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डीएम साहब, सुपर बाजार का कब होगा जीर्णोद्धार

गतिरोध. जर्जर इमारत में बदलता जा रहा बेरोजगारों का सपना सुपर बाजार बेरोजगारों को एक आधार देने की दिशा में संजीवनी का काम करता था. लेकिन इन दिनों यह जीर्ण हो गया है. प्रशासनिक पहल से इसकी पुरानी रंगत लौट सकती है. सहरसा सिटी : जिला मुख्यालय स्थित सुपर बाजार दिन-ब-दिन बदहाल होता जा रहा […]

गतिरोध. जर्जर इमारत में बदलता जा रहा बेरोजगारों का सपना

सुपर बाजार बेरोजगारों को एक आधार देने की दिशा में संजीवनी का काम करता था. लेकिन इन दिनों यह जीर्ण हो गया है. प्रशासनिक पहल से इसकी पुरानी रंगत लौट सकती है.
सहरसा सिटी : जिला मुख्यालय स्थित सुपर बाजार दिन-ब-दिन बदहाल होता जा रहा है. दुकानों के बंद रहने से जिला प्रशासन को राजस्व की क्षति भी हो रही है. मालूम हो कि वर्ष 1985 में जिले के बेरोजगार युवाओं को रोजगार करने के लिये प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के उद्देश्य से तत्कालीन मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह द्वारा शहर के उत्तरी छोड़ पर सुपर बाजार का उद्घाटन कर जिले की जनता को एक नायाब तोहफा दिया गया था.
उस समय लगभग 76 लाख रुपये की लागत से सुपर बाजार का निर्माण कराया गया था. जो अपने निर्माण के महज साल भर बाद ही संवरने के बजाय उजड़ने लगी. जिसे बचाने की जहमत जिला प्रशासन सहित किसी राजनैतिक दल या स्वयंसेवी संगठन ने नहीं उठाया. हालांकि बाद के दिनों में कुछेक संगठनों द्वारा इसे कभी-कभार सरकार के सामने तो लाया गया, लेकिन बेअसर रहा. ध्वस्त होने के कगार पर पहुंचे सुपर बाजार में कुल 85 दुकानें है.
जिनमें अधिकांश या तो बंद हो चुकी है या फिर गोदाम के रूप में प्रयुक्त होने लगी है. सुपर बाजार के बंद रहने की वजह से सरकार को प्रति साल लाखों के राजस्व का घाटा लग रहा है.
डीएम ने सुपर बाजार का लिया था जायजा : बीते वर्ष के दिसम्बर माह में डीएम विनोद सिंह गुंजियाल ने अधिकारियों के साथ जर्जर सुपर बाजार का निरीक्षण कर जायजा लिया था. निरीक्षण के बाद अवैध कब्जा जमाये कब्जाधारियों को डीएम द्वारा नोटिस जारी कर उन्हें खाली कराने का निर्देश दिया गया था .
शहर के सौंदर्यीकरण के उद्देश्य से सुपर बाजार के सौंदर्यीकरण व जीर्णोद्धार को लेकर डीएम ने सुपर बाजार सहित डीबी रोड, शंकर चौक सहित अन्य मार्केट का निरीक्षण कर जायजा लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया था. मालूम हो कि शहर के बेरोजगार युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से कई वर्ष पहले जिस उद्देश्य से सुपर बाजार का निर्माण कराया गया था, उस उद्देश्य की पूर्ति मार्केट के निर्माण के बावजूद आज तक पूरा नहीं हो पाया.
जिला प्रशासन की लापरवाही व सरकार की मंशा ठीक नहीं रहने के कारण सुपर बाजार बसने से पहले ही उजड़ गया. डीएम के द्वारा सुपर बाजार के निरीक्षण के बाद फिर से लोगों में सुपर बाजार को बसाने व उसके जीर्णोद्धार को लेकर प्रशासन के प्रति उम्मीद जग गयी थी. लेकिन डीएम के निरीक्षण के महीनों बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाइ नही हो पायी है.
प्रशासनिक उपेक्षा का बना शिकार: सुपर बाजार के निर्माण व स्थापना के बाद जिला प्रशासन द्वारा नये व्यवसायियोंको आश्वस्त किया गया था कि सुपर बाजार के सामने बने लोक बाजार में सब्जी मार्केट, मछली बाजार को शिफ्ट कर दिया जायेगा. इसके पीछे तर्क दिया गया था कि शहर में अन्यत्र लगने वाले सब्जी मंडी के यहां शिफ्ट हो जाने से रोजाना सुपर बाजार में लोगों की आवाजाही बढ जायेगी. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से सुपर बाजार लोगों को लुभाने में असफल रहा. कुछ दुकानदारों ने इधर का रूख भी किया, लेकिन प्रशासन की उदासीनता और अनिर्णय की स्थिति ने स्थायी बाजार बसाने के सपने को अब तक पूरा नहीं होने दिया है.
चुनाव में याद आता है बाजार
घरेलू सामानों की खरीददारी करने के लिये बना सुपर बाजार परिसर निर्माण के बाद कभी बाजार तो नही बन सका. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता व राजनैतिक उपेक्षाओं की वजह से चुनावी मुद्दा जरूर बन गया है. स्थानीय स्तर पर होने वाले नगर निकाय के चुनावों के अलावा विधान सभा एवं लोकसभा की चुनावों में सुपर बाजार को संवारने की मांग को लेकर चुनावी वायदे तो किये जाते है. लेकिन समय बीत जाने के बाद इस दिशा में कभी कोई सकारात्मक पहल नही होती है. जीर्णोद्धार के बजाय सुपर बाजार परिसर अतिक्रमणकारियों का कोपभाजन बनता जा रहा है.
परिसर के मुख्य द्वारा सहित अंदर के भागों में अतिक्रमण कर कई दुकानें सज गयी है. सुपर बाजार में स्ट्रीट लाइट नहीं होने की वजह से शाम होते ही अंधेरा छा जाता है. जिस वजह से लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है. मालूम हो कि अंधेरा होने की वजह से बाजार के बंद पड़े हिस्से में असामाजिक तत्वो का जमावड़ा लगा रहता है. जिस वजह से खासकर महिलाएं उक्त रास्ते से शाम के वक्त गुजरने से परहेज करती है.

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