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नगर परिषद की एलइडी लाइट. गुणवत्ता पर उठे सवाल

करोड़ों रुपये खर्च, फिर भी शहर में अंधेरा कायम शहर की अधिकांश लाइटें खराब पड़ी है. करोड़ों खर्च के बाद भी अंधेरा लोगों की नियति बनी है. जनप्रतिनिधियों को जनता के पैसे का सदुपयोग करने की जरूरत है. सहरसा नगर : चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात वाली कहावत नगर परिषद क्षेत्र में करोड़ […]

करोड़ों रुपये खर्च, फिर भी शहर में अंधेरा कायम

शहर की अधिकांश लाइटें खराब पड़ी है. करोड़ों खर्च के बाद भी अंधेरा लोगों की नियति बनी है. जनप्रतिनिधियों को जनता के पैसे का सदुपयोग करने की जरूरत है.
सहरसा नगर : चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात वाली कहावत नगर परिषद क्षेत्र में करोड़ रुपये से लगाये गये एलइडी लाइट योजना पर सटीक बैठ रही है. एलइडी की दुधिया रौशनी से नहाये शहर की सड़कें क्रमवार फिर अंधेरे में समाने लगी है. नगर परिषद द्वारा निविदा के माध्यम से शहर में एक हजार एलइडी लाइट लगाने की योजना क्रियान्वित की गयी थी. जो गुणवत्ता के अभाव में ढ़ाक के तीन पात साबित हो रही है.
शहर के दर्जनों जगह पर बिजली के खंभे पर लगी लाइट शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. नप द्वारा दो प्रकार के एलइडी की आपूर्ति की गयी थी. जिनकी कीमत आठ हजार व तेरह हजार तय की गयी थी. इसके पूर्व भी नप के मोहल्ले व बाजार में लगाये गये सैकड़ों सोडियम वेपर लाइट तारणहार की बाट देख रहे हैं. जनता के पैसे को लूट संलिप्त लोग मालामाल हो रहे हैं, वहीं लोग अंधेरे में आवागमन को विवश हैं.
गुणवत्ता की नहीं होती जांच
स्थानीय लोग बताते हैं कि शहर में लगाये गये एलइडी लाइट की गुणवत्ता की जांच कागज पर ही कर ली जाती है. जबकि टेंडर में ब्रांडेड कंपनी द्वारा तैयार उत्पाद की कीमत तय की जाती है. सराही के मुकेश कहते हैं कि ब्रांडेड लाइट पर खराब होने की स्थिति में कंपनी मरम्मत भी करती है. यहां तो कोई देखने वाला भी नहीं है.

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