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समस्तीपुर नगर थाने के रीडर के चालक को मारी गोली

समस्तीपुर : सकरा थाना क्षेत्र के रुपनपट्टी के पास समस्तीपुर जिले के नगर थाना के रीडर राजेश्वर झा के चालक जितेंद्र उर्फ राघो ठाकुर को गोली मार दी गयी. उसे गंभीर अवस्था में काशीपुर के के निजी क्लीनिक में भर्ती कराया गया है. हालांकि सकरा पुलिस को इस घटना की जानकारी नहीं है. बताया जा […]

समस्तीपुर : सकरा थाना क्षेत्र के रुपनपट्टी के पास समस्तीपुर जिले के नगर थाना के रीडर राजेश्वर झा के चालक जितेंद्र उर्फ राघो ठाकुर को गोली मार दी गयी. उसे गंभीर अवस्था में काशीपुर के के निजी क्लीनिक में भर्ती कराया गया है. हालांकि सकरा पुलिस को इस घटना की जानकारी नहीं है.
बताया जा रहा है कि उसे रीडर के लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली लगी है. गोली पीछे से लगी और सीने होकर बाहर निकल गयी. चालक सकरा थाना अंतर्गत मड़वन गांव का है. सूचना पर पहुंची नगर थाने की पुलिस घटना की छानबीन में जुट गयी है. जानकारी के अनुसार नगर थाने के रीडर श्री झा अपने घर पर वाहन चालक के रूप में गांव के ही राघो ठाकुर को नियुक्त कर रखा है. सोमवार को उनके लाइसेंसी
रिवाल्वर से चालक को पीठ में गोली लगी है. इससे कयास लगाया जा रहा है कि किसी ने गोली मारी है. वैसे पुलिस अभी इस पर टिप्पणी करने से परहेज कर रही है.
चालक के बेहोश होने के कारण घटना के कारणों खुलासा नहीं हो
सका है कि उसे किसने और क्यों गोली मारी. पुलिस का बताना है कि उसके होश में आने पर ही इसका खुलासा हो सकेगा. जिसके कारण घटना पर संस्पेंस बना हुआ है. चिकित्सक की मानें तो घायल की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है.
मची अफरातफरी, पथराव में कई घायल
समस्तीपुर : समस्तीपुर मंडल कारा में सोमवार की सुबह उस वक्त अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया, जब कुछेक बंदियों के बहकावे में आकर कारा के एक मृत बंदी प्रकरण के आड़ में जमकर अन्य बंदियों ने उत्पात मचाते हुए कारा प्रशासन पर पथराव की घटना को अंजाम दिया. इस पथराव में जेलर, काराधीक्षक व कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गये. कारा प्रशासन की मानें तो बंदी इतने उग्र हो गये थे कि मंडल कारा के गेट को भी तोड़ने का असफल प्रयास किया. सूत्रों की मानें तो घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि कुछेक बंदी कई दिनों से फ्रस्ट्रेट थे.
कारा प्रशासन की सख्ती के कारण पिछले कुछ दिनों से कुछेक बंदियों का मादक पदार्थ के सेवन पर पाबंदी लग गयी और इस कदर निगरानी बढ़ी कि एक बंदी के पास से जहां मोबाइल बरामद किया गया, वहीं गांजा भी कारा प्रशासन ने प्राप्त किया था. सूत्र बताते हैं कि मंडल कारा में बंद बंदी गांजे का कश भी लगाते थे. इसी पाबंदी के बाद से बंदियों में तनाव था. सोमवार की सुबह यह तनाव अचानक आक्रोश में बदल गया. बंदियों ने कारा के गेट को तोड़ जेल ब्रेक की भी कोशिश की. काराधीक्षक नंद किशोर रजक की मानें तो बंदी वीरन सदा, प्रशांत कुमार, अमरजीत झा के बहकावे में आकर ही कुछेक बंदी हिंसा पर उतारू हो गये और अपनी दबंगता को दखाने का प्रयास किया. इस घटना के बाद से कारा में तनाव का माहौल कायम है. इधर, काराधीक्षक ने उक्त संसीमित बंदियों पर कारा का गेट क्षतिग्रस्त करने, भागने का प्रयास व कारा कर्मियों पर जानलेवा हमला करने से संबंधित प्राथमिकी दर्ज करायी है.
शव लेने से किया इनकार. परिजनों की अनुपस्थिति में ही कैदी के शव का पोस्टमार्टम करवा दिये जाने से आक्रोशित परिजनों ने उसका शव लेने से इनकार कर दिया़ आक्रोशित परिजन सदर अस्पताल परिसर में ही हंगामा करने लगे़ इसके महिलाओं के साथ लोग सदर अस्पताल के गेट के सामने सड़क जाम कर दिया़ इससे पूर्व पुलिस ने परिजनों को समझाने का काफी प्रयास भी किया, लेकिन परिजन किसी भी हालत में लाश लेने को तैयार नहीं थे़
आक्रोशित महिलाओं ने पुलिस को खदेड़ा .
घटना के विरोध में सदर अस्पताल गेट पर सड़क जाम कर रही महिलाएं ईंट-पत्थर से लैश थी़ इस दौरान भीड़ को समझाने के लिए पहुंचे यातायात प्रभारी एसआइ खुर्शीद अहमद को देखते ही महिलाएं और आक्रोशित हो गयी़ महिलाएं हाथों में ईंट लेकर यातायात प्रभारी को जाम स्थल से खदेड़ दिया़ इससे पहले की महिलाएं पुलिसकर्मी पर ईंट से प्रहार करती मौके पर मौजूद लोगों ने महिलाओं को रोक लिया़ इसके बाद जामस्थल पर पुलिस एवं जेल प्रशासन के विरुद्ध प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की़
दो घंटे तक रोके रखा आवागमन. आक्रोशित परिजनों ने समस्तीपुर-मुसरीघरारी पथ पर करीब दो घंटों तक आवागमन को पूरी तरह से बाधित रखा़ इस दौरान प्रदर्शनकारियों का राहगीरों एवं बाइक सवारों के साथ भी नोकझोंक हुई़ आक्रोशित युवकों ने कई बाइक सवारों को खदेड़ भी दिया़ जाम के कारण उक्त पथ के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गयी थी़ सदर अस्पताल पहुंचने वाले एंबुलेंस को छोड़कर किसी वाहन को प्रदर्शनकारी गुजरने नहीं दे रहे थे़
मौत की जांच व मुआवजे की कर रहे थे मांग. मृत कैदी के परिजन उसकी मौत की निष्पक्ष जांच व आश्रित को मुआवजा देने की मांग कर रहे थे़ परिजनों को जेल प्रशासन द्वारा बताये जा रहे मौत के कारण पर कतई विश्वास नहीं हो रहा था़ परिजनों का कहना था कि एक भला चंगा आदमी अचानक नहीं मर सकता़ परिजनों को यह भी शंका थी कि किसी ने जेल में ही उसकी हत्या करवा दी है़ सड़क जाम की सूचना पर पहुंचे सदर एसडीओ एके मंडल ने नगर थानाध्यक्ष एचएन सिंह, मुफस्सिल थानाध्यक्ष कुमार कीर्ति के साथ मिलकर काफी मशक्कत के बाद आक्रोशित लोगों को शांत किया़ मृतक के परिजनों से बात की और उनकी मांग पर कैदी के मौत की निष्पक्ष जांच करवाने का आश्वासन भी दिया़ इसके बाद लोगों ने सड़क से जाम हटाया़
मेडिकल बोर्ड ने किया पोस्टमार्टम. पोस्टमार्टम के लिए सिविल सर्जन के आदेश पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ़ एएन शाही के नेतृत्व में मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया़ इसमें डॉ़ एबी सहाय, डॉ़ बीपी राय एवं डॉ़ उमाशंकर सिंह को शामिल किया गया था़ बोर्ड ने पोस्टमार्टम के दौरान मौत के कारणों की सही-सही जांच के लिए उसका विसरा भी प्रिजर्व किया है़
मृतक का चचेरा भाई था वार्ड 15 में
मंडल कारा में मृत बंदी दिलीप राम का चचेरा भाई भी वार्ड 15 में बंद था. जब इसकी सूचना उसके चचेरे भाई को मिली तो काफी आश्चर्य व्यक्त की. वहीं वार्ड 28 के बंदियों की मानें तो करीब तीन बजे अहले सुबह में मृत बंदी आंधी तूफान के कारण उठा था. जब उसे नींद लगी तो सोया ही रह गया. वहीं उसके वार्ड के एक बंदी की मानें तो उसे न्यायालय से बेल मिल चुका था. वह काफी खुश भी था. इधर, कारा प्रशासन जब बंदी के मृत होने से संबंधित सूचना घर पर देने पहुंची, तो वहां भी परिजनों ने काफी आक्रोश व्यक्त किया. कारा प्रशासन का कहना है कि मृत बंदी विगत 15 मार्च 17 को उपकारा दलसिंहसराय से स्थानांतरित होकर मंडल कारा में आया था.
मौत की सूचना देर से देने पर आक्रोशित हुए लोग
मंडल कारा में बंद कैदी दिलीप राम की मौत की सूचना जेल प्रशासन द्वारा देर से देने एवं परिजनों की अनुपस्थिति में ही पोस्टमार्टम करा दिये जाने को लेकर लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर था़ सदर अस्पताल गेट पर सड़क जाम कर नारेबाजी कर रहे मृतक के परिजन एवं ग्रामीण जेल प्रशासन की इस कार्यशैली पर उंगली उठा रहे थे़ मृतक की पत्नी मंजू देवी का कहना था कि सुबह में मौत का खुलासा होने के बाद भी इसकी जानकारी उसे दोपहर के करीब 12 बजे दी गयी़ इतना ही नहीं, पुलिस वर्दी में पहुंचे तीन लोगों ने बिना कुछ बताये उसे एक पेपर थमाया और दूसरी पेपर पर उसका हस्ताक्षर करवा लिया और बिना कुछ बताये सभी पुलिसकर्मी चुपचाप निकल गये़ बाद में पेपर देखने पर लोगों को घटना की जानकारी हुई. आक्रोशित परिजन इस घटना की निष्पक्ष जांच करने की मांग कर रहे थे़ परिजनों का कहना था कि दिलीप को पिछले एक वर्ष से सिर दर्द की शिकायत भी नहीं हुई थी, तो अचानक उसकी मौत कैसे हो गयी़

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