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गेहूं खरीद में सह कारिता विभाग की तैयारी फेल, मायूस हो रहे किसान

सासाराम ग्रामीण : सरकार द्वारा एक अप्रैल से 30 जून तक गेहूं खरीद का निर्देश सहकारिता विभाग को दिया गया था. लेकिन, विभाग द्वारा गेहूं की खरीदारी अभी तक शुरू नहीं की गयी है. इस कारण किसान अपने गेहूं को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. विभागिय सूत्रों के अनुसार, विभाग में 25 मार्च […]

सासाराम ग्रामीण : सरकार द्वारा एक अप्रैल से 30 जून तक गेहूं खरीद का निर्देश सहकारिता विभाग को दिया गया था. लेकिन, विभाग द्वारा गेहूं की खरीदारी अभी तक शुरू नहीं की गयी है. इस कारण किसान अपने गेहूं को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. विभागिय सूत्रों के अनुसार, विभाग में 25 मार्च के बाद ही गेहूं खरीद की सुगबुगाहट हाने लगी थी.

तैयारी के साथ साथ बैंक में पैक्स के सीसी करने की भी तैयारी की जा रही थी. आखिर क्या हुआ कि विभाग में अब गेहूं खरीद की बात करने में अधिकारी भी हिचकिचाने लगे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं है कि धान खरीद की तरह गेहूं खरीद में विभागीय अधिकारियों को कमीशन में मुनाफा नहीं हो रहा है.
एक वजह यह भी हो सकता है. या जिले में किसानों के पास पैक्स को देने के लिए गेहूं ही नहीं था. क्योंकि, एक अप्रैल के बाद गेहूं की खरीद क्यों नहीं हुई . किसान अब इसकी चर्चा करने लगे हैं? निर्देश आने के बाद भी खरीद शुरू नहीं होना विभाग की घोर लापरवाही है. गौरतलब हो कि, पिछले साल भी जिले में मात्र अकोढ़ा पैक्स ने ही गेहूं की खरीद की थी.
1840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था समर्थन मूल्य
राज्य सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 1840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. लेकिन, किसान अपने गेहूं को बिचौलिये के हाथों 13 से 14 सौ रुपये प्रति क्विंटल बेचने को मजबूर हैं. जिले में गेहूं खरीद नहीं होने से किसानों को तीन से चार सौ रुपये का घाटा हुआ है.
कहते हैं अधिकारी
गेहूं खरीद शुरू करने की तैयारी शुरू की गयी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण खरीदारी शुरू नहीं हो सकी थी. अब तो गेहूं का बाजार भाव सरकारी समर्थन मूल्य 1840 रुपये के ऊपर हो गया है. अब तो खरीदारी करना संभव भी नहीं है.
प्रभाकर कुमार, एमडी, दी सासाराम भभुआ सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक सह जिला सहकारिता पदाधिकारी रोहतास
गेहूं खरीद नहीं होने पर किसानों की प्रतिक्रिया
सहकारिता विभाग द्वारा गेहूं खरीद शुरू नहीं किये जाने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है. सरकार तो सभी योजनाओं को शुरू करने का निर्देश देती है, लेकिन अधिकारी सही ढंग से काम शुरू नहीं करना चाहते हैं.
दिलीप कुमार, किसान
सरकार को गेहूं खरीद करने की मंशा ही नहीं थी. गेहूं खरीद क्या धान खरीद में भी सहकारिता विभाग ने खानापूर्ति की है. जिस जिले का खरीद का लक्ष्य ही निर्धारित नहीं किया गया, तो इससे बड़े अफसोस की बात क्या हो सकती है.
रामाशंकर सरकार, किसान

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