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भूकंप की दृष्टि से कई सरकारी भवन संवेदनशील

सहरसा सदर: भूकंप की दृष्टि से कोसी क्षेत्र का इलाका सबसे अधिक डेंजर जोन पांच में रहने के कारण इस इलाके में वर्षो पहले बने कई सरकारी व गैर सरकारी भवन भूकंप के झटका को सहन नहीं कर सकता है. बुजुर्गो का कहना है कि वर्ष 1934 में आये भूकंप ने भी कोसी क्षेत्र में […]

सहरसा सदर: भूकंप की दृष्टि से कोसी क्षेत्र का इलाका सबसे अधिक डेंजर जोन पांच में रहने के कारण इस इलाके में वर्षो पहले बने कई सरकारी व गैर सरकारी भवन भूकंप के झटका को सहन नहीं कर सकता है. बुजुर्गो का कहना है कि वर्ष 1934 में आये भूकंप ने भी कोसी क्षेत्र में भारी तबाही व बरबादी की थी.

तब से लेकर आज तक में इस इलाके में 25 व 26 अप्रैल को आयी भूकंप से ही लोग पहली बार इतने दहशत में जी रहे हैं. देश की आजादी के बाद वर्ष 1954 में भागलपुर व मुंगेर से अलग होकर स्वतंत्र जिला बनने के बाद सहरसा में उस दौरान उस समय की तकनीक सुर्खी-चूना से बने कई सरकारी कार्यालय में अभी भी कई विभाग संचालित हो रहा है.

जिस भवन की उम्र 60 वर्ष से भी ज्यादा की हो चुकी है. जो भूकंप के तेज झटके को सहन नहीं कर सकता है. इस दृष्टि से जिला स्थापना काल या उससे पूर्व बने कई सरकारी भवन भूकंप की दृष्टि से सुरक्षा के लिए महफूज नहीं है. वर्ष 1954 में जिला स्थापना के बाद बना समाहरणालय परिसर में अभी भी डीएम कार्यालय से लेकर अनुमंडल कार्यालय सहित कई प्रमुख विभाग का कार्यालय संचालित हो रहा है. जिसकी जजर्रता खुद ही बयां करती है. थोड़ी सी बारिश होते ही कई कार्यालयों से वर्षा का पानी छत से टपक कार्यालय में प्रवेश कर जाते हैं. हालांकि समाहरणालय परिसर में अवस्थित पुराने भवन की जजर्रता को देख कई बार इसके छत की मरम्मती भी करवाई जा चुकी है.
फिर भी भवन निर्माण के उम्र व आज के भवन निर्माण के उच्च तकनीक के आगे पुराने भवन को लोग सुरक्षित नहीं मान रहे हैं. इन सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कई अधिकारी व कर्मियों को भी शनिवार व रविवार को आये भूकंप को देख भवन की जजर्रता को देख उनके अंदर डर व भय का माहौल व्याप्त होने की बात खुले मन से कही जा रही है. शनिवार को भूकंप के आए लगातार कई झटकों से कर्मी व अधिकारी दिन में कार्यालय के अंदर खुद को महफूज नहीं समझ रहे हैं. समाहरणालय परिसर के ही अंदर बना निबंधन कार्यालय व कचहरी पोस्ट ऑफिस भी जिला स्थापना काल में ही बने पुराने भवन में चलाया जा रहा है. यह भवन भी भूकंप के अतिसंवेदनशील जोन को देख सुरक्षित नजर नहीं आ रहा है.

वहीं दूसरी ओर जिला स्थापना के बाद प्रमंडलीय अस्पताल के रूप में सदर अस्पताल का भवन भी भूकंप की दृष्टि से सुरक्षित प्रतीत नहीं हो रही है. सदर अस्पताल परिसर में ही बने दो मंजिला भवन की जजर्रता को देख उसे भी भूकंप सहने योग्य नहीं माना जा रहा है. भूकंप की भविष्य में संभावना को देख अब लोगों ने इन सरकारी पुराने भवन की जगह भूकंप अवरोधक भवन निर्माण की बात उठानी शुरू कर दी है. ताकि समय रहते सरकारी कार्यालय और उनमें कार्यरत लोगों को भूकंप जैसी आपदा से सुरक्षा की उपाय ढूंढ़ा जा सके. इसी तरह जिला मुख्यालय सहित प्रखंड मुख्यालयों में और भी कई ऐसे सरकारी भवन हैं. जहां सरकारी कार्यालय संपादित किया जा रहा है. इसके अलावे कई पुराने स्कूल के भवन भी हैं जो जजर्र अवस्था में है और वहां अभी भी शिक्षण कार्य संपादित किया जा रहा है. इन सभी कार्यालयों व स्कूलों को भी तोड़ कर नये सिरे से भूकंप अवरोधक व कार्यालय बनाये जाने की आवश्यकता दिख रही है. ताकि भविष्य में भूकंप के तेज झटके को देख इस इलाके में कम से कम जान-माल की क्षति हो सके.

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