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दवा विक्रेताओं के बंद का दिख रहा असर
छपरा : बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर जिले के दवा विक्रेताओं ने तीन दिनों तक थोक व खुदरा दवा दुकानों को बंद रहने का निर्णय लिया है. पहले दिन बंद का व्यापक असर देखने को मिला. शहर के श्री नंदन पथ स्थित मेडिसिन बाजार में सभी थोक दवा की दुकानें बंद रहीं. […]
छपरा : बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर जिले के दवा विक्रेताओं ने तीन दिनों तक थोक व खुदरा दवा दुकानों को बंद रहने का निर्णय लिया है. पहले दिन बंद का व्यापक असर देखने को मिला. शहर के श्री नंदन पथ स्थित मेडिसिन बाजार में सभी थोक दवा की दुकानें बंद रहीं.
मौना चौक, नगरपालिका चौक, भगवान बाजार, गांधी चौक, योगिनियां कोठी, साहेबगंज आदि इलाकों के बड़े व व्यस्ततम दवा दुकानों के बंद होने से काफी परेशानी बढ़ गयी है. सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्र से शहर आये मरीज व उनके परिजन दवा के लिए इधर-उधर भटकते नजर आये.
हालांकि दवा विक्रेता संघ ने सदर अस्पताल के सामने और जिले के निजी नर्सिंग होम में स्थित दवा दुकानों को बंद से अलग रखा है. जिससे थोड़ी बहुत राहत मिल रही है. हालांकि कई प्रमुख एंटीबायोटिक व अन्य जरूरी दवाएं मुश्किल से मिल पा रही हैं जिस कारण इलाज में परेशानी हो रही है.
धरना पर बैठे दवा विक्रेता : बुधवार को शहर के श्रीनंदन पथ में स्थित थोक दवा बाजार में सारण जिला औषधि विक्रेता संघ के तत्वावधान में जिले भर के सभी प्रमुख थोक व खुदरा दवा विक्रेता धरना पर बैठे. संघ के सचिव ज्ञानेश्वर प्रसाद जायसवाल ने बताया कि प्रांतीय संघ के आह्वान पर 24 जनवरी तक जिले के सभी दवा दुकानें बंद रहेंगी.
तीन दिनों तक धरना स्थल पर प्रदर्शन जारी रहेगा. उन्होंने बताया कि जब तक सरकार फार्मासिस्टों की समस्या का समाधान नहीं कर लेती और जानबूझकर दवा विक्रेताओं को प्रताड़ित करना बंद नहीं किया जाता तब तक हमारी मांगे जारी रहेंगी.
धरना में संयुक्त सचिव संजय सिंह, संगठन सचिव अभय कुमार, ललितेश्वर शर्मा, अनिल कुमार, अमित कुमार, विजय सिंह, मिंटू कुमार, संजय कुमार, आलोक कुमार, जितेंद्र कुमार, गजेंद्र प्रसाद, अरुण, सुरेश कुमार, प्रकाश कुमार, मदन मोहन सिंह आदि मौजूद रहे.
क्या है बंद का कारण : सारण जिला औषधि विक्रेता संघ के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने बताया कि सरकार का रवैया दवा विक्रेताओं के साथ पारदर्शी नहीं है. विगत 70 वर्षों से जिस नियम के तहत दवा दुकानें चल रही थीं.
उसमें अचानक से बदलाव करते हुए बिना उचित सुधार के ही सरकार ने हमें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया कि पहले ड्रग एक्ट 35/ए के तहत दवा दुकानों की जांच होती थी. 23 मार्च 2019 से उसे संशोधित करते हुए नया नियम 262/15 लागू किया गया. जिसके अंतर्गत यह प्रावधान है कि दवा दुकानों को अपने यहां फार्मासिस्ट रखना अनिवार्य होगा.
जबकि सरकार के पास फार्मासिस्ट की उपलब्धता है ही नहीं. ऐसे में दवा विक्रेताओं पर जानबुझकर दबाव बनाया जा रहा है. राज्य में कुल 42 हजार दवा विक्रेताओं को सरकार ने लाइसेंस निर्गत किया है. जबकि सात हजार ही फार्मासिस्ट उपलब्ध हैं. ऐसे में कैसे दुकानों में फार्मासिस्ट रखे जाये.
जबकि राज्य में एक भी सरकारी व निजी फार्मेसी की कॉलेज भी नहीं है. ऐसी परिस्थिति में सरकार कहती है कि फार्मासिस्ट रखें. जो संभव नहीं होता और इसी कारण हमें प्रताड़ित किया जाता है.
सदर अस्पताल के दवा काउंटर पर पहुंचे मरीज : दवा विक्रेताओं के बंद के बाद सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीजों की भीड़ नजर आयी. जेनरिक दवाओं के लिए अस्पताल के लिए काउंटर पर मरीज कतारबद्ध दिखे.
वहीं अस्पताल के सामने की दवा दुकानें जिन्हें संघ द्वारा बंद में शामिल नहीं किया गया है. उन पर भी दवा खरीदने के लिए भीड़ नजर आयी. जिले के सभी नर्सिंग होम में भी दवा दुकानें खुली है. जहां मरीज जरूरी दवाइयां खरीदने पहुंच रहे हैं. हालांकि सभी दवाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.
सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ हो रहा तीन दिवसीय बंद का आयोजन
फार्मासिस्ट की समस्या को लेकर सरकार जब तक समाधान नहीं देती और नियम के आड़ में विभागीय कार्रवाई के नाम पर हमें प्रताड़ित करना बंद नहीं किया जाता तब तक हमारी मांगे जारी रहेंगी. 24 तक बंद का आह्वान किया गया है. हालांकि निजी नर्सिंग होम व अस्पताल के सामने की दवा दुकानों को बंद से अलग रखा गया है.
अभिषेक कुमार, अध्यक्ष, सारण जिला औषधि विक्रेता संघ
औषधि विक्रेता संघ से वार्ता हुई है. हमने अनुरोध किया है कि कुछ दवा दुकानों को बंद से अलग रखा जाये. जिसे संघ ने मानते हुए निजी नर्सिंग होम व अस्पताल के सामने की दवा दुकानों को खुला रखने का निर्णय लिया है. जिले में इमरजेंसी के दौरान मरीजों को दवाएं उपलब्ध हो सके इसका ध्यान भी रखा जा रहा है.
सरिता कुमारी, सहायक औषधि नियंत्रक, सारण
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