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बिना कोर्ट की अनुमति आयोग ने बदला कारा : आनंद मोहन

बिना कोर्ट की अनुमति आयोग ने बदला कारा : आनंद मोहन चुनाव के दौरान बेउर जेल भेजे जाने पर पूर्व सांसद ने मजिस्ट्रेट से की शिकायतकहा, उन्हें मानसिक व शारीरिक यातना पहुंचायी गयीप्रतिनिधि, सहरसा शहरमंडल कारा में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन ने राज्य निर्वाचन आयोग के विरुद्ध अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी को आवेदन देकर बिना […]

बिना कोर्ट की अनुमति आयोग ने बदला कारा : आनंद मोहन चुनाव के दौरान बेउर जेल भेजे जाने पर पूर्व सांसद ने मजिस्ट्रेट से की शिकायतकहा, उन्हें मानसिक व शारीरिक यातना पहुंचायी गयीप्रतिनिधि, सहरसा शहरमंडल कारा में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन ने राज्य निर्वाचन आयोग के विरुद्ध अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी को आवेदन देकर बिना कोर्ट की अनुमति बेवजह कारा स्थानांतरण कर मानसिक व शारीरिक यातना पहुंचाने की शिकायत की है. गुरुवार को कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे पूर्व सांसद श्री मोहन ने कहा कि बीते 19 अक्तूबर की रात आयोग ने तुगलकी फरमान सुना कर अहले सुबह बिना कोर्ट के आदेश के बेऊर जेल तबादला कर दिया. जबकि 28 अक्तूबर को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश के यहां तारीख निर्धारित थी. इतना ही नहीं, पटियाला हाउस नयी दिल्ली में 29 अक्तूबर को उनकी पेशी थी. उन्होंने कहा कि उन पर चुनाव प्रभावित करने का आरोप लगाया गया, जो व्यावहारिक नहीं था. जर्जर गाड़ी से भेजा पटनापूर्व सांसद ने कहा कि उनकी पत्नी सहरसा से 400 किलोमीटर दूर शिवहर से चुनाव लड़ रही थी. जबकि शिवहर से पटना की दूरी मात्र 150 किलोमीटर ही है. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने उन्हें जर्जर गाड़ी से पटना भेजा, जो रास्ते में ही खराब हो गयी. 16 घंटे के बाद पहुंचने पर बेऊर जेल में वहां रखा गया, जहां गांधी मैदान सीरियल ब्लास्ट के आरोपियों को रखा गया था. उन्हें ताले व सख्त पहरे में रखा गया जो मानवाधिकार का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि इस कारण उन्होंने 20 अक्तूबर की रात से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया. 24 अक्तूबर को काराधीक्षक व कारा महानिरीक्षक के आश्वासन के बाद अनशन तोड़ दिया. चुनाव समाप्ति के बाद भी आठ व 10 नवंबर को उनकी पेशी नहीं हो सकी. उन्होंने कहा कि क्या आयोग व राज्य सरकार को यह हक है कि बिना कोर्ट के आदेश से किसी बंदी को अन्यत्र स्थानांतरित कर सके. क्या राज्य निर्वाचन आयोग, न्यायपालिका से बड़ा है. दंडाधिकारी को दिये आवेदन में कहा है कि संपूर्ण प्रकरण की जांच कर यह सुनिश्चित किया जाये कि भविष्य में उनके सहित अन्य नि:सहाय बंदियों का हक अक्षुण्ण रहेगा. फोटो-आनंद 8- पूर्व सांसद आनंद मोहन

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