ठंड घट नहीं रही है. गरम कपड़ों की मांग बढ़ गयी है, लेकिन अब तक स्कूलों में छुट्टी नहीं दी गयी है.
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छूट रही कंपकपी, सूरज पड़ा मंद
ठंड घट नहीं रही है. गरम कपड़ों की मांग बढ़ गयी है, लेकिन अब तक स्कूलों में छुट्टी नहीं दी गयी है. सहरसा : शीतलहर का प्रकोप शुरू हो गया है. सूरज की लुका-छिपी का खेल भी खत्म होने को है. दिन के ग्यारह बजे तक घने कोहरे का छाया रहना इस बात का संकेत […]
सहरसा : शीतलहर का प्रकोप शुरू हो गया है. सूरज की लुका-छिपी का खेल भी खत्म होने को है. दिन के ग्यारह बजे तक घने कोहरे का छाया रहना इस बात का संकेत दे रहा है कि अब कुछ दिनों तक मौसम का हाल ऐसा ही रहेगा. बुधवार को अधिकतम तापमान 22 और न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया. मंद-मंद बह रही हवाएं भी शीतलता को बढ़ा रही है. आवश्यक कार्य को छोड़ लोगों ने घर से निकलना भी बंद कर दिया है. जाड़े में आग के प्रिय होने के कारण घर-घर अलाव जलने लगे हैं. घर बाहर सभी जगह गरम भोजन की मांग बढ़ गयी है. बुधवार को ग्यारह बजे से शाम साढ़े चार बजे तक धूप निकले रहने से लोगों को राहत मिली, लेकिन बह रही हवाएं उस राहत का मजा खत्म कर दे रही है.
पछुआ हवा कर रही बेहाल : सोमवार से मौसम का हाल बेहाल हो गया है. जब अचानक ठंड ने करवट ली. बुधवार की सुबह भी कुहासे का आलम ऐसा था, मानों दिन भर ऐसा ही हाल रहेगा. तकरीबन नौ बजे तक सड़क पर लोगों की संख्या नहीं के बराबर थी. उसके बाद निकलने वाले लोगों को अपने गाड़ी की लाइट जला कर निकलनी पड़ी. ग्यारह बजे तक आसमान में कोहरे का असर सामान्य रूप से दिखा. बाजार की दुकानें भी काफी देर से खुली. शहर की सड़कों पर स्कूलों की गाड़ी तो दौड़ती रही, लेकिन उसमें बच्चे नदारद दिखे. जबकि मौसम का यही हाल रहा तो विद्यालयों में भी छुट्टी का एलान शीघ्र ही करना होगा.
दिन के 11 बजे तक लगा रहा कुहासा, धूप निकलने पर मिली थोड़ी राहत
घरों में लगातार जल रहा अलाव
ठिठुरन वाली सर्दी के शुरू होने से आम जन जीवन काफी अस्त-व्यस्त दिखा. लोगों ने शरीर को गरम रखने के लिए अपने-अपने घरों में अलाव की व्यवस्था की. पहले तो कागज, कूट या घर के टूटे-फूटे लकड़ी के फर्नीचरों को जलाया. फिर लकड़ी की खरीदारी के लिए जलावन की दुकानों पर भीड़ लगनी शुरू हो गयी. पानी का स्पर्श करने से लोग बचते रहे. पीने व नहाने के लिए गरम पानी का उपयोग किया जाता रहा. शरीर को गरम रखने के लिए गरम भोजन की व्यवस्था में भी लोग लगे रहे. शाम ढलने के बाद बिकने वाला अंडा अब सुबह से ही बिकता रहा. अंडे के काउंटर पर सुबह नौ बजे के आसपास से ही ब्वायल, आमलेट, पोच व टोस्ट बनता और बिकता रहा.
रेडीमेडवालों की हुई चांदी
अमूमन छठ के बाद ठंड बढ़ने के कारण बाजार के रेडीमेड दुकानदारों ने गरम कपड़ों का भरपूर स्टॉक कर रखा था, लेकिन असरदार ठंड नहीं पड़ने से उनकी दुकानदारी ढ़ंग से नहीं हो पा रही थी. इन दिनों ठंड के बढ़ने के कारण दुकानदारों के चेहरे पर खुशी छा गयी. मौसम के अनुकूल रेडीमेड दुकानों पर भीड़ भी लगनी शुरू हो गयी. स्वेटर, जैकेट, कोट, दस्ताना, मोजा, इनर भेस्ट व ट्राउजर खरीदने वालों की कतार सी लग गयी. डीबी रोड स्थित जेके परिधान के उत्तम केशरी ने बताया कि अक्टूबर महीने में ही ठंडे का पूरा मेल लगाया गया था, लेकिन सरदी के नहीं आने से बिक्री नहीं हो रही थी. अभी कुहासे, पाले व बह रही हवा के बीच पड़ रहे ठंड से बिक्री में तेजी आने की संभावना बन रही है.
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