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रोहतास में मिले 4500 वर्ष पुराने छह नर कंकाल

सासाराम : रोहतास एक जिले का नहीं, एक इतिहास का नाम है. जी हां, रोहतास का इतिहास जितना पुराना है, उतने ही यहां पुरातात्विक स्थल भी हैं. इसका जीता जागता सबूत जिले के दरिगांव प्रखंड के सकास गांव में मौजूद है. यहां लगातार नयी-नयी पुरातात्विक चीजें बरामद हो रही हैं. फिलहाल यहां से लगभग 45 […]

सासाराम : रोहतास एक जिले का नहीं, एक इतिहास का नाम है. जी हां, रोहतास का इतिहास जितना पुराना है, उतने ही यहां पुरातात्विक स्थल भी हैं. इसका जीता जागता सबूत जिले के दरिगांव प्रखंड के सकास गांव में मौजूद है. यहां लगातार नयी-नयी पुरातात्विक चीजें बरामद हो रही हैं.

फिलहाल यहां से लगभग 45 सौ वर्ष पूर्व के छह नर कंकाल बरामद हुए हैं, जो देश के पुरातत्वविद को अपनी ओर खीचने का कार्य किया है. जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित दरिगांव पथ पर सकास गांव मौजूद है.

उद्घाटित पुरास्थल सकास पर विगत पांच मार्च से डॉ विकास कुमार सिंह के निर्देशन में व प्रो रवींद्र नाथ सिंह के मार्गदर्शन में काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी की पुरातत्व की टीम लगातार कार्य कर रही है. समय समय पर देश भर से पुरातत्वविद स्थल की महत्ता को देखते हुए पहुंच रहे हैं. इसी कड़ी में रविवार को डॉक्टर बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नीरज राय पुरातात्विक स्थल पर पहुंचे.

उन्होंने पुरातत्व स्थल से प्राप्त सभी छह नरकंकालों के डीएनए टेस्ट के लिए नमूने लिये. वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नीरज राय के अनुसार ये नर कंकाल करीब 45 सौ वर्ष पूर्व के प्रतीत होते हैं. इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि डीएनए टेस्ट के बाद इस पर और भी प्रकाश पड़ेगा.

उत्खनन से कई नवीन तथ्य होंगे उजागर : दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली से आये हुए डॉ रत्नेश कुमार त्रिपाठी और सीएल पांडेय भी दो दिनों से पुरास्थल का अध्ययन कर रहे हैं. दोनों विद्वानों का मानना है कि यह स्थल अभी नव पाषाण कालीन प्रतीत होते हैं और आगे आने वाले दिनों में उत्खनन के उपरांत इस पर काफी नवीन तथ्य उजागर होंगे, जो इस पुरा स्थल की महत्ता को स्थापित करेंगे. इनके अनुसार इसकी प्राचीनता करीब 45 सौ वर्ष पूर्व की प्रतीत हो रही है.

खोज कार्य में जुटे हैं ये लोग : गौरतलब हो कि पूर्व में भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद के वरिष्ठ पुरातत्वविद प्रो जेएन पाल, डेक्कन कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च इंस्टीट्यूट पुणे के प्रसिद्ध जंतु पुरावैज्ञानिक प्रो पीपी जोगलेकर भी इस पुरास्थल का दौरा कर चुके हैं. उत्खनन कार्य कर रही टीम में अरुण कुमार पांडेय, सुदर्शन चक्रधारी, आफताब आलम, धनंजय कुमार, बृजमोहन, किशोर चंद्र विश्वकर्मा, डॉ विकास कुमार, टुनटुन सिंह व रामजतन आदि लोग शामिल हैं.

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