सहरसा : जिस तरह चाहो बजाओ तुम हमें, हम नहीं हैं आदमी हम झुनझुने हैं… कवि दुष्यंत की पंक्ति शहर के आम जनमानस पर सटीक बैठती है. शहर में ओवरफ्लो व बजबजाती नाली से निजात के उम्मीद में आमलोगों को जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन द्वारा कई बार आश्वासन दिये जा चुके है. कोई नवंबर तो […]
सहरसा : जिस तरह चाहो बजाओ तुम हमें, हम नहीं हैं आदमी हम झुनझुने हैं… कवि दुष्यंत की पंक्ति शहर के आम जनमानस पर सटीक बैठती है. शहर में ओवरफ्लो व बजबजाती नाली से निजात के उम्मीद में आमलोगों को जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन द्वारा कई बार आश्वासन दिये जा चुके है. कोई नवंबर तो कोई दिसंबर में ड्रेनेज निर्माण शुरु होने के दावे कर रहा था. प्रशासन की तरफ से वुडको को ड्रेनेज निर्माण के लिए टेंडर आवंटन की बात कही गयी थी.
उस वक्त बरसात की वजह से काम में देरी का तर्क भी प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सरेआम दिया जाता था. लोग भी प्रशासनिक आश्वासन को धेर्य से सुन बरसात बीतने का इंतजार कर रहे थे. इन दिनो बरसात बीत चुकी है. मौसम भी काम करने के लिए अनुकूल है. इसके बावजूद शहर में ड्रेनेज निर्माण शुरु नहीं होना लोगों को खटकने लगा है. लोगों का कहना है फिर कुछ दिनों में बारिश शुरु होगी तो ड्रेनेज का काम नहीं हो सकेगा. ऐसे में प्रशासनिक सुस्ती की वजह से ड्रेनेज निर्माण का स्वर्णिम समय बीत रहा है.
गंदे पानी से होता है सामना: शहर में नाला के ओवरफ्लो व जलजमाव की वजह से कई रास्ते बाधित हो गये हैं. इन सड़कों से गुजरने पर लोगों का गंदगी से ही सामना होता है. जो सड़कों पर बहती रहती है. खासकर शहर के बटराहा वार्ड नंबर 22, 23 सहित गांधी पथ की हालत बहुत खराब हो गयी है. इन सड़कों के किनारे बसे लोगों की शामत आ गयी है. लोगों का कहना है कि ड्रेनेज निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ, तो सपरिवार दूसरे मोहल्ले में चले जायेंगे.
पहुंचते हैं कर्मी, नहीं होता निदान
नगर में नाला जाम व सड़कों पर पानी बहने की शिकायत मिलने पर स्थानीय पार्षद व नप के अधिकारी द्वारा पहल के रूप में सफाईकर्मी को भेजा भी जाता है. जहां कर्मी पानी में कुदाल डाल कोशिश भी करते हैं लेकिन जलनिकासी नहीं हो पाती है. लोगों का कहना है कि जलनिकासी के सभी केंद्र बंद हो चुके हैं. घरों से निकलने वाला पानी नाले में ही स्टोर रहता है. नाला जाम रोजाना की समस्या बन कर रह गयी है. इसका कोई निदान नहीं हो रहा है.