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शॉर्टकट बन रहा जानलेवा
सासाराम नगर : शहर में स्थायी रूप से बंद दो रेल गुमटी पर हो रहे हादसे से शहर के लोग बेपरवाह हैं. आस-पास के लोग जल्दबाजी के चक्कर में घातक बने रेलवे ट्रैक को ही पार करते हैं. पार करने के दौरान ही मामूली सी चूक उनके लिए घातक बन जाती है. काफी संख्या में […]
सासाराम नगर : शहर में स्थायी रूप से बंद दो रेल गुमटी पर हो रहे हादसे से शहर के लोग बेपरवाह हैं. आस-पास के लोग जल्दबाजी के चक्कर में घातक बने रेलवे ट्रैक को ही पार करते हैं. पार करने के दौरान ही मामूली सी चूक उनके लिए घातक बन जाती है. काफी संख्या में लोग खतरों को नजर अंदाज कर यही गलती बार-बार दोहराते हैं. रेलवे सूत्रों की माने तो धनपुरवा गुमटी से ले कर बेदा पुल तक एक वर्ष में लगभग 47 लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं. गुमटियों पर दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेल प्रशासन बंद हो चुके गुमटी को कंटिले तार से घेराबंदी करा दी़ हालांकि, कुछ ही दिन बाद लोगों ने ही इसे तोड़ कर हटा दिया गया.
इन्हीं लोगों में से हर माह कोई न कोई हादसे में अपनी जान गंवाते रहता है़ गौरतलब है कि शहर के बीचोबीच ग्रैंड कार्ड की ट्रिपल लाइन गुजरी है. पहले शहरी क्षेत्र में तीन रेलवे क्रॉसिंग था. इसमें दो तकिया व गौरक्षणी रेल क्राॅसिंग को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है. दोनों ही जगहों पर ओवरब्रिज बना दिया गया है़ शहर का सघन एरिया है. रेलवे लाइन के दोनों तरफ रिहायशी क्षेत्र है. दोनों तरफ से लोगों की आवाजाही होती है. सहूलियत व जल्दबाजी में लगातार घटनाएं हो रही है. इस वर्ष इस क्षेत्र में लगभग दो दर्जन लोग रेल दुर्घटना में अपनी जान गांव चुके हैं.
हादसे के बाद ठिठक जाते हैं लोग
जब कभी कोई दुर्घटना गुमटी व ईदगिर्द होती है. लोगों के कदम ठिठक जाते हैं. घटना के दो दिन बाद पुनः आना-जाना शुरू हो जाता है. हादसे होने पर लोगों को अपनी गलती का अहसास होता है.
ऐसा नहीं करना चाहिए. इसके लिए ओवरब्रिज है. गुमटी के रास्ते आना-जाना खतरनाक है. दूसरे को भी नसीहत देते हैं. कुछ ही दिन बाद नसीहत देने वाले खुद वही गलती करते हैं. गौरक्षणी रेल गुमटी के समीप बस स्टैंड होने से सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं इसी रेल गुमटी पर होती है. तकिया रेल गुमटी की भी कमोवेश यही स्थिति है. हर माह कोई न कोई रेलवे ट्रैक पार करने के दौरान ट्रेन की चपेट में आ जाता है. वैसे तो रेल प्रशासन धनपुरवा गुमटी से ले कर बेदा नहर पुल तक के क्षेत्र को डेंजर जोन घोषित कर रखा है. इसकी घेराबंदी की तैयारी चल रही है. जब तक शहरी क्षेत्र में ट्रैक की घेराबंदी नहीं हो जाती खतरा बना रहेगा.
जान-बूझ कर घातक कदम उठाते हैं लोग
दुर्घटना से बचाव व लोगों की सहूलियत के लिए शहर में दो-दो ओवरब्रिज है. फिर भी लोग जानबूझ कर घातक कदम उठाते है. वर्ष 1986 से गौरक्षणी रेल गुमटी को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है.
गुमटी के समीप ओवरब्रिज पर चढ़ने के लिए सीढ़ी बना है. फिर क्यों लोग ऐसी गलती करते हैं. रेलवे गुमटी व दोनों तरफ लगभग सौ मीटर तक कंटिला तार से घेराबंदी की गयी थी. इसे तोड़ दिया गया. धनपुरवा गुमटी से ले कर बेदा पुल तक एक वर्ष में लगभग 47 लोग रेल ट्रैक पर अपनी जान गंवा चुके हैं. लोगों को हमेशा ध्वनि विस्तारक यंत्र से आगाह किया जाता है. समय-समय पर पोस्टर लगा व हैंडबिल बांटा जाता है. खास मौकों पर रेल पुलिस व आरपीएफ के जवान 24 घंटे रेलवे ट्रैक की निगरानी करते हैं. वे लोग भी गलती करते हैं, जिनके परिवार व पड़ोस के सदस्य की ट्रैक पार करने के दौरान हादसे में मौत हो चुकी है.
तकिया रेल गुमटी की घेराबंदी के दौरान स्थानीय लोग इस का विरोध कर रहे थे. मजदूरों के साथ गलत बरताव किया गया. जबकि इनकी सुरक्षा के लिए ही कंटिला तार का बाड़ लगाया जा रहा था. ऐसा हर रोज होता है़ जब रेल पुलिस का कोई जवान किसी व्यक्ति को रेल ट्रैक को पार करने से रोकता है, तो लोग उसको मजाक बना उपहास उड़ाते हैं. रेल कर्मी भी इनसान है. रेल हादसे में किसी व्यक्ति की मौत पर हम सबों को भी दुख होता है. लोग सचेत व सावधान रहें तभी दुर्घटना रोकी जा सकती है.
उमेश पांडेय, स्टेशन प्रबंधक, सासाराम
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