सहरसा: सूर्योपासना काचार दिवसीय महापर्व छठ बुधवार को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ. व्रती महिलाओं ने पर्व के निमित्त गेहूं को नियम निष्ठा के साथ सुखाया. मालूम हो कि छठ पर्व में नियम, धर्म, पवित्रता व शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. इससे पूर्व बुधवार को नहाय खाय के दिन मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ियां जोड़ कर अरवा चावल का भात व कद्दू की सब्जी व्रतियों द्वारा बनाया गया. व्रतियों द्वारा चावल व कद्दू की सब्जी को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया गया. इसके बाद घर के सदस्यों ने उसी थाली में खाकर प्रसाद पाया. छठ पर्व के दूसरे दिन गुरुवार को खरना मनाया जायेगा. देर रात खरना का प्रसाद खाने के साथ ही व्रती महिलाओं 34 घंटे का निजर्ल व निराहार व्रत प्रारंभ हो जायेगा, जिसकी तैयारी में हिंदू श्रद्धालु तन मन से जुट चुके हैं. शहरी क्षेत्र में मिट्टी के चूल्हे व आम के सूखे लकड़ियों की खरीदारी हुई. खरना का पवित्र प्रसाद इसी चूल्हे पर बनेगा. इधर, खरना की तैयारी को लेकर बाजार में सुबह से ही चहल पहल बनी रही. दूध, घी, चीनी, अरवा चावल सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की बिक्री परवान पर रही. शहर के सभी फ्लोर मिल देर रात य सुबह धोये जायेंगे. जहां खरना के गेहूं की पिसायी होगी.
खीर, चपाती व केला
खरना के मौके पर खीर के अलावा छठी मैया को चढ़ने वाले चपाती की भी तैयारी अंतिम चरण में है. पर्व के निमित्त खरीदे गये गेहूं को व्रती महिलाओं ने नहाय-खाय के दिन बुधवार को ही धोकर सूखा लिया. गुरुवार को धूले हुए आटा चक्की मिलों पर गेहूं की पिसाई करायी जायेगी.
इसके अलावा खरना के प्रसाद में चढ़ाये जाने वाले केले की भी बिक्री हुई. बहुतायत मात्र में केला उपलब्ध रहने के कारण कीमतों में कोई खास उछाल नहीं आया है.
मनोकामना होती है पूर्ण
गुरुवार की रात खरना का प्रसाद खाने के साथ ही व्रतियों के लगातार 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरू हो जायेगा. अब व्रती शनिवार को उगते सूर्य को अघ्र्य देने के बाद पहले पूजा -अर्चना करेगी. फिर प्रसाद ग्रहण कर व्रत तोड़ेगी. नियम-निष्ठा वाले इस पर्व में व्रती परिवार को पल-पल खास ख्याल रखना होता है.
शुद्धता व साफ-सफाई पर्व की पहचान होती है. सूर्योपासना के इस महान पर्व के प्रति लोगों की मनोकामना पूर्ण होने की बात कही जाती है. यही कारण है कि नियम निष्ठा का खास ख्याल लोगों को आस्था व श्रद्धा के अत्यंत करीब ले जाता है.