गोलीबारी की घटना को एक सप्ताह बीत गये, लेकिन पुलिस के हाथ खाली हैं.
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अपराध. गोलीकांड, लूटकांड व हत्याकांड के खुलासे में असफल साबित हो रही पुलिस
गोलीबारी की घटना को एक सप्ताह बीत गये, लेकिन पुलिस के हाथ खाली हैं. सहरसा : सदर थाना क्षेत्र में अपराधी द्वारा लगातार घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस को खुली चुनौती दी जा रही है. अपराधी लगातार गोलीबारी, लूट व हत्या की घटना को अंजाम देकर जहां आम जनमानस में भय का माहौल बना दिया […]
सहरसा : सदर थाना क्षेत्र में अपराधी द्वारा लगातार घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस को खुली चुनौती दी जा रही है. अपराधी लगातार गोलीबारी, लूट व हत्या की घटना को अंजाम देकर जहां आम जनमानस में भय का माहौल बना दिया है, वहीं पुलिस की कार्यशैली पर बहुत बड़ा प्रश्चिनह खड़ा कर दिया है. गोलीबारी की घटना को एक सप्ताह बीत गया. लेकिन पुलिस के हाथ खाली हैं. जबकि घटना के समय एक बाइक की चर्चा जोरों पर थी और एक नंबर प्लेट भी एक घटनास्थल पर छूटी थी.
पुलिस यदि तहकीकात करती तो शायद गोलीबारी का उद्भेन कर सकती थी. दूसरी घटना में रिफ्यूजी कॉलोनी बैरियर के समीप तीन अपराधियों ने खुलेआम दिनदहाड़े हथियार के बल पर दुकानदार के पुत्र सुमित को डरा कर पौने दो लाख रुपया लूट कर चली गयी. अपराधियों की सभी करतूत सीसीटीवी में कैद हो गयी थी.
वह भी साफ साफ, बावजूद पांच दिन बीत जाने के बाद भी तीन में से एक भी अपराधी पकड़ में नहीं आया. अपराधियों का दुस्साहस यही नहीं रूका अपराधियों ने सदर थाना को अपना सुरक्षित आशियाना समझ सुपौल समाहरणालय में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में पदस्थापित कहरा निवासी शंकर झा की निर्मम हत्या कर शव को रहुआ के समीप एक जलकुंभी में फेंक दिया था. बावजूद पुलिस हत्या के कारण तक को स्पष्ट नहीं कर पाया है. अपराधियों को दबोचना तो दूर की बात है.
लगातार घटना के बाद शहरी क्षेत्र में आम से लेकर खास तक अपराधियों के तांडव से सहमे हुए हैं. लोग घटना के बाद पुलिस की सुस्त कार्रवाई से कुछ ज्यादा ही सशंकित हैं. राजनीतिक पार्टी हो या आम लोग घटना के बाद अक्सर पुलिस के वरीय अधिकारी से गश्ती बढ़ाने की मांग करते हैं. जबकि सुबह से लेकर शाम तक में शहर में सात गश्ती वाहन, दो पैंथर वाहन व वरीय पदाधिकारियों के वाहन सड़क पर फर्राटा लगाते हैं. जानकारी के अनुसार थाना दो क्षेत्र पूर्वी व पश्चिमी भाग में विभक्त है.
दोनों क्षेत्र में अलग-अलग गश्ती निकलती है. सुबह में पुलिस लाइन से दो कोचिंग गश्ती निकलती है. जिस पर अधिकारी की प्रतिनियुक्ति सदर थाना से रहती है. उसके बाद दो दिवा गश्ती थाना से निकलती है. फिर दो संध्या गश्ती निकलती है. अंत में रात में रात्रि गश्ती दोनों क्षेत्रों में निकलती है. इस दौरान शहर में पैंथर के चार जवान दो बाइक पर शहरी क्षेत्र में गश्ती करते हैं. इसके अलावे थानाध्यक्ष सहित अन्य वरीय अधिकारियों की वाहन भी सड़कों पर जर आती है.
बावजूद अपराधी अपने टारगेट को अंजाम देकर आराम से निकल जाते हैं. उन्हें किसी गश्ती का भय नहीं रहता है. आखिर इतनी गश्ती के बावजूद अपराध होना जहां प्रशासन के लिए भी सोचने का विषय है. वहीं जिम्मेवार पदाधिकारी जो गश्ती पर निकलते हैं, उन्हें अपनी जिम्मेवारी बखूबी से निभानी होगी. ताकि आम से लकर खास निश्चिंत होकर अपनी जीवन यापन कर सके.
घटना एक नजर में
एक दिसंबर – गोलीबारी- सदर थाना क्षेत्र के गंगजला मुहल्ला के दो जगहों पर दिन दहाड़े बाइक सवार तीन अपराधियों ने गोली चला पुलिस को खुली चुनौती दी थी.
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