शौचालय व मूत्रालय की स्थिति बदतर, सड़क पर बहता है गंदा पानी
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गंदगी व बदबू इतनी कि जाने से कतराते हैं यात्री, कर्मचारी रहते हैं स्टैंड से बाहर
शौचालय व मूत्रालय की स्थिति बदतर, सड़क पर बहता है गंदा पानी सासाराम सदर : प्रतिवर्ष लाखों रुपये की आमदनीवाले शहर के अंतरराज्यीय बस पड़ाव की स्थिति बदतर होती जा रही है. बस पड़ाव बीमारी फैलानेवाले जगह के रूप में काम करने लगा है. जिससे लोग भयभीत हैं. बदहाली का आलम यह है कि बस […]
सासाराम सदर : प्रतिवर्ष लाखों रुपये की आमदनीवाले शहर के अंतरराज्यीय बस पड़ाव की स्थिति बदतर होती जा रही है. बस पड़ाव बीमारी फैलानेवाले जगह के रूप में काम करने लगा है. जिससे लोग भयभीत हैं. बदहाली का आलम यह है कि बस स्टैंड से जुड़े कर्मचारी भी अधिक समय तक बस पड़ाव के अंदर रुकना नहीं चाहते हैं. चारों तरफ गंदगी व शौच की बदबू फैली रहती हैं. जिससे यात्रियों को बस स्टैंड से दूर ही खड़े रहना पड़ता है. बस पड़ाव में सुविधाओं की जिम्मेदारी नगर पर्षद की है, लेकिन नगर पर्षद के नीति-नियंताओं को बस पड़ाव की बदहाली की परवाह नहीं है. बदहाली के कारण ही बसें पड़ाव के अंदर नहीं, बाहर ही लगती हैं,
जो जाम का भी एक कारण बनता है. हालांकि, वर्षों से बस पड़ाव के स्थानांतरण की चर्चा होती रही है, लेकिन वह भी महज किस्सा बन कर रह गया है. बस पड़ाव के दशकों के सफर में कई इओ बदले, कई मुख्य पार्षदों की ताजपोशी हुई, लेकिन बस पड़ाव की बदहाली की तस्वीर नहीं बदल सकी. अब तो बस पड़ाव में इतनी गंदगी हो गयी है कि लोगों को हमेशा महामारी फैलने का डर बना रहता है.
बस स्टैंड में शौचालय की स्थिति काफी बदतर : अंतरराज्यीय बस पड़ाव में शौचालय की स्थिति बदतर है. शौचालय की साफ-सफाई में घोर कमी है. इसको देखनेवाला कोई नहीं है. शौचालय इस कदर गंदे हैं कि लोग जाना नहीं चाहते हैं. वैसे तो शहर में कई सार्वजनिक शौचालय हैं. पर, जरूरत के हिसाब से शहर में शौचालयों की संख्या बेहद कम है, लेकिन जहां कहीं भी इसकी सुविधा है उसकी हालत खराब है. सफाई और रखरखाव की कमी के चलते यह इस्तेमाल करने लायक नहीं है. शौचालय की स्थिति से भी अधिक बस पड़ाव में खराब स्थिति मुत्रालय की है. मुत्रालय का इसस्तेमाल करने पर पूरा पानी सड़क पर ही बहता है.
कई शहरों के लिए खुलती हैं बसें
इस बस पड़ाव से कई राज्यों के लिए बसें खुलती है. पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ के कई शहरों के लिए समयानुसार बसें खुलती हैं. इतने बड़े बस पड़ाव होने के बावजूद साफ-सफाई की घोर कमी है. मूलभूत सुविधाओं का टोटा है, जिससे यात्रियों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.
जानलेवा हो सकता है खुले में खाने-पीने का सामान
बस पड़ाव में इतनी गंदगी से रहने के बावजूद दुकानदार जमे हुए है. चाहे नाश्ते-पानी के दुकान हो या फल, मिठाई के. सभी दुकानदार गंदगी के बीच दुकानें खोले हुए हैं, जहां गंदगी के बीच दुकानदार लोगों व यात्रियों को नाश्ता व भोजन परोसते है. शहर के कई चिकित्सकों के मानें तो गंदगी के बीच नाश्ता, खाना, फल, मिठाई आदि खाने पर लोगों के लिए जानलेवा हो सकती है. ऐसे भोजन ग्रहण करने से कभी भी संक्रमण बीमारी के चपेट में आ सकते है. जिसे जान भी जा सकती है.
बस पड़ाव के शौचालय की हालत काफी दयनीय है. यहां पर इतना गंदगी है कि मजबूरन नाक पर रूमाल रखकर प्रयोग करना पड़ता है. सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है.
सुनील कुमार, दुकानदार
बस पड़ाव में चारों तरफ बदबू ही बदबू फैली रहती है. गंदगी से यात्री सहित स्थानीय लोग परेशान हैं. अब इतनी गंदगी हो गयी है कि लोगों को महामारी फैलने का अंदेशा होने लगा है.
विकास कुमार, दुकानदार
बस पड़ाव में आम लोगों के प्रयोग के लिए यूरिनल व शौचालय का काफी अभाव है. यात्रियों के बैठने के लिए शेड नहीं है. जो शेड है, उस पर बस से जुड़े कर्मियों का कब्जा रहता है.
अभिनंदन कुमार, ग्रामीण
बस पड़ाव सहित अन्य जगहों पर बने सार्वजनिक शौचालयों में एक भी नहीं है. जिसका इस्तेमाल किया जा सके. इसको देखनेवाला कोई नहीं है. कदर गंदे हैं कि लोग जाना नहीं चाहते हैं.
अभिषेक कुमार, ग्रामीण
सफाई के लिए दिया गया आदेश
बस पड़ाव की साफ-सफाई करने के लिए सफाई कर्मियों को निर्देश दिया गया है. यदि गंदगी की शिकायतें मिल रही है तो शीघ्र ही समस्या का समाधान किया जायेगा.
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