सासाराम (ग्रामीण) : जिला मुख्यालय सहित अन्य सभी बैंकों की शाखाओं की सुरक्षा चौकीदारों के भरोसे तक ही सीमित हो गयी है. ऐसी स्थिति में अनहोनी की घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. छोटी-छोटी घटनाएं तो अक्सर बैंक की शाखाओं में होती रहती हैं. लेकिन, पुलिस इन मामलों में महज संज्ञान लेकर खामोश हो […]
सासाराम (ग्रामीण) : जिला मुख्यालय सहित अन्य सभी बैंकों की शाखाओं की सुरक्षा चौकीदारों के भरोसे तक ही सीमित हो गयी है. ऐसी स्थिति में अनहोनी की घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. छोटी-छोटी घटनाएं तो अक्सर बैंक की शाखाओं में होती रहती हैं. लेकिन,
पुलिस इन मामलों में महज संज्ञान लेकर खामोश हो जाती है. जहां करोड़ों रुपये के आय-व्यय प्रतिदिन होते हैं, उन जगहों की सुरक्षा निहत्थे चौकीदारों के भरोसे छोड़ा गया हो, तो यहां आने-जाने लोग कैसे सुरक्षित रहेंगे. हालांकि, स्थानीय पुलिस दिन में दो बार बैंक पहुंचती है व उसकी जांच कर वापस लौट जाती है. इसके कारण किसी-न-किसी दिन बड़ी घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है.
जांच तक सिमटी पुलिस का दायित्व : बैंकों में स्थायी तौर पर सुरक्षा में चौकीदारों की ही तैनाती की गयी है. लेकिन, दिन में दो बार स्थानीय पुलिस बैंकों की जांच करती है. कभी-कभार पुलिस अधिकारी शाखा प्रबंधकों के साथ बैठ कर सीसीटीवी के फुटेज भी देखते हैं व बैंककर्मियों को आवश्यक जानकारी देकर व नजर रखने का आदेश देकर वापस लौट जाते हैं.
असुरक्षित हैं बैंककर्मी व ग्राहक: बैंकों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध नहीं किये जाने के कारण न केवल बैंककर्मी असुरक्षित हैं, बल्कि ग्राहक भी असुरक्षित हैं. बैंक परिसर में ही कई बार असामाजिक तत्वों द्वारा ग्राहकों की जेब काटे लिये जाते हैं, तो कभी बैंक के नीचे बाइकों की डिक्की तोड़ कर पैसे उड़ा लिये जाते हैं. मामला स्पष्ट है कि ऐसे असामाजिक व्यक्तियों की नजर बैंक के ग्राहकों पर बैंक परिसर से ही होती है.