पूसा . राज्य के 38 जिलों में मशरुम के विभिन्न प्रजातियों का उत्पादन निश्चित रुप से कृषि विश्वविद्यालय वैज्ञानिकों का सराहनीय कदम है. उत्पादन से लेकर बीज निर्माण व विपण के कार्यों में महिलाओं की सहभागिता को लेकर वैज्ञानिकों की ओर से उनके जज्बे को सलाम किया जाता है. कृषि विश्वविद्यालय की सभी उपलब्धि में किसान की भूमिका अहम हाती है.
इसलिए किसान ही हमारी असली पूंजी हैं. यह बातें राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के मशरुम विभाग में आधार विज्ञान व मानविकी संकाय के डीन डा. वीके चौधरी ने बुधवार को समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि समारोह को संबोधित करते हुए कही.
सत्र को संबोधित करते हुए एग्री बिजनेस महाविद्यालय के कोर्डिनेटर डा. एसपी सिंह ने कहा कि आरएयू की कठिन तपस्या से मशरुम राज्य ही नहीं देश में एक पहचान रख रहा है. सत्र की अध्यक्षता करते हुए मशरुम वैज्ञानिक डा. दयाराम ने कहा कि पूर्वी चंपारण स्थित तेतरिया मनियारपुर से 31 महिला व 16 पुष्प किसान को इस सत्र में सैद्धांतिक व प्रायोगिक दोनों ही स्तर से तीन दिनी प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर की तरह तैयार किया गया है. मौके पर डा. एनके सिंह, डा. नारायणी प्रसाद, संजीव कुमार, राकेश कुमार, मुकेश कुमार, रवि कुमार आदि थे.