फूलप्रुफ मशरुम उत्पादन तकनीकमहिलाओं के जज्बे को किया सलामपूसा. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के आधार विज्ञान एवं मानविकी संकाय मशरुम विभाग में चल रहे सात दिनी मशरुम उत्पादन प्रशिक्षण संपन्न हुआ. अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डा. भीके शाही ने की. बतौर मुख्य अतिथि अधिष्ठाता डा. बीके चौधरी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में किसी प्रशिक्षण के साथ फसलों में विविधीकरण लाने की जरुरत है. सीतामढ़ी जिला के रीगा प्रखंड के प्रतिभागियों से कहा कि उनका जिला कृषि के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ है. तकनीक की बदौल उसे उच्च श्रेणी में लाना किसान के साथ वैज्ञानिकों की भी जिम्मेदारी बनती है. मशरुम उत्पादन तकनीक को आरएयू के वैज्ञानिकों ने बीस साल तक शोध कर किसानों के हवाले किया है. उत्पादन के साथ बीज निर्माण पर जोर दिया. अंत में मुख्य अतिथि ने सभी पचास प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र के साथ एक एक किलोग्राम मशरुम का बीज देकर अविलंब उत्पादन की शुरुआत करने का आग्रह किया. इसके साथ ही कहा कि हमारी तकनीक पूर्णत: फुलप्रुफ है. सुदूर देहाती क्षेत्र से इन महिलाओं का जोश व जज्बा वैज्ञानिक सलाम करते हैं. संचालन मशरुम वैज्ञानिक डा. दयाराम ने किया. धन्यवाद ज्ञापन किसान सलाहकार राज किशोर महतो ने किया. मौके पर आत्मा पीडी के देव नारायण साहू, डा. नारायणी प्रसाद, डा. गीता देवी, डा. महेश कुमार, मुकेश कुमार, रवि कुमार आदि मौजूद थे.
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विविधीकरण कृषि क्षेत्र में लाभकारी : डा. चौधरी
फूलप्रुफ मशरुम उत्पादन तकनीकमहिलाओं के जज्बे को किया सलामपूसा. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के आधार विज्ञान एवं मानविकी संकाय मशरुम विभाग में चल रहे सात दिनी मशरुम उत्पादन प्रशिक्षण संपन्न हुआ. अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डा. भीके शाही ने की. बतौर मुख्य अतिथि अधिष्ठाता डा. बीके चौधरी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में किसी प्रशिक्षण के साथ […]
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