मधुआ कीट से प्रभावित होता है आम की फसलपूस. आरएयू के कीट विभाग के वैज्ञानिक डा. एसपी सिंह एवं सूर्य प्रकाश गुप्ता ने संयुक्त रूप से बिहार के आम उत्पादकों से कहा है कि मधुआ कीट से सावधानी बरतने की जरुरत है. इन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की अपेक्षा, बिहार में आम की पैदावार कम होने के कारणों में से एक कारण हानिकारक कीटों के आक्रमण से होनेवाली क्षति है. आम के जड़, तना, मंजर व फल पर लगने वाला प्रमुख हानिक ारक कीटों में मधुआ सर्व विहित कीट माना जाता है. खासकर ससमय इन कीटों पर नियंत्रण कर आम उत्पादक अपने आम के बगीचे को सुदृढ़ कर लेते हैं. इस कीट के शिशु एवं व्यस्क दोनों आम की मुलायम टहनियों, पत्तियों की निचली सतहों एवं फलों के डंडों एवं मंजरों पर चिपके रहते हैं. साथ ही लगातार रस चुसते रहते हैं. फलस्वरूप वृक्ष के प्रभावित भाग पीले पड़ने लगते हैं व साधारण हवा की झोंकों से गिर जाते हैं. इससे बचाव के लिए किसान बागों में नीम के बीज से बनाये गये पांच प्रतिशत के घोल से छिड़काव करें. बगीचे में खरपतवार नियंत्रण रखें. नवंबर दिसंबर तक निश्चित रूप से बगीचे को साफ कर दें.
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बिहार में आम की पैदावार कम : डॉ सिंह
मधुआ कीट से प्रभावित होता है आम की फसलपूस. आरएयू के कीट विभाग के वैज्ञानिक डा. एसपी सिंह एवं सूर्य प्रकाश गुप्ता ने संयुक्त रूप से बिहार के आम उत्पादकों से कहा है कि मधुआ कीट से सावधानी बरतने की जरुरत है. इन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की अपेक्षा, बिहार में आम की पैदावार कम […]
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