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जिले में अधिकतर चापाकल बंद पेयजल के लिए मचा हाहाकार

सासाराम नगर : भू-जल स्तर खिसकने से शहर में लगभग चापाकल बंद हो गया है. पेयजल के लिए लोगों के बीच हाहाकार मचा है. अप्रैल माह समाप्त होते ही शहर के दक्षिणी क्षेत्र की स्थिति बदतर हो गया है. साल- दर- साल भूजल स्तर दो से तीन फुट नीचे खिसकता जा रहा है. हालात बिगड़ने […]

सासाराम नगर : भू-जल स्तर खिसकने से शहर में लगभग चापाकल बंद हो गया है. पेयजल के लिए लोगों के बीच हाहाकार मचा है. अप्रैल माह समाप्त होते ही शहर के दक्षिणी क्षेत्र की स्थिति बदतर हो गया है. साल- दर- साल भूजल स्तर दो से तीन फुट नीचे खिसकता जा रहा है. हालात बिगड़ने के बाद प्रशासन शहर में अपना तालाब ढूंढ़ रहा है.
शहर में दर्जन भर तालाब अतिक्रमण के भेंट चढ़ गये. लोग तालाब को भरकर कब्जा जमा लिया है. कई जगहों पर पक्का निर्माण भी किया गया है. पहले शहर में दर्जनों सरकारी व निजी तालाब था. जमीन की आसमान छूती कीमत तालाब के अस्तित्व को मिटा दिया. इससे पूर्वज जनकल्याण के लिए तालाब का निर्माण कराये थे. उनकी नयी पीढ़ी ने जमीन की बढ़ती कीमत को देख उस तालाब को भी बेच दिया. तालाब को भरकर उस पर मकान बना दिया गया. ऐसे दर्जन भर शहर में तालाब था जिसका अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो गया. यही स्थिति सरकारी तालाबों की भी है.
क्या कहते हैं लोग : आलमगंज निवासी दीपू कश्यप ने बताया कि पहले शहर में तालाबों की भरमार थी. कभी पानी की समस्या नहीं होती थी. लोगों ने खुद अपने पैरो पर कुल्हाड़ी मारी है. कुछ लोगों की गलती का खामियाजा सब भुगत रहे हैं. प्रशासन नहीं लोग दोषी हैं जिन्होंने अपने स्वार्थ में तालाब को भरकर उस पर कब्जा जमा लिये हैं.
वहीं शोभागंज निवासी विश्वजीत प्रसाद ने बताया कि शहर में दक्षिणी क्षेत्र की स्थिति बदतर है. पहले इस मुहल्ले में आधा दर्जन बड़े-बड़े सरकारी तालाब थे. सालोभर पानी भरा रहता था. लोगों को राहत थी. जानवर पानी पीते थे. कपड़ा धोने व नहाने की सुविधा थी. इधर हालात बदले जमीन के लोभियों ने तालाब को ही मिटा दिया.
फजलगंज में चेत पांडेय की नदी का अस्तित्व ही मिटने के कगार पर है. कैमूर पहाड़ी से बक्सर तक नदी हुआ करती थी. नदी को भरकर दर्जनों मकान बने हैं. अब इनलेट नहर को भरकर प्रशासन उस पर पक्का नाले का निर्माण कराने जा रहा है. जहां पानी की कभी कमी नही होती थी अब पानी के लिए तरसना पड़ेगा.
केशरी देवी, फजलगंज
शहर में पेयजल की विकट समस्या है, मार्च में चापाकल सूख जाता है. सप्लाई पानी पर निर्भर रहना पड़ता है. कभी-कभी सप्लाई भी दो तीन दिनों तक बंद हो जाती है. पहले तालाब व कुएं की भरमार थी. कभी पानी के लिए परेशानी नहीं होती थी. इस समस्या के लिए हमलोग स्वयं दोषी हैं.

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