जापान व इटली में भी लाला की फैली कृतिशिल्पकार लाला पंडित की कलाकृतियों को रखा गया है विदेशों के म्यूजियमों मेंमूर्ति बनाने के लिए 10 बार जापान जा चुके हैं बिहारी शिल्पकार इटली के प्रसिद्ध शिल्पकार टारसिटोनुकेला के साथ कार्य करने का अनुभव है लाला पंडित कोफिल्म हमको तुमसे प्यार है में अमीषा पटेल ने इसी कला से बनायी थी अर्जुन रामपाल की मूर्ति नोट. फोटो मेल से भेजा गया है. संवाददाता, दिघवारा/सोनपुरसोनपुर मेले में कलाकारों, कला व शिल्पियों का जमावड़ा है. इस मेले में हर फन के जादूगर हैं. मेले के कला व शिल्प ग्राम में उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान केंद्र, पटना की कलाकृतियां इन दिनों खूब चर्चा में है. उम्र के बढ़ते पड़ावों के बीच लाला पंडित द्वारा निर्मित कलाकृतियां हर किसी को लुभा रही हैं. मिट्टी पर अंगुलियों की थिरकन देख कर हर कोई हतप्रभ रह जाता है और जब मूर्ति बन कर तैयार होती है, तो देखनेवाला हर कोई इस 61 वर्षीय लाला पंडित की कला कौशल का मुरीद बन जाता है. जापान व इटली के म्यूजियमों में है लाला की कलाकृतियांदरभंगा जिले के मौलागंज कुम्हार टोली निवासी लाला बताते हैं कि मूर्ति बनाने की कला उनको विरासत में मिली एवं पिता द्वारा सिखाये इस गुण को और विकसित कर उन्होंने टेराकोटा विधि के तहत मूर्तियों को बनाना शुरू किया और फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. श्री पंडित के अनुसार, मूर्ति बनाने वह कई देशों में जा चुके हैं. जापान के मिथिला म्यूजियम में आज भी उनकी बनायी कलाकृतियां सैलानियों को रिझाती हैं. वहीं, इटली के प्रसिद्ध शिल्पकार टारसिटोनुकेला के सहयोग से बनायी मूर्ति इटली के म्यूजियम में आकर्षण का केंद्र है. शिल्पकार श्री पंडित के अनुसार, उनकी कलाकृतियों की जापान में खूब डिमांड है. इसी कारण वह 18 वर्षों के अंदर 10 बार जापान जा चुके हैं. क्राफ्ट म्यूजियम में कलाकृतियों की खूब होती है चर्चाश्री पंडित के अनुसार, वह दिल्ली, मुंबई, जयपुर जैसे बड़े शहरों में लगनेवाले क्राफ्ट म्यूजियम मेले में कई बार शिरकत कर चुके हैं एवं उनके हाथों की बनी मूर्तियों को सैलानियों ने खूब पसंद किया है. मूर्ति के जीवंत स्वरूप को देख कर हर कोई हतप्रभ व रोमांचित हो उठता है. समय-समय पर वह अपनी कला की नुमाइश करने विश्व प्रसिद्ध मेलों में जाते हैं. 12 से 15 दिनों में बनती है एक मूर्तिसोनपुर मेले में सिर्फ टेराकोटा कलाकृति से दर्शनार्थियों को रू-ब-रू कराने पहुंचे शिल्पकार लाला बताते हैं कि किसी पुरुष या महिला का चेहरा देख कर वह उसकी मूर्ति बना सकते हैं. मूर्ति बनाने के समय फोटो की भी आवश्यकता नहीं होती है. अनुभव के सहारे मूर्ति को बनाने में 12 से 15 दिनों का वक्त लगता है. एक मूर्ति का दाम 16 से 25 हजार बकौल लाला मूर्ति बनाने में समय व मेहनत के साथ अच्छी राशि खर्च होती है. एक बनी मूर्ति को पकाने में लगभग छह क्विंटल लकड़ी खर्च होती है. वहीं, टेराकोटा मूर्ति को कलर में करने में कीमती रंग लगता है, जिस कारण बनी मूर्ति पर लागत खर्च ज्यादा लगता है. तैयार मूर्ति की बाजार में कीमत 16 से 25 हजार होती है. मूर्तियों के देश में कम है कद्रदान शिल्पकार श्री पंडित की मानें, तो उनकी कला के कद्रदान देश में कम विदेशों में ज्यादा हैं. ग्रामीण दृश्यों पर बनीं मूर्तियों के दाम देश में कम मिलते हैं. फिल्म में भी देख चुके हैं टेराकोटा आर्टलाला पंडित के आर्ट की झलक फिल्म हमको तुमसे प्यार है में अंधी अमीषा पटेल इसी आर्ट के सहारे अनुभव से हीरो अर्जुन रामपाल की मिट्टी की मूर्ति बनाती है. क्या है टेराकोटा आर्ट :- बॉक्स के लिएटेराकोटा आर्ट मूर्ति बनाने की एक विधा है. इस आर्ट में शिल्पकार बिना किसी सांचे के मूर्ति का निर्माण करता है. पहले मूर्ति के लिए मिट्टी को थोपा जाता है, फिर इन थोपी मिट्टी में बांस की छोटी कमची से आकृतियां उकेरी जाती है. मूर्ति बनाने की इस कला में पारंगत शिल्पकार ही जीवंत मूर्ति बना पाते हैं.
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जापान व इटली में भी लाला की फैली कृति
जापान व इटली में भी लाला की फैली कृतिशिल्पकार लाला पंडित की कलाकृतियों को रखा गया है विदेशों के म्यूजियमों मेंमूर्ति बनाने के लिए 10 बार जापान जा चुके हैं बिहारी शिल्पकार इटली के प्रसिद्ध शिल्पकार टारसिटोनुकेला के साथ कार्य करने का अनुभव है लाला पंडित कोफिल्म हमको तुमसे प्यार है में अमीषा पटेल ने […]
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