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शहर में नहीं है एक भी पार्क

हालत. टहलने व योग के लिए मुख्य पथों पर उमड़ती है लोगों की भीड़ बिक्रमगंज : योग गुरु बाबा रामदेव के योग के प्रचार-प्रसार कहें या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योग को विश्वस्तरीय बनाने के प्रयास का परिणाम कारण चाह जो हो, लेकिन आम लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूकता आयी है. हर […]

हालत. टहलने व योग के लिए मुख्य पथों पर उमड़ती है लोगों की भीड़

बिक्रमगंज : योग गुरु बाबा रामदेव के योग के प्रचार-प्रसार कहें या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योग को विश्वस्तरीय बनाने के प्रयास का परिणाम कारण चाह जो हो, लेकिन आम लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूकता आयी है. हर किसी को अपने अंदर कई विकार दिखाई देने लगा है और वह उसे दूर करने के लिए योग व व्यायाम करने में लगा रहता है. सुबह हो या शाम शहर की सड़कों पर या मैदानों में काफी संख्या में लोगों को टहलते देखा जा सकता है.
इन दिनों जिम कराने का धंधा भी काफी चलने लगा है. इसमें युवा अधिक पहुंचते हैं. महिलाओं में भी क्रेज बढ़ रहा है. हर कोई स्वस्थ्य रहने व छरहरा दिखने के लिए प्रयास करता है. लेकिन, बिक्रमगंज वासियों के लिए चिंता इस बात की भी है कि यहां एक भी सरकारी या निजी स्तर पर न तो व्यायामशाला है और न ही कोई पार्क. सभी लोग सड़कों पर ही टहलते हैं. सुबह में सड़कों पर टहलने के दौरान हमेशा खतरा बना रहता है.
सुबह हर उम्र के महिला-पुरुषों की काफी संख्या सड़कों टहलते दौड़ते दिख जाती है. शहर के आरा-सासाराम रोड, बिक्रमगंज-डुमरांव, बिक्रमगंज-नटवार, बिक्रमगंज-पड़रिया सभी पथों पर लोगों की भीड़ दिखाई देती है. शहर में सभी 23 वार्डों की आबादी लगभग 40 हजार से ऊपर पहुंच गया है. लेकिन यहां एक भी सरकारी या निजी पार्क या व्यायामशाला नहीं है. एक दो निजी जिम है, जिसमें केवल पैसे वाले लोग ही जा पाते हैं.
गरीब-गुरबे और मध्यम वर्ग के लोग सड़कों को ही अपना व्यायामशाला व पार्क मान कर स्वस्थ रहने का प्रयास करते हैं. वह इस पर टहलते और दौड़ते हैं. योग व व्यायाम के लिए भी इसका ही उपयोग करते हैं. जो काफी खतरा भरा होता है. इन पथों पर तेज रफ्तार वाली गाड़िया दौड़ती रहती है. उससे बचाव के प्रयास करना आवश्यक होता है.
ऐसे में लोग अपना ध्यान व्यायाम पर केंद्रित नहीं कर पाते है.
स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूक हुए हैं शहर के लोग
कहते हैं लोग
आरा-सासाराम पथ पर टहने आयी 60 वर्षीय यशोदा कुवंर कहती हैं कि पिछले पांच वर्षों से टहलने आती हूं. थोड़ा टहल लेने से शरीर में फुर्ती आती है. लेकिन, सड़क पर गाड़ियों के आने-जाने से भय बना रहता है. आरा रोड निवासी 60 वर्षीय रणजीत सिंह बताते हैं कि शहर में टहलने व व्यायाम करने की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण सड़कों पर आना पड़ता है. यहां एक अच्छे पार्क या व्यायामशाला होना आवश्यक है. पूर्व प्राचार्य 70 वर्षीय शिवशंकर सिंह कहते हैं
कि बिक्रमगंज छोड़कर सभी शहर में पार्क और व्यायामशाला है. सुबह टहलना व योग करना स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है. कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण सड़कों पर ही टहल लेते है. इससे शरीर में फुर्ती रहती है. पटेल कॉलेज के प्राचार्य सत्यनारायण चौधरी बताते हैं कि नगर पंचायत की आबादी 40 हजार को पार कर गयी है, लेकिन एक भी पार्क या व्यायामशाला का नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. नगर पंचायत को इस गंभीर समस्या पर विचार करना चाहिए.

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