जो दुख में देखेगा, उसे ही देंगे वोट फोटो-06कैप्सन- राय व्यक्त करने वालों का फाइल फोटोप्रतिनिधि, सुपौलआजादी के कई वर्ष बीत गये. सूबे में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां सत्ता पर काबिज हुई. मतदाताओं ने समाज के सुयोग्य, कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार जनप्रतिनिधियों को विजयी बना कर विधानसभा तक पहुंचाया और विकास की नई गाथा लिखने का मौका भी दिया. बावजूद इसके अब तक किसी ने इस क्षेत्र का अपेक्षित विकास नहीं किया, जिस कारण कुछ मतदाताओं में लोकतंत्र के इस महापर्व को मनाये जाने को लेकर नाराजगी भी दिख रही है. ऐसे में इस बार के मतदान में वोटरों की एक बड़ी तादाद नोटा का प्रयोग भी करेंगे. कोसी के कहर से त्रस्त इलाके के लोगों में शुरू से ही विकास की उम्मीद है. इस नाते उन्होंने हर चुनाव में वोट भी डालें है. यह दीगर बात है कि विकास की चर्चा तो दूर, कोसी की बड़ी आबादी रोजगार के अभाव में आज भी अन्य प्रदेशों की ओर पलायन को विवश हैं. वोटरों ने इस बार तय कर लिया है कि जो जनप्रतिनिधि उनके दुख-दर्द को दूर करेंगे, मतदाता उसे ही अपना समर्थन प्रदान करेंगें. बहुतेरे समस्याओं को लेकर प्रभात खबर द्वारा राय शुमारी की गयी जहां मतदाताओं ने अपना भाव प्रकट किया. गैराज में कार्य कर परिवार की गाड़ी चलाने वाले मो नौशाद ने बताया कि स्थानीय जन प्रतिनिधियों में जन सेवा का भाव होना चाहिए. चुनाव में मतभेद होना लाजिमी है. लेकिन जन प्रतिनिधियोें में मनभेद की स्थिति पनप जाय तो लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा. युवा भुवन शंकर का मानना है कि जनता अब जागरूक हो चुकी है. जन प्रतिनिधियों को वोटरों की भावना का कद्र करनी चाहिए. कोई भी जन प्रतिनिधि प्रत्येक व्यक्ति का विकास नहीं कर सकता. लेकिन सभी स्थानीय समस्याओं का विकास आवश्यक है. व्यवसायी लड्डू कुमार ने बताया कि वर्तमान समय में जन प्रतिनिधि वोटरों को अपने पक्ष में रिझाने के लिए अपशब्द का प्रयोग करने लगे हैं. जन प्रतिनिधियों को इस तरह का सोच नहीं रखना चाहिए. यह जरूरी नहीं है कि सभी व्यक्तियों का मत एक समान हो. जनतंत्र की यही एक खासियत है. संवेदक मो शाहबाज ने राय व्यक्त करते कहा कि जन प्रतिनिधि को क्षेत्रीय समस्या पर तरजीह देना चाहिए. ताकि मतदाताओं के मन मंे पल रहे वादाखिलाफी की भावना दूर हो सके. प्रजातंत्र में मतदाता व जन प्रतिनिधि दोनों का विशेष महत्व है. जिस प्रकार मतदाता द्वारा जन प्रतिनिधि का चुनाव किया जाता है. ठीक उसी प्रकार विजयी प्रत्याशी द्वारा लोकतंत्र की नई गाथा लिखी जाती है. व्यवसायी तुफेल राज ने कहा कि जन प्रतिनिधियों के लिए अपने क्षेत्र के विकास को लेकर पांच वर्ष का समय होता है. एक विधान सभा क्षेत्र में अधिकतम तीन से पांच दर्जन पंचायत की आबादी समाहित है. जन प्रतिनिधि में कार्य करने की इच्छा शक्ति दृढ़ हो तो समावेशी विकास स्वत: दिखने लगेगा. इस बार इसी तरह के उम्मीदवार को हमारा वोट मिलेगा. जिला साक्षर मिशन में कार्यरत उपेंद्र प्रसाद मंडल ने बताया कि समय किसी का पीछा नहीं करता. लोगों को समय का पीछा करना होता है. जन प्रतिनिधियों को यह समझना चाहिए कि लोकतंत्र में एक – एक वोट का अहम भूमिका होती है. व्यवसायी सुजीत विश्वास ने राय दी कि जन प्रतिनिधि ऐसा हो जो समय अनुकूल विकास की बात करें. लेकिन आज के जन प्रतिनिधि अवसरवादी हो गये हैं. चुनाव जीतने के बाद मतदाताओं के दर्द को भूल व्यक्तिगत विकास की बात करते हैं. जन प्रतिनिधियों को अपनी आय में बढ़ोतरी होने से पहले क्षेत्र वासियों की आय को सुदृढ़ करनी चाहिए. सामाजिक कार्यकर्ता राघव कुमार झा ने बताया कि सभी जन प्रतिनिधि एक समान नहीं होते. लेकिन कई ऐसे उम्मीदवार भी मैदान में उतरते हैं जो जातिवाद, धार्मिक सहिष्णुता की भावना फैला कर वोटरो को रिझाने में सफल हो जाते हैं. लोगों को ऐसे प्रत्याशियों से बचना चाहिए तथा उनका समर्थन विकास की बात करने वाले उम्मीदवार को ही मिलना चाहिए.
जो दुख में देखेगा, उसे ही देंगे वोट
जो दुख में देखेगा, उसे ही देंगे वोट फोटो-06कैप्सन- राय व्यक्त करने वालों का फाइल फोटोप्रतिनिधि, सुपौलआजादी के कई वर्ष बीत गये. सूबे में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां सत्ता पर काबिज हुई. मतदाताओं ने समाज के सुयोग्य, कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार जनप्रतिनिधियों को विजयी बना कर विधानसभा तक पहुंचाया और विकास की नई गाथा लिखने का मौका […]
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