पाठकों का कहना है कि सभी प्रकार का संसाधन उपलब्ध रहने के बावजूद चिलचिलाती धूप और कड़ाके की ठंड में महाजाम के दौरान वे पल-पल कु व्यवस्था के शिकार होते हैं. यह सवाल मस्तिष्क में कौंधता रहता है कि आखिर हम कब तक चुप्पी साधे रहेंगे. इसलिए मौका हमारे सामने है, जागो, उठो और अधिकार के लिए संघर्ष करो.
Advertisement
सो चुके जनप्रतिनिधियों को जगाने की जरूरत
सहरसा नगर: कहते हैं विकास का रास्ता सड़क, पुल और पुलिया से होकर ही गुजरता है. खासकर शहर के बंगाली बाजार में ओवरब्रिज का सीधा जुड़ाव यहां के बाजार की अर्थव्यवस्था और यहां के जीवन की रफ्तार से जुड़ा हुआ है. आखिर इतनी बड़ी आवश्यकता को अमली जामा पहनाने क ी बजाय क्षेत्र की जागरूक […]
सहरसा नगर: कहते हैं विकास का रास्ता सड़क, पुल और पुलिया से होकर ही गुजरता है. खासकर शहर के बंगाली बाजार में ओवरब्रिज का सीधा जुड़ाव यहां के बाजार की अर्थव्यवस्था और यहां के जीवन की रफ्तार से जुड़ा हुआ है. आखिर इतनी बड़ी आवश्यकता को अमली जामा पहनाने क ी बजाय क्षेत्र की जागरूक जनता चिर निंद्रा में क्यों सोई हुई है? प्रभात खबर द्वारा ओवरब्रिज के मुद्दे पर निरंतर की जा रही रायशुमारी में यह बातें प्रमुखता के साथ सामने आ रही है.
बहुमूल्य है समय, सदुपयोग होगा. रोजाना सड़क जाम में फंसना और गंतव्य तक देर से पहुंचना शहर की नियति बन चुकी है. कई बार तो बंगाली बाजार का जाम लोगों के अचूक बहाने का काम करता है, जिसमें अविश्वास की कहीं कोई गुंजाइश ही नहीं रह जाती है. ऐसे में ओवरब्रिज के न होने का दुष्प्रभाव का पता चलता है. जब हम अस्पताल में डॉक्टर को यह कहते हुए सुनते है कि काश दस मिनट पहले आते तो मरीज की जान बच सकती थी. वर्तमान में लोगों की जिंदगी जहां प्रतिस्पर्धा पर टिकी हुई है, वहां जिंदगी का एक चौथाई हिस्सा सड़क जाम में गुजार देना कहां तक न्यायोचित है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement