छपरा : सारण की ऐसी बस्ती जो वर्षों से उपेक्षा का शिकार है, वहां के बच्चों में आजादी का उत्साह और ‘झंडा ऊंचा रहे हमारा’ की सोच देशभक्ति और तिरंगे के प्रति सम्मान का एक श्रेष्ठ उदाहरण है. शहर के राजेंद्र स्टेडियम के पीछे इस बस्ती के लोगों के पास न कोई आमदनी का ठिकाना है और न ही अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दे पाने का दृढ़ संकल्प.
बावजूद इसके अंतिम पायदान पर खड़े यहां के लोग स्वतंत्रता दिवस के इस सेलिब्रेशन में अपने सामर्थ्य के अनुसार शामिल होकर अग्रिम पंक्ति से तिरंगे को सलामी देने का प्रयास कर रहे हैं. बस्ती के बच्चों में 15 अगस्त को लेकर उत्साह है. सबने मिलकर अपने कस्बे की एक खाली जगह को साफ-सुथरा किया है. किसी के सहयोग से इन्हें पाइप और तिरंगा भी मिल गया है. इसी बस्ती के दो युवा प्रिंस कुमार और सुशील कुमार जो पढ़ेलिखे हैं उनके द्वारा बच्चों को राष्ट्रगान का अभ्यास भी कराया जा रहा है.
फटेहाल कपड़ो में रहने वाले इन बच्चों को भले ही राष्ट्रगान और इनके शब्दों का भावार्थ नहीं पता है लेकिन अपनी आजादी के लिए दिन-रात संघर्ष कर रहे यह बच्चे और इनका परिवार देश की आजादी का जश्न मनाते समय भावनाओं की श्रेष्ठता प्रदर्शित करेंगे. गरीब बस्ती के मासूम सुल्तान, भारती, शिल्पी, आरती समेत दर्जनों बच्चे बामुश्किल दो वक्त का भोजन कर पाते हैं. भरपेट खाना शायद ही किसी दिन नसीब होता है. यहां के लोग कचरा बीनने का काम करते हैं और उसमें इकठ्ठा हुई प्लास्टिक बेच कर रोटी का जुगाड़ करते हैं. यहां आज भी ऐसे कई परिवार हैं जिनका गुजारा भीख मांग कर चलता है. गाहे-बिगाहे इन गरीबों की दुआएं लेने संपन्न लोग यहां बिस्कुट और टॉफियां बांट जाते हैं. हालांकि 15 अगस्त को इन बच्चों के साथ आजादी को सेलिब्रेट करने शायद कोई नही आये लेकिन अपने खर्चे से बस्ती के लोग झंडोत्तोलन के बाद आपस में जलेबियां जरूर बाटेंगे. स्वतंत्रता दिवस पूरे जिले में धूमधाम से मनाया जायेगा. बस्ती से ठीक सटे स्टेडियम में मुख्य समारोह भी होगा लेकिन इस बार का पंद्रह अगस्त इन बच्चों के प्रयास के लिए हमेशा याद किया जायेगा.