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जिले में लाल आतंक. हरि टुडु की गिरफ्तारी के पूर्व भी हुई हैं यहां नक्सली गतिविधियां

नक्सलियों का स्लीपिंग जाेन बना सहरसा जिले में हरि टुडू की गिरफ्तारी के पूर्व भी नक्सली गतिविधियां होती रही हैं. पीएलएफआई के दो सदस्य की गिरफ्तारी हो चुकी है. सहरसा सिटी : जिले में उग्रवादी संगठनों ने पांव पसारना शुरू तो नहीं कर दिया है. यह चर्चा रविवार को नवहट्टा थाना क्षेत्र से स्थानीय पुलिस […]

नक्सलियों का स्लीपिंग जाेन बना सहरसा

जिले में हरि टुडू की गिरफ्तारी के पूर्व भी नक्सली गतिविधियां होती रही हैं. पीएलएफआई के दो सदस्य की गिरफ्तारी हो चुकी है.
सहरसा सिटी : जिले में उग्रवादी संगठनों ने पांव पसारना शुरू तो नहीं कर दिया है. यह चर्चा रविवार को नवहट्टा थाना क्षेत्र से स्थानीय पुलिस व सीआरपीएफ के द्वारा चलाये गये अभियान में नक्सली हवेली खड़गपुर निवासी हरि टुडू की गिरफ्तारी के बाद लोगों के बीच शुरू हो गयी है.
दो जनवरी को पीएलएफआइ के दो सदस्य सोनवर्षा निवासी कन्हैया स्वर्णकार व आशुतोष स्वर्णकार व उसके बाद अब हरि टुडू की गिरफ्तारी के बाद कुछ हद तक यह आशंका सही साबित हो रही है. सूत्रों के मुतािबक सहरसा नक्सलियों का स्लीपिंग जोन बन रहा है. दूसरे जगह वारदात देने के बाद नक्सली यहां शरण लेते हैं. 24 सितम्बर को पीएलएफआइ का दर्जनों परचा शहर में फेंका मिला था. जिसके बाद सदर थाना में सनहा दर्ज कर छानबीन शुरू की गयी थी.
परचा मिलने के बाद पुलिस सख्ती से संगठन के क्रियाकलापों पर नजर रख रही थी. जिसके बाद गुप्त सूचना पर दोनों को गिरफ्तार किया गया था. जिसके पास से शहर में फेंका गया परचा व अन्य सामान बरामद किया गया था. जिला में संगठन की सक्रियता व गतिविधि बढ़ाने का प्रयास बिहार सुप्रीमो द्वारा इनलोगों के सहयोग से किया जा रहा था. वही तीन माह बाद नवहट‍्टा से हरीश की गिरफ्तारी ने प्रशासन व लोगों को सोचने पर विवश कर दिया है.
फेंका था परचा
पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया के बिहार सुप्रीमो गणेश शंकर के देशवासियों के नाम जारी परचा के शहर में मिलने के बाद खलबली मच गयी थी. जारी परचा में कहा गया था कि हमारे पूर्वज स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के रूप में जो स्वप्न देखा था, क्या 68 वर्षों के शासनकाल में दो से चार प्रतिशत भी साकार हो पाया है. मैं दावे के साथ कहता हूं कि नहीं हुआ. अंग्रेजी शासनकाल से बदतर स्थिति है. दीन हीन उन गरीबों का जो पूर्णत: असहाय हैं.
उनके बच्चे नंग-धड़ंग, जाड़ा, गरमी, बरसात में भूखे प्यासे घूमते रहते हैं. खानाबदोश जीवन जीने वाले लोग जहां कहीं भी सिरकी तानकर सो जाते हैं. मजदूरों में अशिक्षा इस प्रकार हावी है कि वे मजदूरी के पैसे से शराब पी जाते हैं. 20 प्रतिशत पैसे वाले लोग इन मजदूरों को 300-400 रुपये देकर भी ताने मारते हैं जबकि ये नित्य दिन हजारों कमाते हैं. सबसे बुरी हालात किसानों की है जो खेतों में फसल व मिलों में कपड़ा बनाकर भी भूखा और नंगा हैं. किसान-मजदूर और फुटपाथी लोगों की पढ़ाई के लिए निम्नस्तरीय खिचड़ी परोस विद्यालय है जो केवल साक्षर बनाकर शोषण करने की फैक्ट्री मात्र हैं.
पैसे वाले पूंजीपति व उद्योगपति एक रुपये के बराबर भी कार्य नहीं करते हैं तब भी इनके घरों में भोजन के एक से एक पकवान व व्यंजन पड़े हैं. इनके बच्चों के लिए लाखों रुपये फीस वाले एक से एक विद्यालय हैं तथा इनके इलाज के लिए इतने सुंदर व व्यवस्थित अस्पताल हैं जिसे गरीबों ने देखा तक नहीं है. मैं पूछता हूं क्या यही आजादी है. क्या इसी आजादी के लिए हमारे पूर्वजों ने लड़ा था. जितने भी नेता हैं सब भ्रष्ट हैं.
पूर्ण समानतावादी आजादी की लड़ाई आवश्यक है. जिसमें सबों को समान अधिकार मिल सके. इसके बाद एक कविता लिख लोगों को उकसाने का प्रयास किया गया था. परचा मिलने के बाद शहर में विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए सदर थानाध्यक्ष के नेतृत्व में सीआईएसएफ जवानों द्वारा फ्लैग मार्च निकाला गया था.
नवहट्टा से नक्सली की गिरफ्तारी के बाद पुलिस सतर्क
पीएलएफआइ कर रहा जिले में पांव जमाने का प्रयास
विश्वसनीय सूत्र व गोपनीय रूप से पुलिस को पता चला कि जिला में पीएलएफआई नामक उग्रवादी संगठन अपना पांव जमाने का प्रयास कर रहा है. इसके सक्रिय सदस्य शहर में भय एवं दहशत फैलाने के लिए इस प्रकार का कार्य कर रहा है. जांच के क्रम में समाचार पत्रों से पता चला कि पीएलएफआई संगठन के कुछ सदस्य हरवे हथियार के साथ नालंदा जिला के हिलसा थाना क्षेत्र में पकड़े गये हैं. जिसके बाद विशेष दूत भेजकर प्राथमिकी की छायाप्रति मंगायी गयी. प्राथमिकी के अवलोकन से पता चला कि गिरफ्तार संगठन के सदस्य गणेश शंकर के नेतृत्व में व्यवसायियों को डरा धमकाकर उनसे रंगदारी वसूलते हैं.
गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से बरामद परचा का मिलान सहरसा में बरामद परचा से किया गया तो पाया गया कि दोनों परचा पर लिखी गयी वस्तु समान है. जांच के दौरान सहरसा जिला में संगठन के दो अति सक्रिय सदस्य के जानकारी मिली. जिसके आधार पर सोनवर्षा से गांधी स्वर्णकार के पुत्र कन्हैया स्वर्णकार व विजय स्वर्णकार के पुत्र आशुतोष स्वर्णकार को गिरफ्तार किया गया था. जिसके पास से शहर में फेंका गया परचा व अन्य सामान बरामद किया गया. जिला में संगठन की सक्रियता व गतिविधि बढाने का प्रयास बिहार सुप्रीमो द्वारा इनलोगों के सहयोग से किया जा रहा था.

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