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सजा तो सके नहीं, उजाड़ने की तैयारी

सहरसा मुख्यालय: दशकों से बदहाल चिल्ड्रेन पार्क की दशा को जिला प्रशासन सुधार तो नहीं सकी, लेकिन उसकी सूरत बिगाड़ने व पार्क का अस्तित्व समाप्त करने के लिए कलम चलाने में देरी नहीं की. जिला प्रशासन ने जलमीनार बनाने के लिए पार्क की यह जमीन बिहार राज्य जल पर्षद निगम को दे दी. निगम भी […]

सहरसा मुख्यालय: दशकों से बदहाल चिल्ड्रेन पार्क की दशा को जिला प्रशासन सुधार तो नहीं सकी, लेकिन उसकी सूरत बिगाड़ने व पार्क का अस्तित्व समाप्त करने के लिए कलम चलाने में देरी नहीं की. जिला प्रशासन ने जलमीनार बनाने के लिए पार्क की यह जमीन बिहार राज्य जल पर्षद निगम को दे दी. निगम भी पार्क में पाइप गिरा उसे गाड़ने व जलमीनार बनाने की तैयारी में जुट गया है. स्थानीय न्यू कॉलोनी मुहल्ले सहित आसपास के इलाके के लोगों के विरोध पर काम अभी स्थगित है. इधर लोगों ने मंगलवार को पार्टी कार्यक्रम में भाग लेने आये केंद्र सरकार के राज्यमंत्री रामकृपाल यादव से मिल लोगों ने पार्क के जीर्णोद्धार की मांग की. स्थानीय विधायक डॉ आलोक रंजन ने लोगों को पार्क में किसी तरह का निर्माण नहीं होने का आश्वासन देते हुए डीएम से मिलने की बात कही है.
आयुक्त ने किया था पार्क का उद्घाटन. न्यू कॉलोनी में सरकारी क्वार्टर से उत्तर व सदर अस्पताल परिसर से दक्षिण खाली सरकारी भूखंड पर चिल्ड्रेन पार्क स्थित है. 1978 में तत्कालीन आयुक्त सीआर वेंकटरमण ने इस पार्क का उद्घाटन किया था. उस समय पार्क में बच्चों के खेलने के ढ़ेर सारे उपकरण लगाये गये थे. साथ ही इसकी घेराबंदी सहित सौन्दर्यीकरण की योजना बनायी गई थी. कमिश्नर वेंकटरमण के जाते ही योजनाएं धरी की धरी रह गयी.

1997 में तत्कालीन जिलाधिकारी टीएन लाल दास ने भी चिल्ड्रेन पार्क के जीर्णोद्धार की घोषणा की थी. उनके बाद आये आरएल चौंगथू व एसडीओ पंकज दीक्षित ने भी इसे पार्क का स्वरूप देने क ा आश्वासन दिया था. लेकिन उसे भी मैदान तक नहीं उतारा जा सका. इधर पार्क में न्यू कॉलोनी, अस्पताल कॉलोनी, शिक्षा कॉलोनी सहित नया बाजार व सराही के बच्चों का आना लगा रहा. कई बार यहां टूर्नामेंट का आयोजन किया जा चुका है. आसपास के विद्यालयों के बच्चों के खेल प्रतियोगिता का भी यही एकमात्र मैदान है. अभी भी इस पार्क में रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग टहलने अथवा योग प्राणायाम करने आते हैं.

और भी तो थी खाली जमीन..
पीएचइडी परिसर में बने जलमीनार की अवधि समाप्त हो चुकी है. वह किसी काम का नहीं रहा. संप्रति उससे सिर्फ कलेक्ट्रेट व सदर अस्पताल को जलापूर्ति की जा रही है. जिलेवासियों को शुद्ध जल पिलाने के लिए इस पानी टंकी का भी नये सिरे से उपयोग किया जा सकता था. गल्र्स मिड्ल स्कूल की उत्तरी व पश्चिमी चाहरदिवारी के पीछे भी बिहार सरकार की जमीन वर्षो से खाली पड़ी हुई है, उसका भी उपयोग किया जा सकता था. लेकिन जिला प्रशासन ने उन सभी स्थलों का चयन न कर बच्चों के खेलने के स्थान को ही बिहार राज्य जल पर्षद को आवंटित कर दिया. सोमवार की सुबह पाइप लेकर आये विभाग के कर्मियों को वहां खेल रहे बच्चों ने काम करने से रोक दिया. विरोध जताने वालों में अनुभव कुमार सूरज, टिंकू सरकार, अभिषेक मिश्र, गोविंद कुमार सिंह, गौरव राज, मुकेश कुमार, रतन कुमार, रोशन कुमार, विक्रम, प्रकाश, कुणाल, विक्रांत, दीपक व अन्य शामिल हैं.

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