कचहरी परिसर में अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान दुकानों को नष्ट किये जाने से उत्पन्न हुई समस्या
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150 परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट
कचहरी परिसर में अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान दुकानों को नष्ट किये जाने से उत्पन्न हुई समस्या समस्तीपुर : शहर का कचहरी परिसर जो वर्षों से लोगों को रोजी-रोटी का साधन उपलब्ध कराता रहा है, आज विरान बन गया है. यहां अतिक्रमण हटाओ अभियान का ऐसा डंडा चलाया गया कि आज सौ से अधिक परिवार […]
समस्तीपुर : शहर का कचहरी परिसर जो वर्षों से लोगों को रोजी-रोटी का साधन उपलब्ध कराता रहा है, आज विरान बन गया है. यहां अतिक्रमण हटाओ अभियान का ऐसा डंडा चलाया गया कि आज सौ से अधिक परिवार सड़क पर आ गये हैं. करीब 150 गरीब दुकानदारों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गयी है. सभी पर रोजी-रोटी का संकट आ गया है. हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि इन पर जिला प्रशासन ने कोई ज्यादती की है. इन दुकानदारों को पूर्व में ही सूचना देकर नियमानुकूल ही कार्रवाई की गयी है. लेकिन इस कार्रवाई ने फुटपाथी दुकानदारों के वर्षों से चल रही जीविका के साधन को समाप्त कर दिया है.
इस कार्रवाई से जिला प्रशासन को भी नुकसान हो रहा है. न्यायालय एवं सरकारी कार्यालयों के कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं. क्योंकि जिन अस्थायी दुकानों को हटाया गया है, उन में वर्षों से टाइपिंग, फोटो स्टेट, स्टेशनरी, नोटिस सम्मन फार्म, फोटो स्टूडियो, स्टांप वेंडर व चाय-नास्ते की दुकानें चल रही थीं. इनके अचानक बंद हो जाने से काम पर बुरा असर पड़ा है. न्यायालय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार को टाइपिंग नहीं होने के कारण न्यायालय के कई सुनवाई का डेट बढ़ा दिया गया है.
27 को हो सकता है फैसला, दुकानदारों की मानें तो इनमें आधे से अधिक दुकानें प्रशासनिक स्वीकृति से ही चल रही थीं. बताया जाता है कि 17 वर्ष पूर्व भी इस तरह का अभियान चलाया गया था. इसके बाद नगर प्रशासन ने करीब 70 दुकानदारों के लिए स्थायी व्यवस्था की थी. कचहरी परिसर का नक्सा भी बनाया गया था और नक्से के आधार पर दुकानों का आवंटन किया गया था. इससे संबंधित कागजात एसडीओ को उपलब्ध कराये गये हैं. विरोध प्रदर्शन एवं दुकानदारों की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस मसले पर फिर से विचार करने का निर्णय लिया है. संभवत: 28 को होने वाली बैठक में फैसला लिया जायेगा.
जगह हथियाने को ले होता है विवाद,
अतिक्रमण हटाये जाने के बाद कचहरी परिसर में एक नयी परेशानी शुरू हो गयी है. अब उन स्थानों पर कुछ लोगों ने जगह हथियाने का काम शुरू कर दिया है. इससे दिन भर हो हंगामा व वाद विवाद होता ही रहता है. कई मर्तबा तो इस विवाद में हाथापाई की नौबत भी आ जाती है. गुरुवार की सुबह भी कई मर्तबा इस स्थिति के उत्पन्न होने पर संघ के लोगों को बीच-बचाव करना पड़ा.
बताते चलें कि टाइपिस्ट संघ ने जिला प्रशासन को 46 एवं फोटो स्टेट के लिए 15 लोगों के नाम का लिस्ट भेजा है.
वर्षों से अस्थायी रूप से बनी दुकानों में चल रही थीं टाइपिंग, फोटो स्टेट, स्टेशनरी व चाय- नाश्ते की दुकानें
न्यायालय के साथ-साथ सरकारी कार्यालयों का काम भी प्रभावित, 28 को होगा इस मसले पर फैसला
एसडीओ के आश्वासन से जगी है आस
न्यायालय के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा की गयी इस कार्रवाई से दुकानदारों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है. हालांकि, बाद में एसडीओ के आश्वासन से लोगों में आस जगी है. टाइपिस्ट संघ के सचिव नीरज कुमार ने बताया कि दुकानदारों को अनुमंडलाधिकारी के आश्वासन से एक बार फिर आस जगी है. इन्होंने कहा कि जिला प्रशासन स्थायी दुकानें बनवा कर दें इसके लिए नियमानुसार जो भी रकम मांगी जायेगी हम देने के लिए तैयार हैं.
संघ के अध्यक्ष इंद्रदेव प्रसाद का कहना है कि कचहरी परिसर में टाइपिस्ट, फोटो स्टेट, फार्म व स्टेशनरी विक्रेताओं का रहना बहुत जरूरी है. इसलिए हमें हटाने के बजाए बसान का प्रयास किया जाना चाहिए. जिवेंद्र प्रसाद सिंह, बसंत कुमार सिंह, कैलाश कुमार सिंह एवं कुमार उमाशंकर का कहना है कि जिला प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ स्थायी दुकानों को भी हटा दिया जो कहीं से जायज नहीं था. बसंत कुमार सिंह ने कहा कि दुकानें हटाने से न्यायालय का काम भी प्रभावित हुआ है.
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