करगहर.
प्रखंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय लोहरा में जाने के लिए रास्ता की सुविधा नहीं है. इससे स्कूल के स्टूडेंट्स व टीचर पगडंडी के सहारे विद्यालय पहुंचते हैं. बरसात के दिनों उक्त पगडंडियों पर कीचड़ व घास लगने के कारण यह खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. विद्यालय तक रास्ते का निर्माण नहीं होने का प्रमुख कारण विद्यालय तक जाने वाले रास्ते को कुछ लोगों द्वारा जोतकर खेत में मिला लेना है. विद्यालय में नामित बच्चों की संख्या 90 हैं. जिन्हें पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापिका निर्मला कुमारी सहित चार सहायक शिक्षकों की तैनाती विभाग से की गयी है. बच्चे ही नहीं, शिक्षक को भी स्कूल तक आने-जाने में असुविधा होती है. इस संबंध में प्रधानाध्यापिका निर्मला कुमारी ने बताया कि विद्यालय का रास्ता निर्माण को लेकर मुखिया व अन्य जनप्रतिनिधियों सहित ग्रामीणों के साथ बैठक कर कई बार रास्ते की मांग की गयी. लेकिन, निजी जमीन होने के कारण ग्रामीण रास्ता देने से कतरा रहे हैं. इसके कारण यह समस्या उत्पन्न है. गौरतलब है कि गत वर्ष लेहरा गांव के ग्रामीणों ने धन के पौधे लगे खेतों से होकर स्कूल जाने वाले बच्चों को रोक दिया था. इससे चार दिनों तक स्कूल में शैक्षणिक कार्य वाधित रहा था. लेकिन, तत्कालीन डीएम नवीन कुमार के निर्देश पर स्थानीय प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों से बातचीत कर बच्चों को स्कूल पहुंचा स्कूल में शैक्षणिक कार्य को चालू करवाया था. डीएम ने सीओ करगहर को स्कूल तक जाने वाली सरकारी छवर को किसानों की जोत से मुक्त करा उक्त छवर पर विद्यालय तक जाने के लिए रास्ता बनवाने का निर्देश बीडीओ दिया था. लेकिन प्रशासनिक उदासिनता के चलते एक बार फिर स्कूल के बच्चों और शिक्षकों को बरसात के मौसम में पानी भरे खेतों से होकर स्कूल जाना पड़ रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है