रात में शहर की सड़कें यात्रियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं. इससे न सिर्फ दुर्घटनाएं होती हैं, बल्कि पैदल चलनेवालों को भी काफी परेशानी हो रही है.
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सूरज ढलने के साथ ही हादसे की आशंका दुखद . एलइडी व सोडियम वैपर खराब
रात में शहर की सड़कें यात्रियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं. इससे न सिर्फ दुर्घटनाएं होती हैं, बल्कि पैदल चलनेवालों को भी काफी परेशानी हो रही है. सहरसा : सूरज ढलते ही सड़कें अंधेरे में डूब जाती हैं. गुरुवार की रात में बटराहा के अनुपलाल बोरिंग रोड पर अंधेरे में एक ऑटो चालक सड़क दुर्घटना […]
सहरसा : सूरज ढलते ही सड़कें अंधेरे में डूब जाती हैं. गुरुवार की रात में बटराहा के अनुपलाल बोरिंग रोड पर अंधेरे में एक ऑटो चालक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया. जिसे निजी अस्पताल में भरती कराना पड़ा. शहर की मुख्य सड़कों सहित वीआइपी इलाकों में भी रोशनी का प्रबंध नहीं है. बस स्टैंड रोड, चांदनी चौक रोड, कहरा ब्लॉक रोड, अनिल गांधी मार्ग, मारुफगंज रोड जैसे इलाके भी अंधेरे में डूबे रहते हैं.
अधिकतर इलाकों की 70 फीसदी से अधिक स्ट्रीट लाइटें खराब हो चुकी हैं. बाजार में लगे होर्डिंग्स व दुकान की रोशनी ही यात्रियों के लिए सहारा है. कहीं एकाध स्ट्रीट लाइट से शहर के चौराहे रोशन हो रहे हैं.
आधी रात को खाली सड़कों पर तेज गति से दौड़ते वाहन अंधेरे में गड्ढों के कारण दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं.जिला मुख्यालय की सड़कों व गलियों में लगी वैपर लाइट खराब है. इससे शाम होते ही इन गलियों में चलना मुश्किल होता जा रहा है. लाइट खराब होने से लोग सुरक्षा को लेकर सचेत तो रहते हैं, लेकिन इन गलियों से गुजरकर घर पहुंचना मजबूरी है. राह में राहजनी और लूटपाट का भय सताता है. घर पहुंच जाने के बाद ही उन्हें शांति मिलती है. जानकारी के अनुसार पिछले कई महीनों से वैपर लाइटें या तो खराब हैं
या काम करना बंद कर दिया है.
इसकी मरम्मत को लेकर किसी जनप्रतिनिधि ने भी जहमत नहीं उठायी. खराब वैपर को ठीक करने के बजाय नया एलइडी लाइट भी करोड़ों रुपये खर्च कर लगायी गयी. जो सफेद हाथी साबित हो रही है. संबंधित संवेदक का दावा है कि सैकड़ों लाइट को ठीक किया गया है. लेकिन रात में कायम अंधेरा छंटने का नाम नहीं ले रहा है. इनमें अधिकांश वैपर ऊंचे-ऊंचे खंभे पर हैं. जबकि एलइडी लाइट लगने से पूर्व नगर परिषद शहर को दूधिया रौशनी में जगमगाने का दावा कर रही थी.
लोगों में है आक्रोश
स्थानीय बटराहा निवासी विभाष चंद्र झा, मनोज मिश्र,बबन झा, अजित यादव, शुभम सिंह बताते हैं कि वैपर लगाने के नाम पर नगर परिषद भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है. जबकि अन्य शहरों में उसी कीमत पर लगी लाइट की गुणवत्ता अच्छी हैं. लोग कहते हैं कि लाइट खरीद में कमीशन का खेल हुआ है. जिसे उजागर करने की आवश्यकता है.
दिखावे के िलए है शहर में वैपर लाइट
शहर की सड़क व गली-मोहल्ले में लगे सैकड़ों सोडियम वैपर व एलइडी लाइट में आंकड़े के मुताबिक अधिककांश लाइट खराब हैं. नगर परिषद स्टैंडिंग व बोर्ड में इसको लेकर पार्षदों ने नाराजगी जाहिर की थी. इसके बाद कार्यपालक पदाधिकारी ने स्पेशल टीम गठित कर इसकी मरम्मति का कार्य शुरू कराया था. हालांकि शहर में अंधेरे का फायदा उठाकर जिस तरह से आपराधिक घटनाएं बढ़ी हैं. इससे नहीं लगता है कि नप ने आवश्यकता के मुताबिक खराब वैपर की मरम्मत करायी है.
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