सहरसा : पूर्व मध्य रेल के सहरसा जंक्शन सहित आस-पास के स्टेशनों पर भोले भाले लोगों से ज्यादा भाड़ा लेकर खुद की जेब मजबूत किये जाने की शिकायत का दावा पुख्ता होता जा रहा है. काउंटर पर ज्यादा पैसे लिए जाने की शिकायत बहुत पुरानी हो गयी.
अब तो यात्रियों से उस रूट में भी एक्सप्रेस का टिकट पकड़ा कर ज्यादा रुपये ऐंठ लिये जाते हैं. जिस पर पांच वर्षो से कोई एक्सप्रेस ट्रेन नहीं चली. ऐसा सिर्फ उन्हीं यात्रियों से किया जाता है, जिन्हें टिकट देने वाले ताड़ लेते हैं कि पंजाब, दिल्ली से आने वाला यह व्यक्ति ज्यादा परेशानी नहीं करेगा.
विगत दो जून को शंकर चौक निवासी रमेश कुमार जब सहरसा से राघोपुर का टिकट लेने गये तो पैसेंजर ट्रेन के किराया के बदले बुकिंग क्लर्क द्वारा उससे एक्सप्रेस ट्रेन का किराया वसूल किया गया. जबकि सहरसा से राघोपुर तक वर्ष 2008 की कुसहा त्रसदी के बाद से अब तक कोई एक्सप्रेस ट्रेन नहीं दौड़ी है. इस छोटी लाइन की पटरी पर सिर्फ छह जोड़ी पसैंजर ट्रेन ही चलती है.
इसके बावजूद उक्त यात्री से सहरसा से राघोपुर पसैंजर ट्रेन का किराया जो पंद्रह रुपये है, की जगह पैंतीस रुपये एक्सप्रेस के रूप में वसूल किया जाना, विभाग की मनमानी को दर्शाता है. उक्त यात्री द्वारा बताया गया कि जब टिकट लेने के समय बुकिंग क्लर्क से पैसेंजर ट्रेन का भाड़ा लिये जाने को कहा गया तो बुकिंग क्लर्क ने रोब जमाते यात्री से कहा कि टिकट लेना है तो लो, नहीं तो भागो. लेकिन मजबूरीवश एक्सप्रेस का भाड़ा लेकर टिकट लेकर ट्रेन पर चढ़ गये. दो जून को यह टिकट विंडो नंबर आठ से लिया गया था.
जिस पर टिकट नंबर 7359611 अंकित है. मेल एक्सप्रेस व सेकेंड क्लास टिकट पर दर्शाया गया है. यह हास्यास्पद है कि पैसेंजर ट्रेन भी जिस रूट पर रेंगने के समान चलती है, वहां यात्रियों से मेल एक्सप्रेस का किराया वसूला जा रहा है. यह मात्र एक उदाहरण हो सकता है. रेलवे स्टेशन पर इन दिनों उमड़ी भीड़ में कितने भोले लोग इस ठगी का शिकार होते होंगे.
कहना मुश्किल है. मालूम हो कि टिकट बुकिंग क्लर्क द्वारा जहां आये दिन यात्रियों से निर्धारित किराये से अधिक वसूल किये जाने की शिकायतें मिलती रहती है. वही इन दिनों पंजाब सहित अन्य प्रांत जानेवाले मजदूर यात्रियों से भी निर्धारित किराये से अत्यधिक भाड़ा वसूले जाने का मजदूरों द्वारा शिकायत मिली है.
जिसके कारण शनिवार को स्टेशन पर यात्रियों द्वारा उपद्रव व तोड़-फोड़ भी मचाया गया था. इस तरह अधिक किराया वसूल कर यात्रियों का रेल द्वारा किस तरह शोषण किया जा रहा है. इसका अंदाजा खुद लगाया जा सकता है.
* रेलवे की करतूत रोब दिखा टिकट लेने के लिए यात्रियों को किया जाता है मजबूर
* छह महीने में एक बार आने वाले लोग फंस जाते हैं कर्मचारियों की जाल में
– यह सचमुच आश्चर्यजनक है. ऐसा नहीं होना चाहिए. इस बाबत वरीय अधिकारियों को सूचित किया जायेगा.
राकेश कुमार सिन्हा स्टेशन अधीक्षक, सहरसा