सहरसा : बिहार सरकार के कैलेंडर में 15 जून से 15 अक्तूबर तक बाढ़ की अवधि घोषित है. इस दौरान कोसी नदी में हलचल होती है. बाढ़ व कटाव के कहर से पूर्वी व पश्चिमी कोसी तटबंध के बीच बसे सैकड़ों गांव के हजारों लोग बेघर होते रहते हैं. 2008 की बाढ़ के बाद प्रभावित प्रखंडों में ऊंचे स्थानों पर उनके अस्थायी आवासन के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से बाढ़ आश्रय स्थल व पशु शरण स्थल तो बना दिया गया.
लेकिन, देख-रेख व रख-रखाव नहीं किये जाने से वह पूरी तरह अतिक्रमित हो गया है या फिर उसकी स्थिति जीर्ण-शीर्ण होने लगी है. इन आश्रय स्थलों के बनने के बाद भी आज तक बाढ़ पीड़ितों को इसका कोई फायदा नहीं हो सका है. लगभग सभी आश्रय भवनों पर दबंगों का कब्जा है.वहां असामाजिक तत्वों का जमघट लगता है.