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नये साल में पुल पर दौड़ेंगी ट्रेनें

नये साल में पुल पर दौड़ेंगी ट्रेनेंहसरत जो नहीं हुई पूरी. ट्रेन से पटना जाने की हसरत इस वर्ष भी रह गयी अधूरी वर्ष 2015 तेजी से समाप्ति की ओर अग्रसर है. जल्द ही हमलोग नववर्ष-2016 के आगमन के उल्लास में सराबोर हो जायेंगे. इस उल्लास के बीच क्षेत्र के लोगों के अंदर अपनी चिर […]

नये साल में पुल पर दौड़ेंगी ट्रेनेंहसरत जो नहीं हुई पूरी. ट्रेन से पटना जाने की हसरत इस वर्ष भी रह गयी अधूरी वर्ष 2015 तेजी से समाप्ति की ओर अग्रसर है. जल्द ही हमलोग नववर्ष-2016 के आगमन के उल्लास में सराबोर हो जायेंगे. इस उल्लास के बीच क्षेत्र के लोगों के अंदर अपनी चिर प्रतीक्षित हसरतों के पूर्ण नहीं होने की कसक भी दिखेगी. रेलवे का ड्रीम प्रोजेक्ट मानेजाने वाले इस पुल का निर्माण कार्य पूरा हो गया है. बावजूद इसके इस वर्ष यात्री ट्रेनें पुल से गुजर नहीं सकीं. क्षेत्र के लोगों की ट्रेन से ‘राजधानी’ जाने की हसरत इस वर्ष अधूरी रह गयी. लोगों की यह हसरत वर्ष 2016 में पूरी हो जायेगी. 12 साल से पुल के सहारे पटना जाने का सपना इस वर्ष भी पूरा नहीं हो सका. रेल पुल बन कर तैयार, लाइट इंजन का हो चुका है ट्रायलपहलेजा स्टेशन पर युद्ध स्तर पर हो रहा है निर्माण कार्यउत्तर बिहार का दक्षिण बिहार से बढ़ेगा संपर्कवर्ष 2003 में शुरू हुआ था पुल का निर्माण, 2015 में पूरा हुआ पुलपूर्व मध्य रेलवे अधीन दीघा-पहलेजा रेल सह सड़क पुल पर अभी दौड़ेगी सिर्फ ट्रेनेंनोट: फोटो मेल से भेजा गया है. संवाददाता, दिघवाराहर साल की तरह इस वर्ष भी क्षेत्र के लोगों की ट्रेन से ‘राजधानी (पटना)’ जाने की हसरत पूरी नहीं हो सकी. न ट्रेन से पुल के गुजरने के समय का रोमांचकारी अनुभव मिल सका और न ही पुल इस वर्ष अपने माध्यम से उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ने के अपने उद्देश्य को पूरा कर सका. ट्रेन से पटना जाने का सपना नववर्ष में पूरा हो जायेगा. पुल की यात्रा की हसरत अगले साल ही पूरी होगी. फिर यात्रियों के लिए ‘अच्छे दिन’ आयेंगे. भले ही 12 साल से पुल पर चढ़ने का सपना पूरा न हो सका, मगर अगले साल यह हसरत पूरी हो जायेगी. 1996 में शुरू हुआ था सर्वेवर्ष 1996 में तत्कालीन रेलमंत्री राविलास पासवान की पहल पर रेल पुल बनाने के लिए सर्वे शुरू हुआ. सर्वे का काम दीघा-सोनपुर, गुलजारबाग, हाजीपुर व एलसीटी घाट, सोनपुर के बीच शुरू हुआ मगर दीघा-पहलेजा साइट को मंजूरी मिली. नीतीश के कार्यकाल में मिली मंजूरीपहलेजा दीघा के बीच रेल पुल बनाने की मंजूरी तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में मिली. इस रेल सह सड़क पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2003 में शुरू हुआ एवं निर्माण कार्य शुरू होने के पांच वर्षों के अंदर पुल के बन कर तैयार होने की बात कही गयी थी, मगर पुल के बनने में 12 वर्ष लग गये. रेल पुल तो शुरू हो होने को है, मगर सड़क पुल शुरू होने में वक्त लगेगा. वर्ष 2006 में पास हुआ रेल के साथ सड़क पुल का प्रस्ताववर्ष 2003 में जब पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, उस वर्ष सिर्फ रेल पुल बनने का प्रस्ताव था. मगर, वर्ष 2006 में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने रेल पुल के समतुल्य सड़क पुल बनाने की स्वीकृति दिलायी. पूर्व मध्य रेलवे के तहत बनने वाले इस पुल पर अभी सिर्फ ट्रेनें दौड़ेंगी. बीते आठ अगस्त को पुल पर लाइट इंजन का ट्रायल होने के बाद इसी वर्ष ट्रेन चलने की उम्मीद बढ़ गयी थी. मगर, अगले वर्ष के शुरुआती महीने में ट्रेनें पुल के सहारे दौड़ लगाती हुईं राजधानी तक पहुंचेंगी. सड़क पुल शुरू होने में अभी काफी वक्त लगेगा. क्योंकि, संपर्क सड़क बनाने जैसे कई कार्य अभी अधूरे हैं. पुल शुरू होने से होंगे कई फायदेरेल पुल शुरू हो जाने से उत्तर व दक्षिण बिहार के लोगों का जुड़ाव बढ़ेगा. महात्मा गांधी सेतु पर यात्रियों का दबाव कम होगा. कई जिलों के लोग कम समय में राजधानी पहुंच सकेंगे. व्यापारी, किसान, रोगी, विद्यार्थी, दैनिक यात्री व नौकरीपेशा लोगों की परेशानियां कम होंगी. यात्रा के पॉकेट पर दबाव कम होगा. वहीं यात्रा सुविधाजनक होगी. गंतव्यों तक पहुंचने में कम वक्त लगेगा.

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