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खाद्यान्नों का प्रबंधन उचित ढंग से नहीं होने पर हजारों क्विंटल खाद्यान्न की हुई थी बर्बादी
समस्तीपुर : वैसे तो संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना व काम के बदले अनाज योजना को बंद हुए वर्षो बीत गया है़ लेकिन उक्त योजनाओं के तहत खाद्यान्नों का प्रबंधन उचित रीति से तत्कालीन तीन डीडीसी व 34 बीडीओ द्वारा नहीं किये जाने का मामला अभी भी अटका पड़ा है़ खाद्यान्नों का प्रबंधन उचित रीति से […]
समस्तीपुर : वैसे तो संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना व काम के बदले अनाज योजना को बंद हुए वर्षो बीत गया है़ लेकिन उक्त योजनाओं के तहत खाद्यान्नों का प्रबंधन उचित रीति से तत्कालीन तीन डीडीसी व 34 बीडीओ द्वारा नहीं किये जाने का मामला अभी भी अटका पड़ा है़
खाद्यान्नों का प्रबंधन उचित रीति से नहीं किये जाने के कारण हजारों क्विंटल खाद्यान्न की बरबादी हुई थी़ इस मामले को लेकर जन वितरण प्रणाली के विक्रेताओं द्वारा उच्च न्यायालय में वाद भी दायर किया जा चुका है़ इस वाद में उच्च न्यायालय ने दोषी पदाधिकारी को चिह्न्ति कर स्पष्टीकरण प्राप्त करने का भी निर्देश दिया है़ इस निर्देश के आलोक में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव प्रदीप कुमार ने जिले के तत्कालीन डीडीसी व बीडीओ से स्पष्टीकरण की मांग की है़
सचिव ने तत्कालीन डीडीसी व बीडीओ को यह स्पष्टीकरण देने को कहा है कि उक्त योजनाओं के खाद्यान्न के रख-रखाव एवं निष्पादन में हुई त्रुटि के लिए क्यों नहीं समानुपातिक राशि की वसूली की जाए?
उल्लेखनीय है कि जिन तत्कालीन डीडीसी व बीडीओ से स्पष्टीकरण की मांग की गयी है, उसमें से कई वर्तमान में एसडीओ, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, वरीय उप समाहर्ता समेत अन्य ऊं चे ओहदे पर पदस्थापित हैं.
जिन तत्कालीन बीडीओ से स्पष्टीकरण की मांग की गयी है, उनमें समस्तीपुर सदर के एसडीओ सुधीर कुमार भी शामिल हैं़ उस वक्त वे गया के डुमरिया में बीडीओ थे. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने इस बाबत जारी पत्र में उल्लेख किया है कि वित्तीय वर्ष 2005-06 से 2006-07 में संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना एवं काम के बदल अनाज योजना के अंतर्गत प्राप्त खाद्यान्न का उठाव बीडीओ के माध्यम से जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों द्वारा किया गया था़
उक्त योजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान एवं बंद हो जाने के उपरांत अवशेष खाद्यान्न के निष्पादन के लिये भारत सरकार एवं राज्य सरकार के स्तर से समय-समय पर संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना एवं काम के बदले अनाज योजना के अंतर्गत प्राप्त खाद्यान्न का उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने का निर्देश दिया गया़ लेकिन उन निर्देशों का अनुपालन नहीं करने के कारण भारी मात्र में खाद्यान्न जविप्र विक्रेताओं के पास अवशेष रह गया़ जविप्र विक्रेताओं द्वारा अब कहा जा रहा है कि खाद्यान्न के सड़ जाने के कारण इसे वापस नहीं किया जा सकता है़
पत्र में यह भी कहा गया है कि तत्कालीन बीडीओ द्वारा खाद्यान्न के भौतिक सत्यापन, संरक्षण हेतु समय पर कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से भारी मात्र में खाद्यान्न अवशेष रह गया था़ ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने जिले के जिन पूर्व डीडीसी से स्पष्टीकरण की मांग की है उसमें अरु ण चंद्र सिंह, कैलाश नाथ राय व मो. हसनैन खां का नाम शामिल है.
वहीं जिन पूर्व बीडीओ से स्पष्टीकरण की मांग की है उसमें जितवारपुर के तत्कालीन बीडीओ कुमार मंगलम, हसनपुर के तत्कालीन बीडीओ विनोद कुमार ठाकुर, खानपुर के तत्कालीन बीडीओ जय उल्लाह, मोरवा के तत्कालीन बीडीओ अमलेन्दु कुमार, विभूतिपुर के तत्कालीन बीडीओ रसीद कलीम अंसारी, दलसिंहसराय के तत्कालीन बीडीओ अनिल कुमार आर्य, जेएल सिन्हा, मो. नैयर इकबाल, राजेश कुमार, ब्रजेश कुमार, सिघिंया के तत्कालीन बीडीओ विजय प्रकाश, वारिसनगर के तत्कालीन बीडीओ मो. खुर्शीद आलम, जया उल्लाह, उजियारपुर के तत्कालीन बीडीओ रमेश प्रसाद राउत, राजीव राठौर, सरायरंजन के तत्कालीन बीडीओ अतुल कुमार वर्मा, कुमार देवेन्द्र प्रज्जवल,
शिवाजीनगर के तत्कालीन बीडीओ दिलीप कुमार, रोसड़ा के तत्कालीन बीडीओ किशोर कुमार प्रसाद,संजीव कुमार,पूसा के तत्कालीन बीडीओ सह वर्तमान डीएओ चंद्रदेव प्रसाद, कुमार देवेंद्र प्रज्जवल, शाहपुर पटोरी के तत्कालीन बीडीओ ए. मुख्तार, विनोद कुमार, मोहनपुर के तत्कालीन बीडीओ मो. एस अंसारी, बिथान के तत्कालीन बीडीओ अरुण कुमार सिंह, विद्यापतिनगर के तत्कालीन बीडीओ अंजनी कुमार, वरुण मिश्र, देवनारायण साहू व मियांक दास, कल्याणपुर के तत्कालीन बीडीओ रामश्रय कुमार, गगन कुमार, रामनंदन प्रसाद, परितोष कुमार आदि शामिल हैं.
इधर तत्कालीन बीडीओ सह वर्तमान बिहार राज्य असैनिक खाद्य एवं आपूर्ति निगम समस्तीपुर के जिला प्रबंधक मृत्युंजय कुमार भी सूची में शामिल हैं.
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