पूसा : डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित आधार विज्ञान और मानविकी संकाय के मशरूम उत्पादन एवं प्रसंस्करण विषय पर निदेशक अनुसंधान डाॅ मिथिलेश कुमार ने कहा अब मशरूम उत्पादन ऑन जॉब ट्रेनिंग बन गया है. आगामी 23 दिसंबर को राष्ट्रीय मशरूम दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रभेदों समेत कई आकर्षक व्यंजन का प्रदर्शन से क्षेत्र के उत्पादकों सहित नये प्रशिक्षणार्थियों को नवीनतम तकनीक प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा.
राष्ट्रीय मशरूम दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि एनआरसी लीची के निदेशक डॉ विशाल नाथ शिरकत करेंगे. मशरूम उत्पादन अब सालोभर उत्पादन होकर कम समय व कम लागत में अधिकाधिक मुनाफा कमाने के साथ साथ प्रोटीनयुक्त व्यंजन के रूप में अपनी पहचान भलीभांति बना चुका है. मशरूम उत्पादन की शुरुआत करने से पूर्व कुछ अहम पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है. आजकल मशरूम औषधीय गुणों का भंडार सिर्फ मशरूम ही माना जाता है.
उत्पादन के प्रारंभ में सिर्फ ओएस्टर मशरूम की प्रजाति से ही रोजगार पर पहल करना लाभकारी होता है. सभी तरह से परिपूर्ण मशरूम फार्म से सालाना ढाई से तीन लाख की शुद्ध मुनाफा संभव हो सकता है. क्षेत्र के विभिन्न किसानों के माध्यम से गुणवत्ता युक्त स्पान के लिए राज्य में अब तक 22 लैब संचालित किया जा चुका है. मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण में बिहार राज्य के विभिन्न जिले के अलावे दूसरे प्रदेशों के किसान भी दिलचस्पी के साथ तकनीक से अवगत होकर फार्म का संचालन कर रहे हैं. वातावर्नीय परिवर्तन के दौर में किसानों को गुणवत्ता युक्त प्रोटीन प्राप्त करने के लिए मशरूम उत्पादन करना ही होगा. मौसम की मार हरे सब्जी को पनपने नहीं दे रहा उस स्थिति में दाल व सब्जी के विकल्प के रूप में मशरूम ही अपना दबदबा कायम कर चुका है. मशरूम विभाग में मशरूम वैज्ञानिक डॉ दयाराम के नेतृत्व में राष्ट्रीय मशरूम दिवस मनाने की संपूर्ण तैयारी पूर्ण कर ली गयी है.