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हे सरकार, कहीं भवन, तो कहीं गुरुजी की है दरकार

ग्यारह स्कूल, ग्यारह रिपोर्टर. प्रभात खबर ने लिया सरकारी स्कूलों का जायजा, मिलीं खामियां ही खामियां सरकारी विद्यालयों में व्यवस्था का अभाव सहरसा : ब्लैक बोर्ड का रंग काला होता है, लेकिन देश के भविष्य में उजाला भरने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. देश की करीब 78 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. ग्रामीण इलाके […]

ग्यारह स्कूल, ग्यारह रिपोर्टर. प्रभात खबर ने लिया सरकारी स्कूलों का जायजा, मिलीं खामियां ही खामियां

सरकारी विद्यालयों में व्यवस्था का अभाव
सहरसा : ब्लैक बोर्ड का रंग काला होता है, लेकिन देश के भविष्य में उजाला भरने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. देश की करीब 78 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. ग्रामीण इलाके में शिक्षा के लिए आमलोग सरकारी स्कूलों पर निर्भर रहते हैं. लेकिन नौनिहालों के भविष्य को गढ़ने वाले सरकारी स्कूल खुद बीमार हैं.
देश में आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के जरिये निजी विद्यालय काफी परिश्रम कर रहे हैं. लेकिन सरकार द्वारा शिक्षा मद में अरबों रुपये खर्च करने के बाद जो तस्वीर सामने नजर आती है वो खुशी देने की जगह दुख अधिक देती है. स्कूलों का भवन न होना, शिक्षकों की कमी(संख्या और गुणवत्ता) और बुनियादी सुविधाओं की जिले के नौनिहालों के सपनों पर ग्रहण लगा रही है. सोमवार को प्रभात खबर के द्वारा किये गये पड़ताल से निकल कर आयी रिपोर्ट से जिले में संचालित सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का हाल क्या है. प्रस्तुत है प्रभात खबर टोली की यह रिपोर्ट.
विधानसभा में भी उठा मामला, नहीं हुआ निदान
सिमरी बख्तियारपुर. अनुमंडल मुख्यालय प्लस टू प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय में दस बजे छात्राएं मौजूद थीं. वहीं विद्यालय के ऊपर दो कमरे में इंटर की टेस्ट परीक्षा ली जा रही थी. जिसमें छात्राएं अधिकांश सिविल ड्रेस में परीक्षा दे रही थी. विद्यालय में प्रधानाध्यापक जीवेश कुमार सिंह कार्यालय के कक्ष में कागजी प्रक्रिया का निबटारा करते मिले. उन्होंने बताया कि विद्यालय में 18 शिक्षक माध्यमिक एवं प्लस टू मिला कर हैं. कई विषय के शिक्षक नहीं रहने के कारण विद्यालय में तीन शिक्षकों द्वारा ही अन्य विषय की पढ़ाई करायी जाती है. विद्यालय में भवन नहीं रहने के कारण छात्राओं को पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है. विद्यालय में अभी छह कमरे ही है.
जिसमें एक
प्रधानाध्यापक कक्ष एवं एक कक्ष लाइब्रेरी में होने के कारण मात्र चार क्लास रूम में करीब 12 सौ छात्राओं को पढ़ाना पड़ता है. कक्षा 9 की क्लास मॉनीटर सृष्टि कुमारी व रुचि कुमारी ने बताया कि कोर्स तो पूरा नहीं हो पाया है, जिस विषयों के शिक्षक है उनमे तो पढ़ाई हुई है परंतु कई विषयो के शिक्षक नहीं रहने के कारण कोर्स को पूरा करने में दिक्कत आ रही है. उन्होंने कहा कि विद्यालय में क्लास रूम कम रहने के कारण भी परेशानी होती है. अर्धनिर्मित चार कक्षा है वह बन जाती तो छात्राओं को सुविधा होती. इस संबंध में प्रधानाध्यापक ने बताया कि भवन निर्माण के लिए विधानसभा में मामला उठा परंतु अब तक नहीं बन पाया है.

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