बेहतर इलाज से बच सकती थी जान
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संचालक की लापरवाही से हुई जाहिद की मौत: सीपीओ
बेहतर इलाज से बच सकती थी जान बालगृह के एक बालक की मौत का मामला कार्रवाई के लिए लिखा गया विभाग को पत्र सहरसा : शहर के गौतम नगर स्थित बाल गृह के 10 वर्षीय बालक जाहिद की मौत मामले की विभागीय अधिकारी द्वारा की गयी जांच में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर […]
बालगृह के एक बालक की मौत का मामला
कार्रवाई के लिए लिखा गया विभाग को पत्र
सहरसा : शहर के गौतम नगर स्थित बाल गृह के 10 वर्षीय बालक जाहिद की मौत मामले की विभागीय अधिकारी द्वारा की गयी जांच में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर भाष्कर कश्यप के नेतृतव में मौत मामले की जांच में संचालक की लापरवाही सामने आयी है. सीपीओ श्री भाष्कर ने बताया कि जांच के दौरान सामने आया कि बालक कुछ दिन पुर्व से बीमार था और उसका इलाज सदर अस्पताल में करवाया गया था. लेकिन यदि बालक का इलाज पीएमसीएच,
आइजीआइएमएस व अन्य किसी बेहतर संस्थान में कराया जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी. उन्होने कहा कि मौत में संस्थान संचालक की लापरवाही सामने आयी है. संचालक पर कार्रवाई के लिये समाज कल्याण निदेशालय को पत्र भेजा गया है. मालूम हो कि बीते गुरुवार की अहले सुबह जाहिद की मौत हुई थी.
जानकारी के अनुसार, बुधवार की शाम बालक की तबीयत बिगड़ने पर बाल गृह संचालक ने उसे सदर अस्पताल में इलाज के लिये भरती कराया था. जहां चिकित्सक ने खून चढ़ाने की सलाह दी थी. लेकिन गृह के कर्मी सुबह में खून चढ़ाने की बात कह उसे लेकर चले गये थे. देर रात लगभग तीन बजे बालक की हालत खराब होने पर उसे आनन-फानन में फिर से सदर अस्पताल लाया गया था. जहां चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया था. गृह की अधीक्षिका रूबी कुमारी ने सदर अस्पताल में मौत होने की बात कही थी. जबकि अस्पताल प्रबंधन के अनुसार बालक दूसरी बार यहां मृत बालक को लाया गया था.
प्रबंधन ने कहा है कि पहली बार भरती कराये जाने पर बच्चे को खून चढ़ाने की सलाह दी गई थी. जिस पर बालगृह के लोगों ने उसे यहां से डिस्चार्ज करा लिया था. अधीक्षिका ने अपने विभागीय अधिकारी को मौत मामले में कुछ और ही बताया था. उन्होंने चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर भाष्कर कश्यप को बताया था कि बालक हर्ट का मरीज था.
बुधवार की शाम उसे भरती कराया गया था. जिसके बाद रात ग्यारह बजे उसे डिस्चार्ज करा कर ले जाया गया था. अहले सुबह तबीयत बिगड़ने पर फिर से उसे अस्पताल ले जाया गया. जहां उसकी मौत हो गयी थी.
कोई मौत को संदेहास्पद तो कोई गृह की लापरवाही बता रहे थे. अधीक्षिका के द्वारा अलग अलग बयान से मामले पर प्रश्नचिन्ह लग रहा था. जिसके बाद चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर भाष्कर कश्यप के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने मामले की जांच की थी. टीम में डीपीओ वंशीधर कात्यायन, प्रसनजीत कुमार शामिल थे.
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