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महानवमी पर आज पूजी जायेंगी कुंवारी कन्याएं

सासाराम शहर : नवरात्र में शक्ति स्वरूपा मां भगवती की अाराधना का तो महत्व है ही, इस दौरान कन्या पूजन का महत्व भी कम नहीं होता है. धर्मग्रंथों में कुमारी पूजा को नवरात्र व्रत का अनिवार्य अंग कहा गया है. यहीं नहीं इस दौरान पूजी जाने वाली कन्यायों को देवी की शक्ति स्वरूप का प्रतीक […]

सासाराम शहर : नवरात्र में शक्ति स्वरूपा मां भगवती की अाराधना का तो महत्व है ही, इस दौरान कन्या पूजन का महत्व भी कम नहीं होता है. धर्मग्रंथों में कुमारी पूजा को नवरात्र व्रत का अनिवार्य अंग कहा गया है. यहीं नहीं इस दौरान पूजी जाने वाली कन्यायों को देवी की शक्ति स्वरूप का प्रतीक बताया गया है. इस बार सोमवार को दोपहर दो बजे के बाद कन्या पूजन का योग बन रहा है. इसके लिए विभिन्न पूजा समितियों ने तैयारी शुरू कर दी है.

नवरात्र में माता के नौ रूपों षैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूश्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री देवी के पूजन का विधान है. लेकिन इसके साथ-साथ दो से दस वर्ष की कन्यायों के विभिन्न रूपों के पूजन का भी खास महत्व है. विद्वानों के अनुसार नवरात्र में किया गया पूजा-पाठ व अाराधना कभी निष्फल नहीं होता. किस उम्र की कन्याओं की होती है पूजा नवरात्र में दो से दस वर्ष की कन्यायों के पूजन का विधान है. दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहते है.
तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या को कल्याणी, पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी, छह वर्ष की कन्या को कालिका, सात वर्ष की कन्या को चंडिका, आठ वर्ष की कन्या को सांभवी, नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा व दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा के नाम से जानते हैं. ज्योतिषाचार्य सुदर्शन पांडेय ने बताया कि नवरात्र में कन्या पूजन से नवरात्र का फल पूर्ण रूप से प्राप्त होता है.

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