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आखिर बेटी ने समझा मां का दर्द, ले गयी अपने साथ

चार साल से सदर अस्पताल के महिला वार्ड को बना रखा था आशियाना पुत्री व दामाद ले गये अपने साथ हालात गंभीर, कई दिनों से नहीं खा रही थी खाना सहरसा : सदर अस्पताल के महिला वार्ड को बीते चार साल से अपना आशियाना बना कर रह रही अस्सी वर्षीय विंदेश्वरी देवी को आखिरकार अपनों […]

चार साल से सदर अस्पताल के महिला वार्ड को बना रखा था आशियाना

पुत्री व दामाद ले गये अपने साथ
हालात गंभीर, कई दिनों से नहीं खा रही थी खाना
सहरसा : सदर अस्पताल के महिला वार्ड को बीते चार साल से अपना आशियाना बना कर रह रही अस्सी वर्षीय विंदेश्वरी देवी को आखिरकार अपनों का प्यार मिला. गुरुवार को माता की तबीयत गंभीर होने की जानकारी मिलने के बाद उनकी दो पुत्री, दामाद व नाती सदर अस्पताल पहुंच एंबुलेंस से उसे अपने साथ समस्तीपुर ले गये. मालूम हो कि बीते 28 नवंबर को प्रभात खबर में मां भूखे, प्यासे सदर अस्पताल में काट रही जिंदगी व बीते 11 अप्रैल को अब तो खाना भी छोड़ दी है
अम्मा नाम से खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी. जिसके बाद परिजनों को अम्मा की जानकारी मिली. लेकिन दुर्भाग्य से जब तक परिजनों को जानकारी मिली काफी देर हो चुकी थी. अम्मा ने कई दिनों से खाना तक छोड़ दिया था. जिसके कारण उनकी तबीयत दिन प्रतिदिन खराब होती गयी और अब वह मौत से जूझ रही हैं.
सिहौल की रहनेवाली है अम्मा
जानकारी के अनुसार अम्मा जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिहरा थाना क्षेत्र के सिहौल गांव की रहने वाली है. पुत्र बीसीसीएल में बड़े अधिकारी हैं और पोता विदेश में रहता है. वहीं एक पुत्री पतरघट ओपी क्षेत्र के कहरा गांव में आंगनबाड़ी सेविका है. अन्य पुत्री समस्तीपुर सहित अन्य जगहों पर अपने अपने परिवार के साथ रहती है. गुरुवार को माता को लेने पहुंची पुत्रियों को अस्पताल कर्मियों व महिला वार्ड के मरीजो ने मां की हालत के लिए संतानों को जिम्मेवार ठहराते कहा कि यह उचित नहीं है. माता कुमाता नहीं हो सकती है. अपना पेट काट कर आप लोगों को बड़ा किया और जब उन्हें सहारे की जरूरत थी तो बीते चार साल से कोई देखने तक नहीं आया.
अस्पताल कर्मियों व महिला वार्ड में भरती मरीजों ने कहा कि अम्मा के जाने के बाद वार्ड सूना सूना लग रहा है. लेकिन उनकी जो स्थिति थी, उसे देख जब उसके परिजन अम्मा को लेने आये तो खुशी भी हुई. कांग्रेस नेता सह सदर अस्पताल सुधार संघर्ष समिति के संयोजक मंजीत सिंह ने कहा कि अम्मा की स्थिति काफी गंभीर थी. बीते चार साल से लोगों की दया पर वह अपना जिंदगी गुजार रही थी. लेकिन चार साल में अस्पताल कर्मी से लेकर मरीजों तक की मां बन गयी थी. जिस तरह लोग अपने बच्चों को पालती है और गलती होने पर डांटती है. उसी तरह अम्मा भी सभी के साथ करती थी. उन्होंने अम्मा के ठीक होने व परिजनों को सेवा करने का मौका देने की प्रार्थना इश्वर से करते कहा कि कोई कितना भी स्नेह व प्यार दे. अपनों का प्यार के बात ही कुछ और है.

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