कृष्ण
पटना : जननायक कर्पूरी ठाकुर की जन्मभूमि और कर्मभूमि समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र अपनी समृद्ध सियासी, सांस्कृतिक और औद्योगिक विरासत के लिए जाना जाता था. नये परिसीमन में समस्तीपुर की लोकसभा की सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है, लेकिन यहां की सियासत में पिछड़ा वर्ग निर्णायक भूमिका निभाता रहा है.
इस सीट पर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा से जीत हासिल करने रामचंद्र पासवान इस बार भी उम्मीदवार हैं. उनका मुकाबला कांग्रेस के डॉ अशोक राम से है. एक समय में यहां जूट, कागज, सिगरेट और चीनी मिल मिलाकर सात बड़े उद्योग थे. वर्तमान समय में जिले में सिर्फ एक प्राइवेट चीनी मिल हसनपुर में चल रही है. अन्य उद्योगों को फिर से खुलवाने की मांग उठती रही है.
आजादी से अब तक कई बड़ी हस्तियों ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में लोकदल से कर्पूरी ठाकुर सांसद बने थे. उनके अलावा 1952 में सत्यनारायण सिन्हा, उनके बाद यमुना प्रसाद मंडल, अजीत कुमार मेहता, रामदेव राय, मंजय लाल, महेश्वर हजारी और आलोक मेहता ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. कर्पूरी ठाकुर एक बार बिहार के उपमुख्यमंत्री, दो बार मुख्यमंत्री और दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे.
छह विधानसभा क्षेत्र : समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत कुशेश्वर स्थान, हायाघाट, कल्याणपुर, वारिसनगर, समस्तीपुर और रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र हैं. वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में छह में से चार विधानसभा क्षेत्र में जदयू को जीत मिली थी. अन्य एक-एक सीट कांग्रेस-राजद के हिस्से में गयी थी.
समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की
संख्या तेरह लाख बारह हजार हैं. इसमें पिछड़ा वर्ग के वोटर की निर्णायक भूमिका रहती है. यहां सबसे अधिक करीब चार लाख कुशवाहा वोटर हैं. दूसरे नंबर पर ढाई लाख से ज्यादा पासवान वोटर हैं. तीसरे नंबर पर करीब सवा दो लाख यादव वोटर हैं.इसके अलावा सवर्ण, मुस्लिम और पचपनिया वोटर भी हैं. कुशवाहा और यादव पिछड़ा वर्ग से आते हैं.
मिलता रहा है बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड
वर्ष 1972 में दरभंगा से अलग होने के बाद समस्तीपुर जिला बना और इसी के साथ इसे संसदीय क्षेत्र घोषित किया गया. संसदीय क्षेत्र घोषित होते ही इसे बिहार के अतिपिछड़े इलाके का दर्जा दिया गया. भारत सरकार इस क्षेत्र को बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड प्रोग्राम (बीआरजीएफपी) के तहत उचित फंड जारी करती थी.