सहरसा : लोकसभा चुनाव को लेकर प्रत्याशी व राजनीतिक दलों द्वारा सड़क व पुल पुलिया निर्माण का आश्वासन तो दिया जा रहा है, लेकिन आम लोगों की मूलभूत समस्याओं में शामिल स्वास्थ्य सेवा पर चर्चा भी नहीं हो रही है. प्रमंडलीय मुख्यालय में स्थापित सदर अस्पताल के निर्माण को 60 वर्ष पूरे हो चुके हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य सुविधा प्राथमिक स्तर तक ही पहुंच सकी है.
इतने लंबे समय से मरीजों का इलाज करते-करते स्थिति अब यह हो चुकी है कि अस्पताल की व्यवस्था सुदृढ़ होने के बजाय स्वयं ही लकवाग्रस्त हो चुकी है. अस्पताल को दुरुस्त करने के लिए व्यवस्था के खिलाफ लोगों द्वारा अहिंसक व हिंसक आंदोलन भी किया गया, लेकिन परिणाम शून्य ही रहा. हालांकि सदर अस्पताल की व्यवस्था को लेकर जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार व प्रशासन को कोसा तो जाता है, लेकिन समाधान के लिए कभी भी गंभीरता से प्रयास नहीं किये गये है, जबकि सदर अस्पताल में रोजाना सहरसा, सुपौल व मधेपुरा के सैकड़ों मरीजों का इलाज होता है.
मुख्य रूप से अस्पताल की समस्याओं पर गौर करें तो चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी, तकनीकी कर्मी सहित बेड व चिकित्सीय उपकरणों की घोर कमी है. भारतीय चिकित्सा मानक के अनुरूप मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाओं का हकदार सदर अस्पताल है, जो इसे जनहित में मिलना ही चाहिए.
एंबुलेंस व्यवस्था नहीं सुधरी
सदर अस्पताल से फिलहाल 1099, 102 व 108 नंबर की एंबुलेंस व 1099 की ही शव वाहन की सेवाएं ही संचालित हो रही है. मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल परिसर में दिन भर प्राइवेट एंबुलेंस वालों का जमावड़ा लगा रहता है. उनलोगों द्वारा गरीब व जरूरत मंद लोगों से मनचाहा किराया वसूला जाता है. ऐसे प्राइवेट एंबुलेंस में तकनीकी रूप से दक्ष कर्मी व दवा की कोई व्यवस्था नहीं रहती है.
नहीं बना ऑक्सीजन प्लांट
सदर अस्पताल में फिलहाल सिलेंडर के माध्यम से मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा रहा है, जो रख रखाव के अभाव में कारगर साबित नहीं हो रहा है, जबकि मरीजों की बढ़ती भीड़ व तकनीक के अनुरूप अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण करने की जरूरत है. ताकि आपातकालीन कक्ष, बर्न कक्ष सहित अन्य वाडरें में पाइप लाइन के जरिये मरीजों तक ऑक्सीजन आपूर्ति की जा सके.
अस्पताल में शुरू हो कैंटिन
सदर अस्पताल में भरती मरीजों के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा एजेंसी के माध्यम से भोजन की व्यवस्था की गयी है, जबकि उनके परिजनों व कार्यरत चिकित्सक व कर्मियों को शुद्ध भोजन व नाश्ते के लिए भी बाहर का रूख करना होता है. हालांकि परिसर में सरकारी आदेश के अनुसार चाय नाश्ते की कुछ दुकानें संचालित हो रही है, लेकिन उनमें स्वच्छता की कोई गारंटी नहीं होती है. अस्पताल प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए.
परिजन शेड बना गोदाम
सदर अस्पताल में परिजन शेड बने रहने के बावजूद इलाज कराने आने वाले मरीजों को आराम करने के लिए भटकना पड़ता है. मालूम हो कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिजन शेड को दवा भंडार बना दिया गया है और कर्मियों ने उसमें एक बड़ा ताला लटका दिया है. मरीज संजू देवी, गुलशन खातून, सहिस्ता खातून, मंसूर आलम, सबिता कुमारी ने बताया कि परिजन शेड के बंद रहने के कारण हमारे परिजन दिन व रात बरामदा पर बैठ अपना समय व्यतीत करते है.
दलाल है सक्रिय
अस्पताल पर दलालों ने अपना साम्राज्य कायम कर लिया है. ये दलाल कर्मियों को सहयोग करने की बात कह मरीजों को अपने झांसे में लेकर निजी क्लिनिक लेकर चले जाते है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दलालों को निजी क्लिनिक द्वारा कमीशन दिया जाता है. अस्पताल प्रशासन को इन दलालों पर नजर रखने की जरूरत है. ताकि गरीब व लाचार व्यक्ति इनके झांसे में न आ पाये.