समस्तीपुर. इंटर की परीक्षा में गुरुजनांे ने जहां दिल खोलकर परीक्षार्थियों को अंक दिये हैं. वहीं उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन के क्रम में परीक्षको ने भी कोई कंजूसी नहीं की़ कुछ कमी रह गयी तो उसे स्कूलों ने पूरा कर दिया़ मसलन प्रैक्टिकल की परीक्षा में शत प्रतिशत अंक देकऱ हाइस्कूल में प्रैक्टिकल में बच्चों को प्रोजेक्ट वर्क पर जमकर अंक दिये जाते हैं़ यह अंक स्कूलों की झोली में होती है. जिले के टॉपर्स के अंक को देख लें या अन्य के, प्रैक्टिकल में अधिकतर छात्रों को शत प्रतिशत अंक मिले हैं़ कटौती भी की गयी तो मामूली यानी किसी को 30 में 29 या 28 अंक दिये गये हैं़ यह अंक बच्चों के प्रतिशत बढ़ाने में खासे मददगार साबित हुए़ स्कूल प्रबंधन का कहना है कि बच्चों के प्रोजेक्ट वर्क पर अंक दिये जाते हैं़ बच्चे जब अच्छा कर रहे हैं तो उन्हें हम अपनी ओर से कम अंक क्यों दें़ वहीं शिक्षकों का एक धड़ा इससे पूरी तरह सहमत नहीं है़ शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में प्रोजेक्ट वर्क पर बहुत जोर नहीं दिया जाता है लेकिन बच्चों को अंक मनमाने ढंग से दिये जाते हैं़ बच्चे भले ही अच्छे अंक पा रहे हैं पर इससे शैक्षणिक स्तर में दिनों गिरावट आती जा रही है़ बहरहाल जो हो, अब बोर्ड अंकों के मामले में सीबीएसइ, सीआइएससीइ बोर्ड की राह पर दौड़ पड़ा है.
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अंकों की ‘उड़ान’ में प्रैक्टिकल का कमाल
समस्तीपुर. इंटर की परीक्षा में गुरुजनांे ने जहां दिल खोलकर परीक्षार्थियों को अंक दिये हैं. वहीं उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन के क्रम में परीक्षको ने भी कोई कंजूसी नहीं की़ कुछ कमी रह गयी तो उसे स्कूलों ने पूरा कर दिया़ मसलन प्रैक्टिकल की परीक्षा में शत प्रतिशत अंक देकऱ हाइस्कूल में प्रैक्टिकल में बच्चों को […]
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