड़क योजना का एक भी काम नहीं हुआ है.