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नहीं बदल सकी शहर की तकदीर

परेशानी. बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक के बाद भी जाम से नहीं मिली निजात सहरसा शहर में सड़क जाम की समस्या काफी गंभीर है. इस कारण आए दिन लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सड़क जाम की समस्या को दूर करने के लिए प्रत्येक दिन सुबह नौ बजे से रात आठ […]

परेशानी. बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक के बाद भी जाम से नहीं मिली निजात

सहरसा शहर में सड़क जाम की समस्या काफी गंभीर है. इस कारण आए दिन लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सड़क जाम की समस्या को दूर करने के लिए प्रत्येक दिन सुबह नौ बजे से रात आठ बजे तक बड़े वाहनों के शहर में प्रवेश पर रोक लगा दी गयी. बावजूद सड़क जाम की समस्या बनी हुई है.
सहरसा : शहर में जाम लगने के कारण बच्चे स्कूल विलंब से पहुंचते है नौकरी पेशा समय पर काम पर नहीं पहुंच पाते. फुटपाथों और पार्किंग स्थलों के अभाव ने सड़क जाम को कोढ़ बना दिया है. सड़कों के किनारे अतिक्रमण भी है. इस कारण जाम की समस्या दिनों-दिन गहराती जा रही है.
शिक्षा बदहाल, प्रवेश करने में संकोच: शहरी क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति बदहाल है. आज भी कई नवसृजित प्राथमिक विद्यालय मंदिरों में चल रहे हैं. पंचवटी चौक स्थित विद्यालय की स्थिति बदहाल है. वहीं रूपवती कन्या उच्च विद्यालय के मुख्य द्वार पर वाहन चालक का कब्जा है. स्कूल के मुख्य द्वार पर सांसद मद से यूरिनल बना दिया गया है. बनगांव रोड में डोमन साह विद्यालय के गेट पर अतिक्रमण है. नशेड़ी लोगों का जमावड़ा लगा रहता है. बच्चों को स्कूल जाने में भी संकोच होता है.
कब बनेंगे जर्जर सड़क: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एवं मुख्यमंत्री सड़क योजना से गांवों की बदहाल सड़क निर्माण की पहल की गई लेकिन, प्रशासनिक इच्छा शक्ति की कमी और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण शहर में सड़क की सूरत नहीं बदली जा सकी.
कहीं सड़क बनी तो लूट-खसोट के कारण चंद माह में ही जर्जर हो गई. ग्रामीण क्षेत्रों की जर्जर सड़कों की मरम्मत का काम भी अधर में है.
कई क्षेत्रों में सड़कों की हालत पगडंडी से भी बदतर है. कई जगहों पर
निर्माण कार्य की स्वीकृति मिलने के बाद भी सड़क निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया.
शिलापट्ट पर बन रहा ओवरब्रिज:शहर की सड़क जाम की समस्या को दूर करने के लिए बंगाली बाजार में ओवरब्रिज निर्माण की मांग कई दशकों से की जा रही है. लेकिन, घोषित समय पर यह काम कभी शुरु नहीं हो सका. ओवरब्रिज निर्माण को लेकर सिर्फ भाषणबाजी होती है. इस कारण शहर में सड़क जाम की समस्या बनी हुई है. तीन-तीन बार ओवरब्रिज का शिलान्यास होने के बावजूद अभी आरओबी का भी निर्माण शुरु नहीं हो पाया.
कोसी त्रासदी से ग्रस्त जिला: जिले के कोसी तटबंध वाले कई क्षेत्रों में विकास की रोशनी नहीं पहुंच सकी है. यहां पिछड़ापन अपना पांव पसार रहा है.
यह समस्या जिले में घटने के बजाय बढ़ती जा रही है. आज भी कोसी प्रभावित क्षेत्रों में जर्जर सड़क, शिक्षा की बदहाल स्थिति, क्षेत्र के लोगों में बेरोजगारी की समस्या व्याप्त है. इसका फायदा राजनेता उठा रहे है. इस समस्या को दूर करने के लिए बड़ी पहल करने की जरूरत है.
जाम से कब मिलेगी मुक्ति
पूरब बाजार में शनिवार को लगा जाम.
स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल
चिकित्सकों के अभाव में जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल है. सौ बेड के सदर अस्पताल में चिकित्सकों का घोर अभाव है. इसकी अपेक्षा मात्र दर्जन भर चिकित्सक ही यहां कार्यरत हैं. चिकित्सकों के अभाव में मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है. प्रखंड स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में भी चिकित्सकों के अभाव में मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है. सदर अस्पताल में मरीजों के इलाज के लिए सुविधाओं का अभाव रहने से सदर अस्पताल महज रेफरल अस्पताल बन कर रह गया है. स्वास्थ कर्मियों का भी घोर अभाव है.
उद्योगों पर पड़ा ताला
उद्योगों के विकास पर प्रशासनिक लापरवाही एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता हावी है. इस कारण ककई उद्योग-धंधों पर ताला लग गया है. हाल के दिनों में कई लघु उद्योग बंद हो गई. मखाना व मकई के व्यवसाय के लिए प्रसिद्ध कोसी क्षेत्र के समृद्ध किसान किसानी छोड़ चुके है. उनका कहना है कि सरकार उनके उत्पादन को प्रोत्साहित नहीं कर रही है. मजबूरी में ओने-पोने दाम में बिक्री करनी पड़ती है. सरकारी अनुदान की कमी के कारण यह व्यवसाय ठप पड़ गया. इसके अलावा यहां सब्जी उत्पादन का व्यवसाय भी सिमटता जा रहा है. नए उद्योग-धंधों की स्थापना तो सपना ही बन गया है.
महिला शिक्षण संस्थानों का अभाव
जिले में महिलाओं के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों का घोर अभाव है. मुख्यालय में एक मात्र रमेश झा महिला कॉलेज है. ग्रामीण इलाके में महिलाओं का एक भी कॉलेज नहीं है. इस कारण आधी आबादी तो उच्च शिक्षा से वंचित है. हां, कुछ अमीर परिवारों की बेटियां जरूर बड़े शहरों में जाकर शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. महिलाओं के इस दर्द को किसी भी प्रत्याशी ने चुनाव का मुद्दा नहीं बनाया. आज के इस दौर में उच्च शिक्षा के अभाव में महिलाओं को काफी परेशानी होती है. कम शिक्षित रहने के कारण अधिकांश लड़कियों को शादी के लिए योग्य वर भी नहीं मिल पाते है.
पर्यटन स्थलों की हुई उपेक्षा
जिले में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं है. लेकिन, इसकी हमेशा उपेक्षा की गई. पयर्टन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष कोसी व उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन कर स्थानीय नेता अपनी राजनीति को चमकाने का प्रयत्न करते है. यही कारण है कि जिले के प्रसिद्ध नकुचेश्वर महादेव मंदिर,
वन देवी देवना, देवन वन, वाणेश्वर स्थान, चंडी स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में मान्यता नहीं मिली. मुख्यालय स्थित मत्स्यगंधा रक्तकाली धाम वर्षों से उपेक्षित पड़ा है. इन पर्यटन स्थलों का विकास होता तो जिले में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता. इससे रोजगार की संभावनाएं भी विकसित होतीं.

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