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मूल्य पूरक शक्षिा नीति अपनाने पर बल

मूल्य पूरक शिक्षा नीति अपनाने पर बलनयी शिक्षा नीति पर हुई संगोष्ठी नोट. फोटो नंबर 15 सीएचपी 10 है. कैप्सन होगा- संगोष्ठी में शामिल अतिथि संवाददाता, छपराशिक्षा नीति देश की आवश्यकता के अनुरूप होनी चाहिए. केवल सूचना को शिक्षा समझने के बजाय मूल्य पूरक शिक्षा को अपनायी जानी चाहिए. उपरोक्त विचारों का उद्गार सरस्वती शिशु […]

मूल्य पूरक शिक्षा नीति अपनाने पर बलनयी शिक्षा नीति पर हुई संगोष्ठी नोट. फोटो नंबर 15 सीएचपी 10 है. कैप्सन होगा- संगोष्ठी में शामिल अतिथि संवाददाता, छपराशिक्षा नीति देश की आवश्यकता के अनुरूप होनी चाहिए. केवल सूचना को शिक्षा समझने के बजाय मूल्य पूरक शिक्षा को अपनायी जानी चाहिए. उपरोक्त विचारों का उद्गार सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में आयोजित नयी शिक्षा नीति विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने किया. कार्यक्रम का उद्घाटन शिक्षा संस्कृति उत्थान समिति के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी, डॉ उषा वर्मा, दिलीप झा, विद्या भारती के क्षेत्रीय सचिव प्रेमनाथ पांडेय, शिक्षा बचाओ आंदोलन के ललन झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. अतिथियों का स्वागत एवं परिचय प्राप्त रामदयाल शर्मा ने कराया. प्रस्तावना प्रेमनाथ पांडेय ने प्रस्तुत किया. अपने संबोधन में दिनेश प्रसाद सिंह ने कहा कि पाठ्यक्रम बनानेवाले प्रत्यक्ष शिक्षा देनेवाले नहीं होते. इसी कारण से उनका क्रियान्वयन संभव नहीं हो पाता. लालबाबू यादव ने मैकाले की शिक्षा नीति को ही फेरबदल कर देश में चलाने की बात कहते हुए कहा कि वर्तमान में कौशल एवं शिक्षा को अलग कर शिक्षा के महत्व को और भी कम कर दिया गया है. भारत आध्यात्मिक देश है, अत: यहां मूल्य पूरक शिक्षा नीति चाहिए. इन्फाॅर्मेशन के बजाय ट्रांसफाॅर्मेशन अपनाना होगा. अतुल कोठारी ने चरित्र निर्माण व व्यक्तित्व विकासवाली शिक्षा की वकालत की. डॉ सुधा वर्मा ने राष्ट्र भाषा व मातृ भाषा में शिक्षा दिये जाने का विचार रखा. धन्यवाद ज्ञापन सचिव डॉ सुरेश प्रसाद सिंह ने किया.

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