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बोतल बंद पानी का इस्तेमाल काफी फायदेमंद

बोतल बंद पानी का इस्तेमाल काफी फायदेमंदपानी में टीडीएस कम होने से स्वास्थ्य के लिए है काफी लाभप्रदआर्थिक दृष्टिकोण से भी इसका इस्तेमाल है फायदेमंदशहरी क्षेत्रों के अलावा अब ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ी है डिमांडसंवाददाता, दिघवाराबदलते जमाने के साथ लोगों के खानपान के तरीकों में तेजी से बदलाव आया है. कल तक जहां लोग […]

बोतल बंद पानी का इस्तेमाल काफी फायदेमंदपानी में टीडीएस कम होने से स्वास्थ्य के लिए है काफी लाभप्रदआर्थिक दृष्टिकोण से भी इसका इस्तेमाल है फायदेमंदशहरी क्षेत्रों के अलावा अब ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ी है डिमांडसंवाददाता, दिघवाराबदलते जमाने के साथ लोगों के खानपान के तरीकों में तेजी से बदलाव आया है. कल तक जहां लोग आमतौर पर चापाकल का पानी पीते थे, अब उन जगहों पर मोटर का ताजा व बोतल बंद पानी का इस्तेमाल करने लगे हैं. आर्थिक व स्वास्थ्य दोनों दृष्टिकोण से बोतल बंद पानी अपनी उपयोगिता साबित कर रही है. शहरों की कौन कहे, ग्रामीण इलाकों में भी बोतल बंद पानी की सप्लाई तेजी से बढ़ी है. मांग बढ़ने से साबित होता है कि इस पानी को लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं.स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से है फायदेमंदऐसे बड़े हैंडिलवाले चापाकलों को छोड़ कर अन्य चापाकलों का पानी अब पीने योग्य नहीं है. ऐसे पानी के उपयोग से पानी जनित रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. लिहाजा वक्त की नजाकत व स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लोग बोतल बंद पानी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इस तरह के पानी का उपयोग करने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना काफी कम हो जाती है. पानी में कम होता है टीडीएस बोतल बंद पानी में मिनरल वाटर की तरह टीडीएस की मात्रा काफी कम होती है, जिस कारण यह पानी ज्यादा समय तक उपयोगी होता है. पानी में टीडीएस (टोटल डिजॉल्बड सॉलिड) कम होना पानी की गुणवत्ता का परिचायक है. ऐसा भी नहीं है कि बिना टीडीएस वाला पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है.कुटीर उद्योग की शक्ल ले रहा है पानी उद्योग अब तो छोटे-छोटे गांवों में भी लोग बोतल बंद पानी का उपयोग करने लगे हैं, जिस कारण पानी का व्यवसाय कुटीर उद्योग की शक्ल लेता जा रहा है. लगभग पांच लाख रुपये की लागत से वाटर प्लांट को स्थापित किया जाता है. बाद में इसी प्लांट के सहारे नगर व गांवों में पानी की सप्लाई की जाती है. एक प्लांट से लगभग 10 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता है. पानी की मांग होने से प्लांट में पूंजी लगाने में कोई भी व्यक्ति झिझक नहीं करता है. कहीं-कहीं तो लोग बैंकों से लोन लेकर भी वाटर प्लांट को स्थापित कर अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.स्टोन से बचने के लिए करें उपयोगदिघवारा प्रखंडाधीन क्षेत्रों में इन दिनों तेजी से स्टोन के रोगियों की संख्या बढ़ी है. कहीं न कहीं ऐसे रोगियों के शरीर में मौजूद स्टोन के लिए प्रदूषित पानी जिम्मेवार है. डॉक्टरों की मानें, तो उनके यहां आनेवाले अधिकतर पेट दर्द के मरीजों का जब अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट आता है, तो उस रिपोर्ट में स्टोन की मौजूदगी का जिक्र होता है. महिलाओं के गॉल ब्लाडर व किडनियों में स्टोन के मिलने के मामले में तेजी से बढ़े हैं. पुरुषों में भी कई लोग स्टोन के शिकार हैं.कैसे काम करता है प्लांटनगर के राइपट्टी व ग्रामीण इलाकों के रामदासचक व आमी में वाटर प्लांट स्थापित है. राइपट्टी वाटर प्लांट के संचालक रोशन ने बताया कि सबसे पहले पानी को प्यूरीफायर में शुद्ध कर उसमें टीडीएस कम किया जाता है. फिर ऐसे पानी को बोतल में बंद कर उसकी सप्लाई की जाती है. गरमी के दिनों में मांग बढ़ जाती है. वहीं, ठंड में मांग में थोड़ी कमी आती है. हर जगह के लोग ऐसे पानी के आदी हो गये हैं. वहीं, वैवाहिक व अन्य आयोजनों में भी बोतल बंद पानी की खूब मांग है.क्या कहते हैं डॉक्टर बोतल बंद पानी से आर्थिक बजट पर दबाव बढ़ता है, मगर स्वास्थ्य उत्तम रहता है. ऐसे पानी के उपयोग से कॉलरा, हेपेटाइटिस, एच पाइलोरी, डिसेंट्री समेत कई पानी जनित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. डॉ जहीर अहमद, चिकित्सक, दिघवाराइन दिनों स्टोन के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. शुद्ध पानी के उपयोग से पानी जनित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है, जिससे लोग बड़ी बीमारी का शिकार होने से बच जाते हैं.डॉ टीएन पंडित, चिकित्सक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दिघवारा

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