29.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इस वर्ष पहले ले सकेंगे त्योहार का आनंद

उत्साह. हर तीन वर्ष पर अधिमास के कारण तिथियों में आता है अंतर इस वर्ष पिछले साल की अपेक्षा पर्व-त्योहारों का आनंद लोग अपेक्षाकृत पहले ही ले सकेंगे. 2016 की अपेक्षा 2017 में अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से सभी पर्व आठ से दस दिन पहले आयेंगे. सहरसा : वर्ष 2017 में होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश […]

उत्साह. हर तीन वर्ष पर अधिमास के कारण तिथियों में आता है अंतर

इस वर्ष पिछले साल की अपेक्षा पर्व-त्योहारों का आनंद लोग अपेक्षाकृत पहले ही ले सकेंगे. 2016 की अपेक्षा 2017 में अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से सभी पर्व आठ से दस दिन पहले आयेंगे.
सहरसा : वर्ष 2017 में होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा व दीपावली सहित अन्य सभी पर्व पहले आ रहे हैं. अगस्त से लेकर अक्तूबर तक जमकर त्योहारों की रौनक रहेगी. इसी महीने जन्माष्टमी व गणेश उत्सव की शुरुआत होगी. सितंबर में नवरात्र व अक्तूबर में दीपावली की धूम रहेगी.
अंग्रेजी कैलेंडर की तिथियों से पहले आ रहे पर्व : कृष्णा नगर के पंडित विभाष चंद्र झा कहते हैं कि अंग्रेजी कैलेंडर की तिथियों के हिसाब से पर्वों में अंतर आता है, लेकिन हिंदी व मिथिला पंचांगों की निर्धारित तिथि पर ही पर्व-त्योहार आते हैं. ऐसा इसलिए होता है कि हिंदी पंचांगों के हिसाब से प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिमास आता है. इस कारण लगभग दस दिनों का अंतर आता है. जिस वर्ष अधिमास होता है, उस वर्ष सभी पर्व लगभग एक माह आगे बढ़ जाते हैं. इसलिए अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से तिथियों में अंतर आता है.
पिछले वर्ष से आठ-दस दिन पहले आ रहे सभी त्योहार
पर्व 2017- 2016
वसंत पंचमी 01 फरवरी 13 फरवरी
महाशिवरात्रि 24 फरवरी 07 मार्च
होली 13 मार्च 24 मार्च
अक्षय तृतीया 29 अप्रैल 09 मई
देवोत्थान एकादशी 05 जुलाई 19 जुलाई
नागपंचमी 28 जुलाई 07 अगस्त
रक्षाबंधन 07 अगस्त 18 अगस्त
जन्माष्टमी 15 अगस्त 25 अगस्त
गणेश चतुर्थी 25 अगस्त 05 सितंबर
अनंत चतुर्दशी 05 सितंबर 15 सितंबर
नवरात्र 21 सितंबर 01 अक्तूबर
दशहरा 30 सितंबर 11 अक्तूबर
दीपावली 19 अक्तूबर 30 अक्तूबर
देवउठान एकादशी 31 अक्तूबर 11 नवंबर
प्रत्येक दो वर्ष पर बदलती है तिथि
ज्योतिषाचार्य पंडित विद्यापति झा के अनुसार मकर राशि में प्रवेश करने के कारण यह पर्व मकर संक्रांति देवदान पर्व के नाम से जाना जाता है. मकर संक्रांति मनाये जाने का यह क्रम हर दो साल के अंतराल में बदलता रहता है. लीप इयर वर्ष आने के कारण मकर संक्रांति 2017, 2018, 2021 में 14 जनवरी व 2019, 2020 में 15 जनवरी को मनायी जायेगी. यह क्रम 2030 तक चलेगा. इसके बाद तीन साल 15 जनवरी को एक साल 14 जनवरी को संक्रांति मनायी जायेगी.
स्नान-दान से मिलेगा पुण्य: पंडित प्रभाष चंद्र झा वैदिक कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक व उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है. ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर दुबारा प्राप्त होता है. इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है. इस मौके पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यंत शुभ माना गया है. मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है. इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है. मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है. प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतना एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें