लापरवाही. पुरनहिया के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में विभाग ने िकया पदस्थापित
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सृजित पद नहीं, वेतन उठा रहे लिपिक
लापरवाही. पुरनहिया के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में विभाग ने िकया पदस्थापित 2012 से काम कर रहा कर्मचारी पुरनहिया(शिवहर) : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पुरनहिया में लिपिक का पद सृजित नहीं रहने के बावजूद लिपिक द्वारा वेतन निकासी करने का मामला सामने आया है. चौंकाने वाली बात है कि वेतन कोषागार द्वारा बेरोक टोक पास भी किया […]
2012 से काम कर रहा कर्मचारी
पुरनहिया(शिवहर) : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पुरनहिया में लिपिक का पद सृजित नहीं रहने के बावजूद लिपिक द्वारा वेतन निकासी करने का मामला सामने आया है. चौंकाने वाली बात है कि वेतन कोषागार द्वारा बेरोक टोक पास भी किया जा रहा है. मामला पीएचसी के कार्यरत किरानी लुकेश कुमार से जुड़ा है. सवाल उनके बहाली को लेकर नहीं है. बल्कि पद स्वीकृत नहीं रहने पर किस हालत में उन्हें पदस्थापित किया गया. इस पर सवाल खड़ा किया जा रहा है.
विभागीय निर्देश पर गौर करें तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा 25 मार्च 2006 को पूरे राज्य में 135 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की गयी. जिसमें 73 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को उत्क्रमित कर पीएचसी बनाया गया. जबकि 62 को नवसृजित के रूप में पीएचसी स्थापित किया गया. उसके बाद विभाग द्वारा उत्क्रमित एवं नवसृजित पीएचसी के अनुरूप पदाधिकारियों व कर्मियों के पद का सृजन भी कर दिया गया. जिसमें पुरनहिया का भी नाम भी शामिल है. विभाग के ज्ञापांक 617(10) दिनांक 20 मार्च 2006 के आलोक में भवन निर्माण से संबंधित राशि के व्यय की स्वीकृति दी गयी थी.
जिसके अनुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पुरनहिया को उत्क्रमित की सूची में रखते हुए सीतामढ़ी जिला अंतर्गत दर्शाया गया था. किंतु सिविल सर्जन के पत्रांक 321 दिनांक दो मार्च 2007 के आलोक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुद्धि पत्र जारी किया गया. जिसमें पीएचसी पुरनहिया को शिवहर जिला अंतर्गत मानकर उक्त प्रखंड में भवन निर्माण हेतु पूर्व के आवंटन को संशोधित समझे जाने एवं शेष को यथावत रहने की बात कही गयी. यहां विभागीय खेल को समझने की जरूरत है.
एक ओर पुरनहिया को अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से पीएचसी में उत्क्रमित दिखाया जा रहा है. जबकि यहां पूर्व से कोई पीएचसी नहीं है. इसकी पुष्टि सिविल सर्जन के अनेक पत्रों समेत पत्रांक 555 दिनांक 19 मई 2010 से भी होती है. जिसमें प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग से पीएचसी पुरनहिया को उत्क्रमण की श्रेणी से हटा कर नवसृजित की श्रेणी में रखते हुए उसके अनुरूप पद सृजन की मांग की गयी है.
ताकि इसका संचालन व्यवस्थित रूप से हो सके. विभागीय निर्देश के अनुसार उत्क्रमित पीएचसी पर लिपिक का पद सृजित नहीं किया गया है. यहां पूर्व से पीएचसी है भी नहीं. ऐसे में इस पद पर एक लिपिक लुकेश कुमार अगस्त 2012 से कैसे कार्य कर रहे हैं. यह सवाल बना हुआ है.
मामले में विभाग ने साधी चुप्पी
इसमें वित्तीय गड़बड़ी का मामला भी प्रथम दृष्टया सामने आ रही है. किंतु विभाग इस मामले में चुप्पी साध रखा है. इस संबंध में पीएचसी प्रभारी डॉ त्रिलोकी शर्मा ने बताया कि उन्हे इस बाबत पूर्व से कोई जानकारी नहीं है. मामले में उच्चाधिकारी से मार्गदर्शन लिया जायेगा. जबकि सिविल सर्जन डॉ बिसंभर ठाकुर पूछे जाने पर कुछ भी बताने से परहेज करते नजर आये. हालांकि उन्होंने विभागीय पत्र के आलोक में स्वास्थ्य विभाग से पत्राचार करने की बात कही है.
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